Early Warning System: क्या है और कैसे काम करता है अर्ली वार्निंग सिस्टम, कौन भेजता है चेतावनी? जानिए SOP डिटेल्स
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Early Warning System: क्या है और कैसे काम करता है अर्ली वार्निंग सिस्टम, कौन भेजता है चेतावनी? जानिए SOP डिटेल्स

What Is Early Warning System: वायनाड भूस्खलन के मामले में बुधवार को राज्यसभा में बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि केरल सरकार को अर्ली वार्निंग सिस्टम के जरिए अलर्ट भेजा गया था. उन्होंने कहा कि केरल में इसे नजरअंदाज किया गया, जबकि ओडिशा और गुजरात में पहले इस पर एहतियाती कदम उठाकर बड़े पैमाने पर जान माल को बचाया गया था. आइए, जानते हैं कि अर्ली वार्निंग सिस्टम क्या है?

Early Warning System: क्या है और कैसे काम करता है अर्ली वार्निंग सिस्टम, कौन भेजता है चेतावनी? जानिए SOP डिटेल्स

Early Warning System Work SOP: संसद के मानसून सत्र में बुधवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में केरल के वायनाड भूस्खलन मुद्दे पर विपक्ष के सवालों और आरोपों का जवाब दिया. इस दौरान उन्होंने अर्ली वार्निंग सिस्टम के द्वारा लगातार भेजी जा रही चेतावनियों को नजरअंदाज करने के लिए केरल की वामपंथी सरकार को घेरा. 

आपदा प्रबंधन में अर्ली वार्निंग सिस्टम बेहद कारगर

गृह मंत्री शाह ने इसके साथ ही ओडिशा और गुजरात की तत्कालीन सरकारों की तारीफ की जिन्होंने केंद्र से भेजे गए अलर्ट के बाद सही समय पर एहतियाती कदम उठाते हुए जीरो कैजुअलिटी डिजास्टर मैनेजमेंट की मिसाल पेश की थी. अमित शाह ने इस दौरान देश में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अर्ली वार्निंग सिस्टम के डेवलपमेंट के बारे में विस्तार से चर्चा की. आइए जानते हैं कि ये सिस्टम क्या है और कैसे काम करता है?

लगातार बढ़ती जा रही प्राकृतिक आपदाओं से जान-माल का नुकसान

दुनिया में लगातार बढ़ती जा रही प्राकृतिक आपदाओं से बड़े पैमाने पर होने वाली जान-माल की हानि को देखते हुए लंबे समय से समय से पहले आपदाओं के अनुमान की वैज्ञानिक उपाय विकसित करने पर काम चल रहा था. संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय (UNDRR) के एक आंकड़े के मुताबिक, साल 2001 से 2020 तक दर्ज की गई 357 सालाना विनाशकारी घटनाओं के औसत को बढ़ाते हुए अकेले साल 2021 में 432 विनाशकारी आपदा आई थी. 

सबसे कमजोर लोगों पर सबसे ज्यादा होता है आपदाओं का प्रभाव 

पिछले साल ही, दुनिया भर में 101.8 मिलियन लोग प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हुए थे. इससे 252.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आर्थिक नुकसान का आकंड़ा सामने आया था. आपदाओं का प्रभाव किसी भी देश में सबसे कमजोर लोगों पर सबसे ज्यादा होता है. इसलिए, सुनामी, भूकंप, चक्रवाती तूफान, भूस्खलन, भारी बारिश, बाढ़, बादल फटने, अकाल जैसी प्राकृतिक आपदाओं के पहले ही चेतावनी की प्रणाली को कुछ देशों ने बना भी लिया है. 

