B'day Special: जब अटल बिहारी वाजपेयी को हराने के लिए नेहरू ने उतारा था ये सुपरस्टार
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B'day Special: जब अटल बिहारी वाजपेयी को हराने के लिए नेहरू ने उतारा था ये सुपरस्टार

साल 1962 में पहली बार हमारे देश पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने चुनावी मैदान में अटल बिहारी वाजपेयी को हराने के लिए दो कार्ड का इस्तेमाल किया था, जिसमें से पहला था महिला कार्ड और दूसरा था बॉलीवुड कार्ड.

1962 के चुनाव में वाजपेयी को हराने के लिए नेहरू ने सुभद्रा जोशी को उनके खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए भेजा था (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें आज भी हमारे दिलों जिंदा हैं. 25 दिसंबर आते ही वाजपेयी की यादें इसलिए भी ताजी हो जाती हैं क्योंकि साल 1924 को इसी दिन उनका जन्म ग्वालियर में हुआ था. वाजपेयी ने 16 अगस्त 2018 को आखिरी सांसे ली थीं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कैसे वाजपेयी ने नेहरू के बॉलीवुड कार्ड के शिकार बन गए थे. अगर आपको लगाता कि फिल्मी सितारों का राजनीति में शामिल होना कोई नई बात है तो शायद आप गलत हैं, क्योंकि यह कहानी तो साल 1962 से हमारे देश में चलती आ रही है. जी हां, साल 1962 में पहली बार हमारे देश पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने चुनावी मैदान में अटल बिहारी वाजपेयी को हराने के लिए दो कार्ड का इस्तेमाल किया था, जिसमें से पहला था महिला कार्ड और दूसरा था बॉलीवुड कार्ड. 

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बता दें, नेहरू यह जानते थे कि उस वक्त के युवा नेता वाजपेयी को हराना उनके लिए आसान नहीं था, इसलिए उन्होंने पहले महिला कार्ड और फिर बॉलीवुड कार्ड का इस्तेमाल किया था. 1962 के चुनाव में वाजपेयी को हराने के लिए नेहरू ने सबसे पहले दिल्ली से ऊर्जावान और खूबसूरत सुभद्रा जोशी को उनके खिलाफ बलरामपुर से चुनाव लड़ने के लिए भेजा. सुभद्रा पंजाब से आईं शरणार्थी थीं, एमपी के सागर में हुए 1961 के दंगों के दौरान लोगों को राहत पहुंचाने के लिए उन्होंने काफी काम किया था. दिल्ली में भी कांग्रेस अध्यक्ष रही थीं. पाकिस्तान के सियालकोट की रहने वाली थीं. हालांकि उनका उत्तर प्रदेश से कोई लेना देना नहीं था, बलरामपुर वो पहली बार गई थीं. लेकिन, नेहरू को भरोसा था कि अटलजी के मुकाबले भीड़ कोई सुंदर महिला ही जुटा सकती है. 

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लेकिन, नेहरू ने खाली सुभद्रा जोशी पर ही भरोसा नहीं किया, उन्होंने बलराज साहनी जैसे बड़े फिल्मी अभिनेता से भी संपर्क किया और अटल के खिलाफ सुभद्रा के हक में चुनाव प्रचार करने का अनुरोध किया. प्रख्यात उर्दू कवि और राज्यसभा के पूर्व सदस्य बेकल उस्ताही ने न्यज एजेंसी पीटीआई से कहा था, 'वाजपेयी को हराने के लिए नेहरू ने मेरे साथ दिग्गज अभिनेता साहनी को बलरामपुर भेजा था.' उन्होंने कहा था, "बलराज जी मेरे घर पर दो दिन रहे और इसका परिणाम इतिहास रहा- एक राजनीतिक नौसिखिए ने एक बैठे हुए सांसद को हराया," उन्होंने कहा, "बलराज जी ने भीड़ में खींचने में मदद की."

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बेशक, कई वर्षों बाद वाजपेयी भी देश के प्रमुख बन गए, एक बार नहीं बल्कि दो बार, केवल 13 दिनों के लिए पहली बार और दूसरी बार लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल के लिए. बेकल उस्ताही ने कहा था, "यह बलरामपुर था जिसने पहली बार चुनावों के दौरान प्रचार करने वाले फिल्मी सितारों के साथ भारतीय राजनीति में एक नया आयाम जोड़ा. तब से कई अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को प्रत्याशियों के रूप में चुना गया या चुनाव प्रचार में मदद मिली." इसके बाद से ही फिल्मी सितारों का राजनीत पार्टियों के लिए प्रचार प्रसार करना शुरू हुआ. कभी अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना और सुनील दत्त जैसे दिग्गज अभिनेताओं ने चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस का साथ देते नजर आए, तो वहीं चुनावी धुनों को बेहतर बनाने के लिए शत्रुघ्न सिन्हा, विनोद खन्ना, हेमा मालिनी और धर्मेंद्र बिजेपी के साथ खड़े दिखे और अब बॉलीवुड के कई सितारे इस मैदान में नजर आते हैं.

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