गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर का लक्षण हो सकता है पेट दर्द, कभी न करें इग्नोर
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गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर का लक्षण हो सकता है पेट दर्द, कभी न करें इग्नोर

गर आपको बार-बार पेटदर्द की शिकायत हो रही है तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें, क्योंकि गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर में भी सामान्य तौर पर पेट दर्द की ही शिकायत होती है. 

विशेषज्ञों की मानें तो किसी भी कैंसर से बचाव का सबसे सही उपाय है अपनी डाइट में सुधार है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्लीः सामान्य तौर पर जब भी किसी को पेट दर्द की शिकायत होती है तो वह मेडिकल स्टोर में जाकर पेट दर्द की दवाई ले लेता है या फिर घरेलू नुस्खों से ही पेटदर्द से छुटकारा पाने में लग जाता है, लेकिन इसी पेटदर्द की अनदेखी कई बार आपको गंभीर बीमारियों का लक्षण हो सकता है. ऐसे में कोशिश करें कि कभी भी पेटदर्द और अपच को आप इग्नोर न करें. अगर आपको बार-बार पेटदर्द की शिकायत हो रही है तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें, क्योंकि गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर में भी सामान्य तौर पर पेट दर्द की ही शिकायत होती है. बता दें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर (पेट की आंतों या पेट के कैंसर) भारत में चौथा सबसे ज्यादा संख्या में लोगों को होने वाला कैंसर बन गया है. पिछले साल जीआई कैंसर के 57,394 मामले सामने आए.

क्या है गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर
दरअसल, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर पेट की आंतों का या फिर कहें, पेट का कैंसर होता है. जो धीरे-धीर बढ़ता जाता है और शरीर के आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरु कर देता है. यह कैंसर शरीर के अंदर आंतों, गुर्दे, पित्ताशय, पैनक्रियाज और पाचन ग्रंथि को चपेट में लेने लगता है और इन्हें निष्क्रिय बना देता है. इसलिए कभी भी पेट दर्द को हल्के में नहीं लेना चाहिए और जरूरत पड़े तो बार-बार पेट दर्द होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लेना चाहिए.

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गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर से बचा
विशेषज्ञों की मानें तो किसी भी कैंसर से बचाव का सबसे सही उपाय है अपनी डाइट में सुधार और जरूरी बदलाव करना. साथ ही बढ़ते वजन पर कंट्रोल करने से भी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर से बचा जा सकता है. अगर पित्त की पथरी या कोई समस्या हो रही है तो सबसे पहले डॉक्टर से सलाह लें.

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कोलनगियोस्कोपी कराना होता है जरूरी
मेडिकल दखल जैसे कोलनगियोस्कोपी की मदद से कैंसर को देखने और उनके ऊतकों का परीक्षण करने में मदद मिलती है. इससे पित्ताशय की थैली के कैंसर का जल्द पता लगाया जा सकता है. लेकिन रूटीन चेकअप और नॉर्मल डॉक्टरी सलाह से इसका पता नहीं लगाया जा सकता.

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