आंखों की रोशनी न होने के कारण कूड़ेदान में छोड़ गया परिवार, रिहैब में पली-बढ़ीं माला ने मुश्किल हालातों में पाई सफलता
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आंखों की रोशनी न होने के कारण कूड़ेदान में छोड़ गया परिवार, रिहैब में पली-बढ़ीं माला ने मुश्किल हालातों में पाई सफलता

Success Story: माला ने अपनी किस्मत का रोना न रोते हुए अपना भविष्य उज्ज्वल बनाने पर फोकस किया. आज वह सरकारी नौकरी पाकर अपने पैरों पर खड़ी हो चुकी है. पढ़िए विजुएली चैलेंज्ड माला पापलकर की सफलता की कहानी...

आंखों की रोशनी न होने के कारण कूड़ेदान में छोड़ गया परिवार, रिहैब में पली-बढ़ीं माला ने मुश्किल हालातों में पाई सफलता

Mala Papalkar Success Story: हर किसी की लाइफ में टफ सिचुएशन आती हैं. इन मुश्किलों का सामना कैसे करना है ये पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है. आप चाहे तो इनके नाम से रोकर अपनी लाइफ खराब कर सकते हैं या फिर जीवन सुधारने के लिए कड़ी मेहनत करके आगे बढ़ सकते हैं. माला ने भी दूसरा ऑप्शन चुना, उन्होंने अपनी विपरित परिस्थितियों में जीवन में नई ऊंचाइयों को छुआ. 

माला का अपने परिवार द्वारा बचपन में ही त्याग कर दिया गया था, वजह थी उनका दृष्टिबाधित होना. इसके बावजूद माला पापलकर ने महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (MPSC) की परीक्षा में सफलता हासिल की है. अब वह मुंबई में महाराष्ट्र सचिवालय-मंत्रालय में क्लर्क-कम-टाइपिस्ट के तौर पर पैर जमाने के लिए तैयार हैं. पढ़िए दृष्टिबाधित माला की सक्सेस स्टोरी...

25 साल पहले मिली थी कूड़ेदान में 
महाराष्ट्र के जलगांव रेलवे स्टेशन पर 25 साल पहले एक दृष्टिबाधित बच्ची को कोई कूड़ेदान में फेंक गया था. पुलिस उस नवजात को एक रिमांड होम में ले गई. इसके बाद उसे 270 किमी दूर अमरावती के परतवाड़ा में बहरे और अंधे लोगों के रिहैब होम में भेज दिया गया. माला को शंकरबाबा पापलकर द्वारा एक रिहैब सेंटर में पाला गया था.  उन्हें न केवल अपना सरनेम दिया, बल्कि स्कूली शिक्षा दी और अपनी शिष्या को दृष्टिबाधित और अनाथ बच्चों की दुनिया में होनहार बनाया.

पढ़ाई में होनहार है माला
माला ने प्रायमरी एजुकेशन नेत्रहीनों के स्कूल में पूरा की. इसके बाद 2018 में अमरावती यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और सरकारी विदर्भ इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड ह्यूमैनिटीज से आर्ट्स में मास्टर्स किया. बाद में दरियापुर के प्रोफेसर प्रकाश टोपले पाटिल ने उन्हें गोद ले लिया, जिन्होंने एमपीएससी परीक्षाओं के लिए माला को प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी ली. 

एमपीएससी क्लर्क एग्जाम में मिली सफलता
माला ने अगस्त 2022 और दिसंबर 2023 में तहसीलदार पद के लिए परीक्षा पास करने के दो प्रयास किए, जिनमें उन्हें असफलता मिली. बाद में एमपीएससी क्लर्क (टाइपराइटिंग) परीक्षा में 25 वर्षीय माला ने कामयाबी हासिल की. अब उनका लक्ष्य आईएएस ऑफिसर बनना है, जिसके लिए वह यूपीएससी की तैयारी करना चाहती हैं. 

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