Ayodhya Ram Mandir: देश दुनिया से आने वाले लाखों राम भक्तों को इसका प्रसाद भी भंडारे के रूप में राम भक्तों को वितरित होगा. जिसके लिए छत्तीसगढ़ के 33 जनपदों से 3000 कुंतल चावल की खेप 30 दिसंबर को अयोध्या पहुंच जाएगी.
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Ramlala Pran Pratishtha: अयोध्या में होने वाले 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारी जोरों पर है. 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला का प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद पहली आरती उतारेंगे. उसके बाद ननिहाल के चावल और ससुराल के मेवा का पहला भोग भी लगाया जाएगा. फिर देश दुनिया से आने वाले लाखों राम भक्तों को इसका प्रसाद भी भंडारे के रूप में राम भक्तों को वितरित होगा. जिसके लिए छत्तीसगढ़ के 33 जनपदों से 3000 कुंतल चावल की खेप 30 दिसंबर को अयोध्या पहुंच जाएगी. वहीं जनकपुर से 1100 डालियों में प्रभु राम के नए आभूषण और फल, मेवा समेत अन्य उपहार को लेकर 3 जनवरी को 500 से अधिक जनकपुरवासी अयोध्या के लिए रवाना होंगे.
भव्य शोभा यात्रा निकाली जा रही
असल में इसके बारे में बताते हुए छत्तीसगढ़ रायपुर के राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने बताया कि 21 जनवरी 2023 को भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ और राजधानी रायपुर में भव्य शोभा यात्रा निकाली जा रही है. ननिहाल के चावल और ससुराल के मेवा का पहला भोग भी लगाया जाएगा. उधर मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होने के साथ श्री राम जन्म भूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की जबरदस्त तैयारी शुरू हो जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दिन 22 जनवरी को राम जन्म भूमि पहुंचेंगे.
22 जनवरी 2024 क प्राण प्रतिष्ठा
22 जनवरी 2024 को रामलला का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न होगा. इस दिन लोग मंदिर में अपने आराध्य के दिन दर्शन करेंगे. तो उन सभी को भगवान श्री राम की एक नहीं बल्कि दो मूर्तियां दिखाई देंगी. वहीं इसी के साथ मंदिर के मुख्य चबूतरे पर नवनिर्मित वह मूर्ति होगी. वहीं रामलला की दूसरी मूर्ति को स्थाई मंदिर से ले जाकर वहां पर विराजमान किया जाएगा और इस मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा नहीं होगी. इन मूर्तियों को चल मूर्ति या फिर उत्सव मूर्ति भी कहा जाता है.
क्या बोले राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय
इसी बीच राम जन्मभूमि मंदिर के भव्य अभिषेक समारोह से पहले, श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने 22 जनवरी की तुलना भारत की आजादी के 15 अगस्त से की. उन्होंने बताया कि 22 जनवरी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना 15 अगस्त 1947 था, जितना कारगिल को वापस प्राप्त करना था, जितना 1971 में एक लाख सैनिकों की नजरबंदी महत्वपूर्ण थी, यह उतना ही महत्वपूर्ण है." उन्होंने आगे कहा कि मंदिर के निर्माण को लेकर अयोध्या के लोगों में संतुष्टि की भावना है, जो 'भारत को एकजुट करने का साधन' बन गया है.