World Cup 2019: इस कोच ने मुंबई को IPL चैंपियन बनाया, पर देश की टीम से जुड़ने से मना किया
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World Cup 2019: इस कोच ने मुंबई को IPL चैंपियन बनाया, पर देश की टीम से जुड़ने से मना किया

मुंबई इंडियंस को आईपीएल चैंपियन बनाने वाले कोच ने कहा कि उनका अपने देश की क्रिकेट से मोहभंग हो गया है.

आईपीएल के एक मैच से पहले महेला जयवर्धने (दाएं), सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर. (फोटो: PTI)

कोलंबो: मुंबई इंडियंस को आईपीएल में दो बार चैंपियन बनाने वाले कोच ने अपने देश की टीम से जुड़ने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि देश में क्रिकेट की जो आज हालत है, उसके कारण इस खेल से उनका मोहभंग हो गया है. बात हो रही है श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर महेला जयवर्धने (Mahela Jayawardene) की. उन्होंने हाल ही में विश्व कप (World Cup 2019) अभियान के लिए श्रीलंकाई टीम से जुड़ने से मना किया है. 

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महेला जयवर्धने के हवाले से क्रिकइंफो ने लिखा, ‘मुझे (निमंत्रण) दिया गया था, लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण मेरे पास और कई अन्य काम हैं. मुझसे जिस भूमिका की उम्मीद की गई थी, मैं उसे समझ नहीं पाया हूं. अब मुझे इसमें शामिल करने का कोई मतलब नहीं है. टीम चुन ली गई है और अब सबकुछ हो चुका है. अब मेरे लिए इसमें कोई जगह नहीं है.’ 

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श्रीलंका के पूर्व कप्तान ने कहा, ‘मैं टीम प्रबंधन के साथ अपने छोटे से योगदान से अब भी खुश हूं, लेकिन सीएलसी (श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड) के साथ कुछ नहीं करूंगा. ये कुछ चीजें हैं, जिसे मैंने खुद को बताया है. मैं उनमें से नहीं हूं, जो किसी के लिए भी काम करना शुरू कर दूं, खासकर तब जब मुझे पता है कि मेरे लिए वह सही जगह नहीं है.’ 

जयवर्धने ने इससे पहले श्रीलंका की घरेलू क्रिकेट में सुधार को लेकर अपनी योजना पेश की थी, लेकिन यह विफल रहा था. इसके अलावा उन्होंने लगातार कप्तान बदले जाने को लेकर भी अपनी निराशा जाहिर की और कहा कि ये सभी राजनीति के शिकार हुए हैं.

जयवर्धने ने 2015 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था. इसके बाद एंजेलो मैथ्यूज, दिनेश चंडीमल, थिसारा परेरा, लसिथ मलिंगा, चमारा कपूगेडरा और दिमुथ करुणारत्ने को कप्तान बनाया गया. जयवर्धने ने कहा, ‘मैंने और कुमार (संगकारा) ने केवल यही सलाह दी थी कि एंजेलो को क्रिकेट में राजनीति नहीं लाना चाहिए था.
उन्हें एक मजबूत कप्तान बनने की जरूरत थी. लेकिन उन्होंने क्रिकेट को राजनीति से जोड़ दिया. उन्होंने अन्य लोगों को यह अधिकार दे दिया कि वे निर्णय लें.’ 

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