नई दिल्ली: विश्व कप खेलने जा रही किसी भी टीम के लिए इससे अच्छी बात क्या होगी कि उसके पास दुनिया का नंबर-1 बल्लेबाज और नंबर-1 गेंदबाज दोनों हैं. इस बार यह संयोग भारतीय टीम के साथ है. विराट कोहली और जसप्रीत बुमराह फिलहाल दुनिया के नंबर-1 बल्लेबाज और नंबर-1 गेंदबाज हैं. लेकिन भारतीय टीम को इस बात से इतराने की जरूरत नहीं है. क्योंकि अगर भारत को विश्व चैंपियन बनना है तो उसके बल्लेबाजों और गेंदबाजों से ज्यादा अहम रोल ऑलराउंडरों को निभाना होगा. भारतीय टीम इस बार तीन ऑलराउंडरों हार्दिक पांड्या, विजय शंकर और रवींद्र जडेजा के साथ उतरने जा रही है.
भारत ने अब तक दो विश्व कप जीते हैं. वह 1983 में पहली बार ऑलराउंडर कपिल देव की कप्तानी में चैंपियन बना था. तब उनकी टीम में मदन लाल, रोजर बिन्नी और मोहिंदर अमरनाथ के रूप में बेहतरीन ऑलराउंडर मौजूद थे. इसी तरह जब उसने 2011 में दूसरी बार विश्व कप का खिताब जीता तो ऑलराउंडर युवराज सिंह प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुने गए. जाहिर है इस बार भी भारतीय टीम की उम्मीदें ऑलराउंडरों पर लगी हुई हैं.
1983 में टीम में 4 बेहतरीन ऑलराउंडर थे
1983 के विश्व कप में टॉप-5 में सिर्फ एक भारतीय बल्लेबाज थे और वे ऑलराउंडर कपिल (303 रन) ही थे. इसी तरह टॉप-5 में दो भारतीय गेंदबाज रोजर बिन्नी (18 विकेट) और मदन लाल (17 विकेट) थे. दिलचस्प बात यह है कि कपिल ने भारत के लिए सबसे अधिक रन बनाने के साथ-साथ 12 विकेट झटके थे. दूसरी ओर, आठवें-नौवें नंबर पर बैटिंग करने वाले मदन लाल ने 102 और रोजर बिन्नी ने 73 रन बनाए थे. मजेदार बात यह है कि सेमीफाइनल और फाइनल में मैन ऑफ द मैच का खिताब ऑलराउंडर मोहिंदर अमरनाथ के खाते में ही गया था. अमरनाथ ने टूर्नामेंट में 237 रन बनाए थे और आठ विकेट भी झटके थे.
2011 में युवराज अकेले ही सब पर भारी पड़े
भारत ने दूसरा विश्व कप 2011 में जीता. इस विश्व कप में भारत के बल्लेबाजों और गेंदबाजों दोनों ने ही शानदार प्रदर्शन किया. लेकिन ऑलराउंडर युवराज के प्रदर्शन ने सोने पर सुहागे का काम किया. उन्होंने इस विश्व कप में 362 रन बनाए और 15 विकेट भी झटके. उनके प्रदर्शन ने ही भारत को वह संतुलन दिया, जो किसी चैंपियन टीम के लिए जरूरी होता है. टीम में वैसे तो सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, सुरेश रैना और यूसुफ पठान भी गेंदबाजी करने में सक्षम थे. लेकिन युवराज की गेंदबाजी ने इसकी जरूरत नहीं पड़ने दी.
इस बार हार्दिक पांड्या पर बड़ा दारोमदार
अब 2019 में भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने विश्व कप के लिए जिस टीम इंडिया का ऐलान किया है, उसमें तीन ऑलराउंडर हैं. इनमें हार्दिक पांड्या की भूमिका सबसे अहम होने जा रही है. उन पर ना सिर्फ छठे-सातवें नंबर पर विस्फोटक बल्लेबाजी और मैच फिनिश करने की जिम्मेदारी होगी, बल्कि वे टीम के चौथे पेसर के रूप में भी देखे जा रहे हैं.
विजय पर भरोसे पर खरा उतरने का दबाव
विजय शंकर पर भी जो विश्वास दिखाया गया है, वह उम्मीद से परे है. उन्हें नंबर-4 के बल्लेबाज अंबाती रायडू पर वरीयता दी गई है. यानी, उन्हें नंबर-4 पर बल्लेबाजी करते हुए टीम को मजबूत आधार देना होगा और फिर गेंदबाजी में भी हाथ दिखाने होंगे. स्पिन ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा को पिच और टीम कॉम्बिनेशन के आधार पर प्लेइंग इलेवन में जगह मिलेगी.
बेहतरीन फॉर्म में हैं तीनों ऑलराउंडर
अच्छी बात यह है कि भारत के ये तीनों ही ऑलराउंडर इन दिनों फॉर्म में हैं. मुंबई के लिए खेलने वाले हार्दिक पांड्या तो जिस विस्फोटक अंदाज में बैटिंग कर रहे हैं, वह किसी भी विरोधी कप्तान के लिए सिरदर्द हो सकता है. हैदराबाद के विजय शंकर भी मिडिलऑर्डर पर ठीक-ठाक प्रदर्शन कर रहे हैं. और रवींद्र जडेजा चेन्नई की जीत में बैट और बॉल दोनों से ही शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. केदार जाधव को भी गेंदबाजी में आजमाया जाना तय है. वे टीम इंडिया के लिए गोल्डन आर्म की तरह काम करते रहे हैं और कैप्टन विराट कोहली चाहेंगे कि आगे भी ऐसा होता रहे.