ऑल इंडिया रिजर्व बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन का कहना है कि कॉलेजियम के जरिये गवर्नर और डिप्टी गवर्नरों का चयन किए जाने से केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को कायम रखा जा सकेगा.
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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने पिछले दिनों अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा कि वे निजी कारणों से 23 जुलाई के बाद इस पद पर नहीं बने रह सकते हैं. अब उनकी जगह नए डिप्टी गवर्नर की तलाश है. इस बीच केंद्रीय बैंक की कर्मचारी यूनियन ने मंगलवार को कहा कि नए गवर्नर और डिप्टी गवर्नरों के चयन के लिए विशेषज्ञों का कॉलेजियम बनाया जाना चाहिए. ऑल इंडिया रिजर्व बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन ने बयान में कहा कि कॉलेजियम के जरिये गवर्नर और डिप्टी गवर्नरों का चयन किए जाने से केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को कायम रखा जा सकेगा.
रिजर्व बैंक कानून के मुताबिक, गवर्नर और डिप्टी गवर्नर की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है. कर्मचारी यूनियन का कहना है कि इस तरह के संवेदनशील और महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति का फैसला मंत्रालय के कुछ अधिकारियों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही इस मामले में वित्त मंत्री को भी नहीं दखल देना चाहिए.
कर्मचारी यूनियन की तरफ से कहा गया कि इसके लिए विशेश कॉलेजियम का गठन हो जिसमें केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर, अन्य प्रमुख केंद्रीय बैंकर और अर्थशास्त्री शामिल होने चाहिए. वे अर्थ जगत की बारीकियों को समझते हैं, इसलिए यह फैसला सरकार से प्रभावित नहीं होना चाहिए. यूनियन का साफ-साफ कहना है कि ऐसे महत्वपूर्ण पदों पर किसी की नियुक्ति उस व्यक्ति की क्षमता, ज्ञान और अनुभव का उचित तरीके से आकलन करने के बाद होना ठीक रहेगा.
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इस बीच मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विरल आचार्य की जगह भरने के लिए सरकार और RBI बजट पेश करने के बाद एक चयन समिति का गठन करेगा. न्यूज एजेंसी IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया जाएगा और आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे. सूत्रों के हवाले से खबर है कि वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल को विरल आचार्य की जगह नियुक्त किया जा सकता है. बता दें, विरल आचार्य से पहले उर्जित पटेल डिप्टी गवर्नर थे. रघुराम राजन के जाने के बाद जब वे गवर्नर बन गए तो उनकी जगह विरल आचार्य को डिप्टी गवर्नर बनाया गया था. उन्होंने कार्यकाल खत्म होने से 6 महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया है.