Mumbai News: मुंबई की 36 सीटों में से इंडिया गठबंधन की तरफ से कांग्रेस को सिर्फ 11 सीटें ही दी गई हैं. 2019 के चुनावों में कांग्रेस ने 30 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार सीटों की संख्या घटकर आधी से भी कम रह गई है. इसके मायने समझे जाने चाहिए.
Trending Photos
Maharashtra Vidhansabha Chunav: महाराष्ट्र की सियासी बिसात पर इस बार कई दिलचस्प मोड़ देखने को मिल रहे हैं. सत्ता पक्ष की महायुति यानि की बीजेपी गुट, और विपक्ष के महा विकास अघाड़ी यानि कि कांग्रेस गुट दोनों ने अपने-अपने मोहरे सजा लिए हैं. कई बागी नेता भी निर्दलीय रूप में चुनावी मैदान में हैं. राजनीतिक विश्लेषक मानकर चल रहे हैं कि इस बार मुकाबला ना सिर्फ कांटे का है, बल्कि हर सीट पर नए समीकरण बनते-बिगड़ते दिखाई दे रहे हैं. इसी बीच आइए जानते हैं कि आर्थिक राजधानी मुंबई में इंडिया गठबंधन की सीटों की साझेदारी क्या रूप ले रही है.
असल में सच बात तो यह है कि इस विधानसभा चुनावों में मुंबई की 36 सीटों में से इंडिया गठबंधन की तरफ से कांग्रेस को सिर्फ 11 सीटें ही दी गई हैं. अगर पिछले 2019 के चुनावों की बात करें तो कांग्रेस ने 30 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार सीटों की संख्या घटकर आधी से भी कम रह गई है. यह अब तक के हालिया सालों में कांग्रेस के लिए सबसे कम सीटें हैं. इसके मायने समझे जाने चाहिए.
यह बात भी है कि शिवसेना UBT के साथ कांग्रेस की मुंबई इकाई की कई दौर की बातचीत चली. कांग्रेस की मुंबई अध्यक्ष सांसद वर्षा गायकवाड़ और विधायक असलम शेख केवल 11 सीटें ही पार्टी के लिए सुनिश्चित कर सके. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार जिन सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है, उनमें से कई सीटें भाजपा के मजबूत गढ़ मानी जाती हैं, जहां कांग्रेस के जीतने की संभावना बहुत ही कम है. यह भी कांग्रेस के लिए एक चिंता की बात है. यह सवाल बना रहेगा कि शिवसेना UBT और शरद की पार्टी ने क्या ऐसा जानबूझकर किया है.
इन 11 सीटों में से 4 पर कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं, जबकि बांद्रा ईस्ट सीट की अदला-बदली करके चांदीवली सीट को शिवसेना (UBT) के साथ बांट लिया गया. कांग्रेस ने बायकुला और वर्सोवा जैसी सीटों का दावा छोड़ दिया, जिन पर वह चुनाव लड़ना चाहती थी. यहां गौर करने वाली बात यह भी रहेगी कि कई रिपोर्ट्स में सामने आया कि महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग को लेकर राहुल गांधी बहुत खुश नहीं नजर आए थे.
उधर एनसीपी एसपी ने भी 3 सीटों पर अपनी दावेदारी ठोकी है, जबकि उनके पास मुंबई में कोई मौजूदा विधायक नहीं है. समाजवादी पार्टी 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. यह तो सत्य है कि इस बार की बातचीत में मुंबई कांग्रेस नेतृत्व को उचित सीटें नहीं मिल सकीं, जो भविष्य में पार्टी की स्थिति पर प्रभाव डाल सकती हैं. पहली बार नॉर्थ ईस्ट मुंबई में कांग्रेस सिर्फ एक सीट मुलुंड से चुनाव लड़ रही है, जहां पर एनसीपी (एसपी) और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवार नामांकन भर चुके हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में कांग्रेस नेता वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि हम कम से कम 14-15 सीटें चाहते थे और इसके लिए कई दौर की बातचीत भी हुई. लेकिन अंत में हमें सिर्फ 11 सीटें ही मिलीं क्योंकि शिवसेना वहां अपने उम्मीदवार चाहती थी. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि हम बायकुला और वर्सोवा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन अब गठबंधन धर्म का पालन करते हुए हम अधिकतम सीटें जीतने का प्रयास करेंगे. अब यही एक कारण है या कोई और बात है.. ये तो कांग्रेस ही जाने लेकिन एक बात साफ है कि बीजेपी को हराने के लिए फिलहाल कांग्रेस के पास और कोई विकल्प भी नहीं है.