क्या आपके बच्चे भी हैं मोबाइल फोन एडिक्टड: घातक बीमारी बनने से पहले ये करें उपाय
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क्या आपके बच्चे भी हैं मोबाइल फोन एडिक्टड: घातक बीमारी बनने से पहले ये करें उपाय

मोबाइल दिनोदिन आपकी जरुरत बनती जा रही है. बिना मोबाइल फोन के इन दिनों को लाइफ का आसानी से चलना नामुमकिन सा लगने लगा है. लेकिन अगर आपके घर के बच्चों को हमेशा मोबाइल पर देखने लगे तो अब सावधान होने का समय आ गया है. सुबह से शाम तक मोबाइल में जुड़े रहने की वजह से तमाम बीमारियां सामने आ रही है. एक ताजा रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि लगभग 50 प्रतिशत बच्चे मोबाइल फोन अडिक्टशन से ग्रसित हैं. समय रहते इसका उपाय नहीं किया गया तो हो सकते हैं घातक परिणाम...

प्रतीकात्मक तस्वीर....

मोबाइल दिनोदिन आपकी जरुरत बनती जा रही है। बिना मोबाइल फोन के इन दिनों को लाइफ का आसानी से चलना नामुमकिन सा लगने लगा है। लेकिन अगर आपके घर के बच्चों को हमेशा मोबाइल पर देखने लगे तो अब सावधान होने का समय आ गया है। सुबह से शाम तक मोबाइल में जुड़े रहने की वजह से तमाम बीमारियां सामने आ रही है। एक ताजा रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि लगभग 50 प्रतिशत बच्चे मोबाइल फोन अडिक्टशन से ग्रसित हैं। समय रहते इसका उपाय नहीं किया गया तो हो सकते हैं घातक परिणाम...

ये हैं बीमारियां जो सिर्फ मोबाइल फोने में चिपके रहने से हो रही हैं...
डाक्टरों का कहना है कि ज्यादा मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाले बच्चे परिवारों और रिश्तेदारों से अलग-थलक रहने लगते हैं। मोबाइल फोन बच्चों को चिढ़चिढ़ा बना रही है। पढ़ने लिखने में मन नही लगता और बच्चे अनिद्रा के शिकार होने भी लगे हैं। डाक्टर आगे बताते हैं कि इन बच्चों को फोन से थोड़ी देर दूर रखने पर बैचेन होने के लक्षण भी नजर आने लगते हैं।

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कैसे बचाएं मोबाइल के अडिक्शन से...
मनोरोग विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर आपका बच्चा सुबह शाम मोबाइल से चिपका नजर आता है तो इसे गंभीरता से लेने की जरुरत है। बच्चों को ऐसे लत से बचाने के लिए माता-पिता को बच्चों सें बातचीत में खास ध्यान देना शुरु करना चाहिए। बच्चों को मोबाइल से होने वाले बीमारियों के बारे में अवगत कराएं। बच्चों को खुद अपने मोबाइल इस्तेमाल पर ध्यान देने को कहें। इन दिनों कई मोबाइल एप्प भी मौजूद हैं जो बच्चों के इस्तेमाल करने के समय और गतिविधियों पर ध्यान रखते हैं। मनोरोग यह भी कहते हैं कि घर में कुछ समय स्क्रीन फ्री यानि बिना मोबाइल और टीवी के समय बिताने के लिए समय को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। मसलन, खाना खाते वक्त, शाम बातचीत और रात्रि भोजन पश्चात जैसे समय में मोबाइल पर पूरी तरह से पाबंदी लगानी चाहिए। 

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