पढ़ें, दोनों पक्षों की तरफ से शीर्ष अदालत में दी गई प्रमुख दलीलें...
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नई दिल्ली : अयोध्या विवाद मामले में मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान हिंदू पक्षकार हिंदू महासभा और रामलला विराजमान ने मध्यस्थता से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट में दोनों हिंदू पक्ष मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हुए. हालांकि सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से मध्यस्थता के संकेत दिए गए. घंटे भर तक चली सुनवाई में दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस आदेश को सुरक्षित रख लिया किया कि इस मामले में मध्यस्थता होगी या नहीं.
हिंदू पक्ष की तरफ से मध्यस्थता से इनकार किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी भी जताई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विकल्प आज़माए बिना मध्यस्थता को खारिज क्यों किया जा रहा है? कोर्ट ने कहा कि अतीत पर हमारा नियंत्रण नहीं है, लेकिन हम बेहतर भविष्य की कोशिश जरूर कर सकते हैं.
पढ़ें, दोनों पक्षों की तरफ से शीर्ष अदालत में दी गई प्रमुख दलीलें...
हिंदू पक्षकारों की तरफ से दी गई दलील...
-इस मामले में मध्यस्थता का कोई फायदा नहीं है.
-हिंदू पक्षकारों ने दलील दी कि अयोध्या मामला धार्मिक और आस्था से जुड़ा मामला है.
-यह केवल सम्पत्ति विवाद नहीं है.
-मध्यस्थता से कोई फायदा नहीं, कोई तैयार नहीं.
-एक हिंदू पक्षकार ने कोर्ट में दलील दी कि मध्यस्थता के लिए आदेश जारी करने से पहले पब्लिक नोटिस जारी करने की जरूरत होती है.
मुस्लिम पक्ष की तरफ से दी गई दलीलें...
-हम मध्यस्थता के लिए तैयार हैं.
-मध्यस्थता के लिए सबकी सहमति जरूरी नहीं है.
-सुब्रमण्यम स्वामी: कोर्ट ने इसे अपने फैसले में दर्ज किया था, वहां सुलह करने जैसा कुछ नहीं.
-सुब्रमण्यम स्वामी: नरसिंह राव सरकार कोर्ट में वचन दे चुकी है कि कभी भी वहां मंदिर का सबूत मिला तो वो जगह हिंदुओं को दे दी जाएगी.
-बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की दलील- अयोध्या एक्ट से वहां की सारी ज़मीन का राष्ट्रीयकरण हो चुका है.