बंगाल के पूर्वी छोर पर मॉनसून 'फूफा' क्यों बना बैठा है? देरी से क्या-क्या होंगे नुकसान
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बंगाल के पूर्वी छोर पर मॉनसून 'फूफा' क्यों बना बैठा है? देरी से क्या-क्या होंगे नुकसान

When Monsoon Arrive in Delhi: केरल में निर्धारित समय से 3 दिन पहले पहुंचने वाला मॉनसून नॉर्थ-ईस्ट पहुंचने के साथ ही धीमा हो गया है. मॉनसून में देरी के कारण उत्तर भारत गंभीर संकट का सामना कर रहा है और लोग प्रचंड गर्मी झेलने को मजबूर हैं.

बंगाल के पूर्वी छोर पर मॉनसून 'फूफा' क्यों बना बैठा है? देरी से क्या-क्या होंगे नुकसान

Why Monsoon Delayed: शादियों में फूफा के नाराज होने का चुटकुला तो आपने अक्सर सुने होंगे, जो घर के किसी कोने में बैठ जाते हैं. अभी कुछ ऐसी ही स्थिति मॉनसून की है, जो 11 जून के बाद से आगे नहीं बढ़ पा रहा है. केरल में निर्धारित समय से 3 दिन पहले पहुंचने वाला मॉनसून बिल्कुल नाराज फूफा की तरह नॉर्थ ईस्ट में बैठा हुआ है. मॉनसून में देरी के कारण उत्तर भारत गंभीर संकट का सामना कर रहा है और लोग प्रचंड गर्मी झेलने को मजबूर हैं. इसके साथ ही इसका असर कृषि क्षेत्र पर भी पड़ रहा है, जिससे सब्जियां महंगी हो गई हैं और स्थिति ऐसी ही बनी रही तो धान के उत्पादन पर भी असर पड़ेगा.

अभी कहां तक पहुंचा है मॉनसून?

इस वक्त मॉनसून की नॉर्थ-ईस्ट और बंगाल की सीमा पर रुका हुआ है. पश्चिम बंगाल के हिमालयी क्षेत्रों और नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में अलग-अलग स्थानों पर बारिश हो रही है. मॉनसून तय तारीख के अनुसार, 11 जून को बीजापुर, सुकमा, नवासारी, जलगांव, अमरावती, चंद्रपुर, मलकाजगिरी, विजयनगरम और इस्लामपुर पहुंच गया है, लेकिन इसके बाद यह आगे नहीं बढ़ा है.

लंबे समय से चेतावनी दे रहे है वैज्ञानिक

वैज्ञानिक लंबे समय से चेतावनी दे रहे है कि जलवायु परिवर्तन के कारण तीव्र गर्मी और हीटवेव चलेंगी और बारिश के पैटर्न में बदलाव जैसी घटनाएं होंगी. वर्तमान समय में मॉनसून में देरी और गर्मी की लहरें (Heatwave) इन चेतावनियों के वास्तविकता बनने की कड़ी याद दिलाती हैं. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के वैज्ञानिकों ने कहा है कि मॉनसून की यही गति इस महीने के अंत तक यानी जून के आखिर तक बनी रहेगी. इसके बाद फिर यह रफ्तार पकड़ेगी और उत्तर भारत में दस्तक देगी.

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मॉनसून के देर से आने से क्या-क्या होंगे नुकसान?

मॉनसून के देरी से आने से लोगों को भीषण गर्मी का सामना तो करना पड़ रही रहा है. इसके साथ ही इसका सीधा असर लोगों को पॉकेट पर भी पड़ने वाला है. क्योंकि, भार में कृषि बहुत हद तक मॉनसून पर निर्भर है और बारिश की कमी से खेती-किसानी पर असर पड़ेगा, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है. पिछले कुछ दिनों में सब्जियां महंगी हो गई हैं और स्थिति ऐसी ही बनी रही तो धान के उत्पादन पर भी असर पड़ेगा.

मॉनसून आने में क्यों हो रही है देरी?

पिछले कुछ सालों से मॉनसून का यह पैटर्न बन गया है कि केरल में जल्दी प्रवेश करने के बाद भी उत्तर भारत में देर से पहुंचता है. हालांकि, इसको लेकर मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके पीछे कोई खास वजह नहीं है और इसे एक घटना नहीं कहा जा सकता. हालांकि, यदि बंगाल की खाड़ी में मॉनसून मजबूत होता है, तो देश के उत्तरी हिस्सों की ओर मॉनसून के तेजी से बढ़ने की बहुत अधिक संभावना होती है. इसके अलावा कमजोर अलनीनो भी मॉनसून को देर कराता है. जब पश्चिमी हवाएं ज्‍यादा समय तक भारतीय क्षेत्र में रहती हैं तो दक्षिण पश्चिम मॉनसून की हवाओं को इन्‍हें काटना पड़ता है और इस वजह से मॉनसून में देरी होती है.

असम में बाढ़ के बिगड़े हालात बिगड़े

असम में भारी बारिश के बाद बाढ़ से हालात बिगड़ते जा रहे हैं और आठ जिलों में 1.05 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक बक्सा, बारपेटा, दरांग, धेमाजी, गोलपारा, करीमगंज, नागांव और नलबाड़ी जिलों में बाढ़ की वजह से एक लाख पांच हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं. करीमगंज में हालात सबसे खराब हैं, जहां 95,300 से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. इसके बाद नागांव में करीब पांच हजार लोग प्रभावित हुए हैं. वहीं, धेमाजी में तीन हजार 600 से ज्यादा लोग बाढ़ के पानी में फंसे हुए हैं.

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