अगर आपके बच्चों को भी होती है बार-बार फूड एलर्जी, तो ऐसे हो सकता है बचाव
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अगर आपके बच्चों को भी होती है बार-बार फूड एलर्जी, तो ऐसे हो सकता है बचाव

यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो, आरगॉन नेशनल लेबोरेटरी और इटली स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ नेपल्स फेडेरिको-2 के शोधकर्ताओं ने हाल ही में किए गए एक शोध में पाया कि आंतों मे मिलने वाली बैक्टीरिया खाने-पीने से बच्चों को होने वाली एलर्जी से काफी हद तक बचाती है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली : स्वस्थ बच्चों की आंतों में पाए जाने वाले जीवाणु (बैक्टीरिया) उनको भोजन से होने वाली एलर्जी से बचा सकता है. यह बात एक हालिया शोध में सामने आई है. समाचार एजेंसी 'सिन्हुआ' की रिपोर्ट के अनुसार, यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो, आरगॉन नेशनल लेबोरेटरी और इटली स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ नेपल्स फेडेरिको-2 के शोधकर्ताओं ने हाल ही में किए गए एक शोध में पाया कि आंतों मे मिलने वाली बैक्टीरिया खाने-पीने से बच्चों को होने वाली एलर्जी से काफी हद तक बचाती है.

मल के नमूनों का भी हुआ प्रत्यारोपित
तकरीबन आठ बच्चों को इस शोध में शामिल किया गया. इनमें से चार बिल्कुल स्वस्थ थे और चार ऐसे थे जिन्हें गाय के दूध से एलर्जी थी. इन बच्चों के पेट के जीवाणुओं को चूहों के समूहों में मल के नमूने के माध्यम से प्रत्यारोपित किया गया. चूहों को पूरी तरह जीवाणु व रोगाणु रहित वातावरण रखा गया और उनको बच्चों के ही जैसे भोजन दिया गया. 

शोध के नतीजों में एलर्जी वाले बच्चों से प्राप्त जीवाणु ग्रहण करने वाले चूहों में एनाफिलेक्सिस की शिकायत पाई गई. यह एलर्जी का ऐसा प्रभाव है जिससे जान भी जा सकती है. रोगाणु रहित वातावरण में रखे गए चूहे जिनको कोई जीवाणु नहीं दिया गया था उनमें भी गंभीर प्रतिक्रिया पाई गई. लेकिन, जिनको स्वस्थ्य जीवाणु दिए गए थे वे पूरी तरह सुरक्षित पाए गए और उनमें किसी प्रकार की एलर्जी नहीं पाई गई.

आरगोन के प्रोफेसर डियोनीसिओस एंटोनोपौलस ने कहा, "हम देखते हैं कि आंत में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों का गहरा असर होता है जो भोजन के घटकों से होने प्रभाव से बचाता है."

(इनपुटःआईएएनएस)

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