Air Pollution Death: वायु प्रदूषण से 15 साल घट जाती है उम्र, तिल-तिलकर मरता है इंसान, रिसर्च में खौफनाक खुलासे
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Air Pollution Death: वायु प्रदूषण से 15 साल घट जाती है उम्र, तिल-तिलकर मरता है इंसान, रिसर्च में खौफनाक खुलासे

Side Effects of Air Pollution: ये स्टडी कनाडा में की गई है, जहां प्रदूषण का स्तर कम ही रहता है लेकिन स्टडी के मुताबिक PM 2.5 के कणों का स्तर WHO के टारगेट से भी कम किए जाने की जरूरत है. सितंबर 2021 में WHO ने 10 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर से कम करके इस स्तर को 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर किया था. 

Air Pollution Death: वायु प्रदूषण से 15 साल घट जाती है उम्र, तिल-तिलकर मरता है इंसान, रिसर्च में खौफनाक खुलासे

Causes of Air Pollution: हाल ही में जर्नल साइंस एडवांस में छपी एक स्टडी में चेतावनी देते हुए बताया गया है कि हर साल वायु प्रदूषण से 15 लाख लोगों की उम्र घट जाती है और वो मारे जाते हैं. स्टडी में कहा गया है कि World Health Organization के हाल के अनुमान से बड़ा नुकसान प्रदूषण फैलाने वाले पीएम 2.5 के कण कर रहे है.

लिहाज़ा World Health Organization का अनुमान है कि खराब हवा से मरने वाले लोगों की तादाद 42 लाख है उसमें अब 15 लाख लोग और जुड़ गए हैं. यानी कुल मिलाकर वायु प्रदूषण हर साल 57 लाख लोगों की जान के लिए खतरा बन जाता है रिसर्च में ऐसा भी बताया गया है कि पीएम 2.5 वाले धूल के कण कम स्तर पर होने पर भी बड़ा नुकसान कर रहे हैं. इन कणों से कैंसर, दिल की बीमारियां और सांस की तकलीफों में काफी बढ़ोतरी हो रही है. कनाडा की McGill University के प्रोफेसर स्कॉट विसेंशल की स्टडी के मुताबिक प्रदूषण के हल्के कणों से जितना नुकसान सोचा गया था उससे ज्यादा नुकसान हो रहा है. 

ये स्टडी कनाडा में की गई है, जहां प्रदूषण का स्तर कम ही रहता है लेकिन स्टडी के मुताबिक PM 2.5 के कणों का स्तर WHO के टारगेट से भी कम किए जाने की जरूरत है. सितंबर 2021 में WHO ने 10 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर से कम करके इस स्तर को 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर किया था. लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक ये लेवल और नीचे लाने की जरूरत है. भारत की राजधानी दिल्ली में PM 2.5 का स्तर इन दिनों 300 से 400 के बीच चल रहा है. गौरतलब है कि वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार शून्य से 50 के बीच एक्यूआई अच्छा, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच मध्यम, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच बहुत खराब और 401 से 500 के बीच एक्यूआई गंभीर माना जाता है.

कटिहार सबसे प्रदूषित शहर

वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में बिहार का कटिहार पहले नंबर पर है. वहीं दिल्ली वायु गुणवत्ता सूचकांक में बहुत खराब एक्यूआई के साथ दूसरे नंबर पर काबिज है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 163 अलग अलग शहरों के प्रदूषण के स्तर को मापा है. एनसीआर के नोएडा का 328 और गाजियाबाद का एक्यूआई 304 रहा.

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