अर्ली वार्निंग सिस्टम क्या है, कैसे काम करता है और इसके प्रमुख तत्व

अर्ली वार्निंग सिस्टम खतरे की निगरानी, ​​पूर्वानुमान और भविष्यवाणी, आपदा जोखिम के आकलन, संचार, राहत, बचाव की तैयारी समेत तमाम प्रक्रियाओं की एक एकीकृत प्रणाली जो व्यक्तियों, समुदायों, सरकारों, व्यवसायों और बाकी लोगों को खतरनाक घटनाओं से पहले आपदा जोखिमों को कम करने के लिए समय पर कार्रवाई करने में सक्षम बनाती है. इसके असरदार होने के लिए चार प्रमुख तत्वों की जरूरत होती है. ये हैं- 

(1) डेटा और आपदा जोखिम आकलन के व्यवस्थित संग्रह के आधार पर आपदा जोखिम ज्ञान
(2) खतरों और संभावित परिणामों का पता लगाना, निगरानी, ​​विश्लेषण और पूर्वानुमान
(3) आधिकारिक स्रोत द्वारा, आधिकारिक, समय पर, सटीक और कार्रवाई योग्य चेतावनियों और संभावना और प्रभाव पर संबंधित जानकारी का प्रसार और संचार
(4) प्राप्त चेतावनियों का जवाब देने के लिए सभी स्तरों पर तैयारी.

24 घंटे पहले भी एक्टिव होने पर 30 फीसदी तक कम होता है नुकसान

आपदाओं के जोखिम को कम से कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अर्ली वार्निंग सिस्टम या प्रारंभिक (पूर्व) चेतावनी प्रणालियों का विकास किया गया है. आपदा के विनाशकारी प्रभावों को कम करने में काम आने वाला एक असरदार वार्निंग सिस्टम कई लोगों की जान बचाने और आपदा से महज 24 घंटे पहले भी एक्टिव होने पर नुकसान को 30 फीसदी तक कम करने में सक्षम है. हालांकि, मौजूदा दौर में दुनिया की एक-तिहाई आबादी, खासकर सबसे कम विकसित देशों में आपदाओं को अभी भी प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों द्वारा कवर नहीं किया जाता है.

7 दिन पहले आपदा का अनुमान देने वाले दुनिया के 4 देशों भारत शामिल

गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा, 'नरेंद्र मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने, 2016 से अर्ली वार्निंग सिस्टम का प्रोजेक्ट चालू हुआ और 2023 तक दुनिया का सबसे आधुनिक अर्ली वार्निंग सिस्टम भारत में है. इसमें 7 दिन पहले अनुमान देने वाले दुनिया में 4 ही देश हैं, जिनमें से एक भारत है. भारत सरकार ने 2014 के बाद अर्ली वार्निंग सिस्टम के लिए 2 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं. सात दिन पहले हर राज्य को सूचना भेजी जाती है. वो सूचना वेबसाइट पर सबके लिए उपलब्ध रहता है. इसके जरिए जीरो कैजुअलिटी डिजास्टर मैनेजमेंट के मकसद को पूरा किया जा सकता है.'

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भारत में कौन जारी करता है आपदाओं की पूर्व चेतावनी, क्या है प्रोटोकॉल

भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत भारत मौसम विज्ञान विभाग देश में आपदाओं के पूर्वानुमान का अलर्ट या चेतावनी भेजता है. मौसम के परिवर्तन, पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान का कार्यभार संभालने वाली इस प्रमुख एजेंसी मुख्यालय राजधानी नई दिल्ली में स्थित है. सरकारी चैनलों के अलावा अपनी वेबसाइट, सोशल मीडिया हैंडल्स, न्यूज एजेंसी और मुख्यालय के बाहर लगे क्योस्क के जरिए भी मौसम विभाग वार्निंग भेजता है. हालांकि, बड़े आपदाओं की जानकारी को लेकर सरकारी प्रोटोकॉल्स का पालन किया जाता है ताकि आम जनता में डर या हड़बड़ी न फैले. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय संबंधित राज्यों और राहत-बचाव एजेंसियों के समन्वय से जरूरी एहतियातन कदम उठाती है.

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