इस समिति के अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफ.एम.आई कलीफुल्ला होंगे और उनके साथ आर्ट ऑफ लीविंग के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर व वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू इसके सदस्य होंगे.
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नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद अयोध्या विवाद मामले को सुलझाने के लिए तीन सदस्यीय समिति द्वारा मध्यस्थता का आदेश दिया है. इस समिति के अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफ.एम.आई कलीफुल्ला होंगे और उनके साथ आर्ट ऑफ लीविंग के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर व वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू इसके सदस्य होंगे.
सुप्रीम कोर्ट ये यह बड़ी जिम्मेदारी मिलने पर जस्टिस कलीफुल्ला, श्रीश्री रविशंकर और श्रीराम पंचू ने अपनी प्रतिक्रिया दी. जस्टिस कलीफुल्ला ने कहा कि मैं समझता हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने मुझे मध्यस्थता पैनल का अध्यक्ष चुना है. अभी मुझे आदेश की कोई प्रति नहीं मिली है. मैं कह सकता हूं कि अगर समिति का गठन किया गया है तो हम इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.
Justice(Retd)FM Ibrahim Kalifullah on Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: I understand SC has appointed a mediation committee headed by me. I'm yet to received order copy.I can say if committee has been constituted we'll take every effort to resolve the issue amicably pic.twitter.com/AgSfBzfuGU
— ANI (@ANI) March 8, 2019
वहीं, श्री श्री रविशंकर ने कहा कि मैंने अभी यह खबर सुनी. मेरे विचार में यह देश के लिए अच्छा होगा. इस मसले में मध्यस्थता ही एकमात्र रास्ता है.
Sri Sri Ravishankar on being appointed in Ayodhya mediation panel by Supreme Court: I just heard of this news, I think this will be good for the country, mediation is the only way pic.twitter.com/aj2mQAKE4i
— ANI (@ANI) March 8, 2019
उधर, वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मुझे बड़ी जिम्मेदारी दी है.
मध्यस्थता की प्रक्रिया फैजाबाद में होगी और यह एक सप्ताह में शुरू होगी. मध्यस्थता का आदेश देते हुए प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति ए.ए.बोबडे, न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण व न्यायमूर्ति एस.अब्दुल नजीर ने मीडिया रिपोर्टिंग पर पाबंदी नहीं लगाई गई है. कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि हम चाहते हैं कि मीडिएशन को लेकर रिपोर्टिंग नहीं हो, लेकिन हम ऐसा कोर्ट आदेश नहीं पास कर रहे. मीडिएटर्स को अधिकार होगा कि वो चाहें तो मीडिया रिपोर्टिंग पर पाबंदी लगा सकते हैं.
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यह आदेश प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने सुनाया. इसके लिए उन्होंने कोई विशेष दिशा निर्देश नहीं जारी किया. उन्होंने कहा कि मध्यस्थ जरूरत पड़ने पर किसी भी तरह की कानूनी सहायता ले सकते हैं.