जेट एयरवेज के खिलाफ दिवालियेपन का केस दायर, बैंकों को हो सकता है बड़ा नुकसान
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जेट एयरवेज के खिलाफ दिवालियेपन का केस दायर, बैंकों को हो सकता है बड़ा नुकसान

लंबे समय तक वित्तीय संकट से जूझने के बाद दो लेनदारों ने जेट एयरवेज (Jet Airways) के खिलाफ मुंबई एनसीएलटी (NCLT) में दिवालियेपन का केस दायर किया है. मुंबई NCLT इस मामले की 13 जून को सुनवाई करेगी.

जेट एयरवेज के खिलाफ दिवालियेपन का केस दायर, बैंकों को हो सकता है बड़ा नुकसान

नई दिल्ली : लंबे समय तक वित्तीय संकट से जूझने के बाद दो लेनदारों ने जेट एयरवेज (Jet Airways) के खिलाफ मुंबई एनसीएलटी (NCLT) में दिवालियेपन का केस दायर किया है. मुंबई NCLT इस मामले की 13 जून को सुनवाई करेगी. शमन व्हील्स प्राइवेट लिमिटेड और गग्गर इंटरप्राइजेज ने मुंबई NCLT में यह केस दायर किया है. शमन व्हील्स एयरलाइन के लिए ट्रक और ट्रेलर्स की सेवाएं देती थी. जिसके बदले में जेट पर 628 करोड़ रुपए की रकम बाकी है.

ऐसा हुआ तो जेट को पटरी पर लाना होगा मुश्किल
गग्गर एंटरप्राइजेज जेट एयरवेज को बोतलबंद पानी सप्लाई करती थी. अगर NCLT में मामला मंजूर कर लिया जाता है तो जेट एयरवेज को पटरी पर लाना और कठिन हो जाएगा. मामला NCLT में मंजूर न हो बैंक इसकी पूरी कोशिश करेंगे. क्योंकि निवेशकों के साथ चल रही बातचीत खटाई में पड़ जाएगी. साथ ही केस NCLT में जाने पर बैंकों को भारी घाटा सहना पड़ेगा. सर्विस सेक्टर की कंपनी होने की वजह से ज्यादा संपत्तियां भी नहीं हैं.

बैंकों का जेट पर 8400 करोड़ रुपये बकाया
बैंकों का जेट एयरवेज पर करीब 8400 करोड़ रुपये का बकाया है. एयरलाइन के पास पैसे न होने की वजह से 17 अप्रैल से इसकी उड़ानें बंद हैं. बैंकों ने जेट एयरवेज में हिस्सेदारी बेचने के लिए बोलियां भी मंगाई थीं. लेकिन इसमें बोलीदाताओं ने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई. केवल एतिहाद की ही अकेली योग्य बोली आई थी. एतिहाद ने शर्त रखी थी कि उसकी हिस्सेदारी केवल 24 प्रतिशत तक सीमित रहेगी. बाकी के लिए बैंक ही खरीदार खोज कर लाए. साथ ही भारी भरकम कर्जमाफी की भी शर्त थी. फिलहाल हिस्सा बिक्री के लिए हिंदुजा ग्रुप के साथ बातचीत जारी है.

कुछ दिन पहले ही जेट एयरवेज के हालात पर स्पाइसजेट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ने कहा कि आंतरिक कारण और ऊंची लागत जेट की असफलता के कारणों में शामिल हैं. उन्होंने कहा, जेट का जमीन पर खड़ा होना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है और यह विमानन क्षेत्र में काम करने वाले हम सभी के लिये और नीति निर्माताओं के लिए नींद से जगाने वाला है.

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