कारगिल युद्ध के बीस साल: 27 मई 1999 को वायुसेना ने खोए थे दो जेट
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कारगिल युद्ध के बीस साल: 27 मई 1999 को वायुसेना ने खोए थे दो जेट

कारगिल की पहाड़ियों में पाकिस्तानी घुसपैठियों के होने की ख़बर भारतीय सेना को मई के पहले हफ्ते में लगी. कुछ गश्ती दलों पर हमला हुआ और सीमापार से होने वाली गोलाबारी बेहद सटीक हो गई.

स्क्वाड्रन लीडर अजय आहुजा का जेट मिसाइल का शिकार हो गया.

बठिंडा: बीस साल पहले 27 मई 1999 की सुबह लगभग 11 बजे, लद्दाख में बटालिक की पहाड़ियों के ऊपर उड़ते हुए चार मिग-27 लड़ाकू जेट्स की फॉर्मेशन को कमांड कर रहे फ्लाइंट लेफ्टिनेंट अनुपम बनर्जी को अपने साथी का आख़िरी रेडियो संदेश मिला. लड़ाई की शुरुआत में और पहले ही हमले में कुछ बहुत बुरा घट गया था.

कारगिल की पहाड़ियों में पाकिस्तानी घुसपैठियों के होने की ख़बर भारतीय सेना को मई के पहले हफ्ते में लगी. कुछ गश्ती दलों पर हमला हुआ और सीमापार से होने वाली गोलाबारी बेहद सटीक हो गई. 19 मई को काकसर में 4 जाट का एक गश्ती दल कैप्टन सौरभ कालिया और 5 जवानों के साथ गायब हो गया. भारत ने 2 लाख सैनिकों को द्रास, कारगिल और बटालिक रवाना कर दिया. 25 मई को एयरस्ट्राइक्स की मंज़ूरी दे दी गई और 26 मई को भारतीय वायुसेना ने ऊंची पहाड़ियों पर मोर्चाबंद पाकिस्तानी घुसपैठियों को ख़देड़ने के लिए ऑपरेशन सफ़ेद सागर शुरू कर दिया. कई एयरबेसों से फ़ाइटर जेट श्रीनगर पहुंच गए. आदमपुर से ज़मीनी हमला करने में माहिर मिग-27 की स्क्वाड्रन नंबर 9 ' WOLF PACK ' भी उन्हीं में थी.

26 मई को वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल एवाई टिपणिस ने पूरे इलाक़े का हवाई दौरा किया और दूसरे दिन बटालिक की मुंथोढालो की पहाड़ियों पर हमले का फैसला किया. यहां ऊंचाई पर पाकिस्तानियों का रसद-गोलाबारूद का भंडार था और बड़ी तादाद में घुसपैठिये जमा  थे. हमला WOLF PACK को करना था, आसमान में सुरक्षा देने के लिए श्रीनगर में तैनात स्क्वाड्रन 51 'SWORD ARM' के 2 मिग-21 और हमले की कामयाबी का जायज़ा लेने  (BATTLE DAMAGE ASSESSMENT) के लिए पीछे से बठिंडा में तैनात स्क्वाड्रन नंबर 17 ' GOLDEN ARROW' के दो मिग-21 को जाना था.

WOLF PACK की फॉर्मेशन में फ्लाइट लेफ्टिनेंट अनुपम बनर्जी, फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता, फ्लाइट लेफ्टिनेंट ए. मोंडाकोट और फ्लाइट लेफ्टिनेंट बी खटाना शामिल थे. चारों जेट्स ने मुंथोढालो को तबाह करने के लिए लगभग 10.30 बजे सुबह श्रीनगर से उड़ान भरी. दुश्मन को चकमा देने के लिए लंबे रास्ते से मुंथोढालो पहुंचे WOLF PACK के जेट्स ने 11 बजे पाकिस्तानियों के ठिकानों पर बमों और रॉकेट्स से हमला किया. हमले के फौरन बाद वो वापस मुड़े. अब मुश्किल शुरू होने ही वाली थी. फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता का जेट दुर्घटनाग्रस्त हो गया.

फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता को अपना जेट छोड़कर इजेक्ट करना पड़ा. वायुसेना का दावा है कि उनका इंजन खराब हो गया था. फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोंडोकोट उनके पेयर में थे, इसलिए उन्होंने चक्कर लगाने कर उन्हें तलाश करने की कोशिश की. लेकिन उनके जेट का फ्यूल भी कम हो रहा था, इसलिए वह भी श्रीनगर के लिए वापस चल पड़े. इस बीच श्रीनगर से हमले की कामयाबी का जायजा (BATTLE DAMAGE ASSESSMENT) के लिए स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा और फ्लाइंग ऑफ़िसर रेड्डी उड़ान भर रहे थे. उन्हें नचिकेता का जेट क्रैश होने की जानकारी दे दी गई. दोनों मिग-21 जब मुंथोढालो पहुंचे तो पिछले हमले से सतर्क पाकिस्तानियों ने स्टिंगर मिसाइलों से उन्हें निशाना बनाया.

स्क्वाड्रन लीडर आहुजा का जेट मिसाइल का शिकार हो गया. उन्होंने इजेक्ट किया लेकिन तब तक वो पाकिस्तानी ब्रिगेड हेडक्वार्टर के पास पहुंच चुके थे. उन्हें पाकिस्तानियों ने बंदी बनाकर यातनाएं दीं और मार डाला. जब उनका शव मिला तो उसपर गोलियों के निशान थे. ये एक COLD BLOODED MURDER था.

नचिकेता को पाकिस्तानी स्कार्दू ले गए जहां उनसे पूछताछ की गई. हालांकि पाकिस्तान ने दावा किया कि नचिकेता के साथ अच्छा सलूक हुआ था, लेकिन नचिकेता ने बाद में केवल इतना कहा था कि ये अनुभव शब्दों में बताया नहीं जा सकता, मौत इससे बेहतर होती. उन्हें 3 जून को वाघा बार्डर के रास्ते भारत लाया गया. उनके बाकी साथियों को श्रीनगर लौटने के बाद नचिकेता के बारे में जानकारी मिली. लेकिन पहले ही दिन के इस झटके ने वायुसेना के हौसलों पर कोई असर नहीं डाला. उसके जेट्स ने लगातार हमले कर द्रास, कारगिल और बटालिक की पहाड़ियों पर घुसपैठियों के ठिकानों को तहस-नहस कर डाला. वायुसेना की इस कार्रवाई ने सेना के लिए पहाड़ियों पर हमला करना आसान कर दिया.

फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता ने पाकिस्तान में हुए अपने अनुभवों के बारे में कभी नहीं बताया. वह ग्रुप कैप्टन के रैंक से रिटायर हो गए. फ्लाइट लेफ्टिनेंट अनुपम बनर्जी अब ग्रुप कैप्टन हैं और अभी भी वायुसेना में हैं. स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया.

मिग-27 की WOLF PACK यानि नंबर 9 स्क्वाड्रन को बाद में मिराज स्क्वाड्रन में बदल दिया गया, जो ग्वालियर में तैनात है. बालाकोट पर हमले के लिए गए मिराज जेट्स में हो सकता है WOLF PACK के भी पायलट रहे हों. स्क्वाड्रन नंबर 51 यानि SWORD ARM आज भी श्रीनगर में तैनात है और इस साल 27 फरवरी को पाकिस्तानी हवाई हमले का मुक़ाबला करने गए विंग कमांडर अभिनंदन इसी स्क्वाड्रन के हैं. नंबर 17 स्क्वाड्रन यानि GOLDEN ARROW देश की पहली रफ़ाल स्क्वाड्रन बनने जा रही है, जो अंबाला में तैनात होगी और पाकिस्तान के सामने आसमान में मज़बूत दीवार बनेगी.

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