भारत के गांवों के बच्चे स्कूल तो जाते हैं, लेकिन पढ़ नहीं पाते, असर सर्वे का खुलासा
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भारत के गांवों के बच्चे स्कूल तो जाते हैं, लेकिन पढ़ नहीं पाते, असर सर्वे का खुलासा

गैर सरकारी संगठन 'प्रथम' के वार्षिक सर्वे ‘एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट’ (असर)- 2018 के अध्ययन से यह जानकारी मिली है. यह रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई.

प्रतीकात्‍मक फोटो

नई दिल्‍ली : स्कूली शिक्षा को लेकर की जा रही तमाम कोशिशों के बावजूद पिछले 4 साल में इनमें मामूली सुधार ही नजर आ रहा है. आज भी पांचवीं कक्षा के करीब आधे बच्चे दूसरी कक्षा का पाठ नहीं पढ़ सकते. वहीं, आठवीं कक्षा के 56 फीसदी बच्चे गणित के दो अंकों के बीच भाग नहीं दे सकते. गैर सरकारी संगठन 'प्रथम' के वार्षिक सर्वे ‘एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट’ (असर)- 2018 के अध्ययन से यह जानकारी मिली है. यह रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई.

ये सर्वे प्राइवेट और सरकारी दोनों स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों पर किया गया है. ये सर्वे पहली से आठवीं क्लास के बच्चों में किया जाता है, क्योंकि यहां तक अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है.

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ये वो दो आसान टेस्ट हैं, जिनके ज़रिए बच्चों की पढ़ने और साधारण गणित के घटाना-भाग से शिक्षा का स्तर आंका गया है.

बड़ी बातें
ग्रामीण भारत के 596 ज़िलों में हुआ सर्वे
3 लाख 54 हज़ार 944 घरों के 5 लाख 46 हज़ार 527 बच्चों पर किया गया सर्वे.
3 साल से 16 साल के बच्चे किए गए शामिल
30 फीसदी बच्चे प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा पा रहे हैं.
लेकिन राज्यों में अलग अलग स्थिति है.
2016 से 2018 के बीच राजस्थान, यूपी और केरल में प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का प्रतिशत 2 फीसदी कम हुआ, जबकि जम्मू कश्मीर, बिहार, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में 2 फीसदी बढ़ा.

अच्छी बातें
13 साल से हो रहे इस सर्वे में पहली बार ऐसा देखा गया कि ग्रामीण भारत के केवल 3 फीसदी (2.8%) बच्चे स्कूल नहीं जाते. यानी 97 फीसदी बच्चे स्कूल में दर्ज हैं. 2008 में 95 फीसदी बच्चों ने स्कूल में नामांकन करवा रखा था. हालांकि स्कूल जाने वाले बच्चों का औसत उतना अच्छा नहीं है.
प्राइमरी स्कूलों में औसतन 85% टीचर और 72% बच्चे स्कूल जाते हैं.

पढ़ने की क्षमता की जांच  
तीसरी क्लास के 27 फीसदी बच्चे ही दूसरी क्लास की किताबें पढ़ पाए.
पांचवी क्लास के 50 फीसदी बच्चे ही दूसरी क्लास की किताबें पढ़ पाए.
आठवीं क्लास के 27 फीसदी बच्चे दूसरी क्लास के लिए बनी किताबें नहीं पढ़ पाए.

गणित की जांच  
तीसरी क्लास के 72 फीसदी बच्चे साधारण घटा का सवाल हल नहीं कर पाए.
पांचवी क्लास के 72 फीसदी बच्चे भाग का सवाल हल नहीं कर पाए.
आठवीं क्लास के 56 फीसदी बच्चे भाग का सवाल हल नहीं कर पाए.
आम तौर पर ये सर्वे जूनियर क्लास के लिए किया जाता है, लेकिन इस बार 14 से 16 साल के बच्चों को भी सर्वे में शामिल किया गया.

अहम बातें
देश में औसतन 66 फीसदी स्कूलों में ल़ड़कियों के शौचालय की व्यवस्था है.
लेकिन जम्मू कश्‍मीर और नॉर्थ ईस्ट के 50 फीसदी से भी कम SCHOOLS को पीने का पानी और लड़कियों के टायलेट की व्यवस्था है.
2010 में 84 फीसदी बच्चों ने स्कूलो में कम्प्यूटर इस्तेमाल नहीं किया था. 2018 में 78 फीसदी ने कम्प्यूटर का यूज़ नहीं किया है.

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