Champai Soren: राजनीति में चंपई सोरेन जैसे नेताओं को टिश्यू पेपर जैसा इस्तेमाल किया जाता है!
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Champai Soren: राजनीति में चंपई सोरेन जैसे नेताओं को टिश्यू पेपर जैसा इस्तेमाल किया जाता है!

Champai Soren News: राजनीति में परिवार, परिवार ही होता है. भले ही आप कितने भी बड़े नेता हों. जिस परिवार की पार्टी होती है, असली मुखिया उसी का होता है. ये बात झारखंड मुक्ति मोर्चा के भूतपूर्व नेता चंपई सोरेन को अब समझ में आ गई है.

Champai Soren: राजनीति में चंपई सोरेन जैसे नेताओं को टिश्यू पेपर जैसा इस्तेमाल किया जाता है!

Champai Soren News: राजनीति में परिवार, परिवार ही होता है. भले ही आप कितने भी बड़े नेता हों. जिस परिवार की पार्टी होती है, असली मुखिया उसी का होता है. ये बात झारखंड मुक्ति मोर्चा के भूतपूर्व नेता चंपई सोरेन को अब समझ में आ गई है. झारखंड में चंपई सोरेन को लोग बहुत वर्षों से जानते हैं. लेकिन ये चर्चा में तब आए, जब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस में गिरफ्तार कर लिया था. सरकार पर संकट आया, तो चंपई सोरेन संकटमोचक बनकर सामने आए थे. मुख्यमंत्री बनकर, राज्य में उन्होंने अपनी पार्टी की सरकार बचा ली. लेकिन चंपई सोरेन को ये भ्रम हो गया था, कि वही सीएम रहने वाले हैं. वो ये भूल गए कि पार्टी किस परिवार की है.

चंपई सोरेन को देना पड़ा इस्तीफा

पिछले महीने पार्टी के दबाव में चंपई सोरेन ने सीएम पद छोड़ दिया था. अब खबर है कि वो नई राह पर जाने वाले हैं. सूत्रों से खबर आ रही है कि चंपई सोरेन बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. चंपई सोरेन ने एक ट्वीट किया है, जिसमें वो खुद के साथ हुए बर्ताव से दुखी नजर आए हैं. उन्होंने फिलहाल झारखंड मुक्ति मोर्चा का साथ छोड़ने और नए साथी तलाशने का ऐलान कर दिया है.

चंपई सोरेन ने अपने ट्वीट में लिखा..

- 31 जनवरी को INDI गठबंधन ने उन्हें झारखंड का 12वां मुख्यमंत्री बनवाया.
- उनका कहना है कि अपने कार्यकाल में उन्होंने किसी के साथ गलत नहीं किया.
- वो दुखी है कि सीएम संबंधित कार्यक्रमों को बिना बताए, किसी और ने रद्द करके, उन्हें अपमानित किया.
- JMM में एकतरफा आदेश पारित होने को लेकर भी वो दुखी हैं.
- बिना बताए विधायक दल की बैठक बुलाने और इस्तीफा मांगने को लेकर भी वो दुखी हैं.
- उनका कहना है कि अब उनके पास तीन विकल्प हैं, सन्यास, नया संगठन बनाना और राजनीतिक साथी की तलाश करना.

टिश्यू पेपर जैसा इस्तेमाल..

मतलब ये है कि चंपई सोरेन इस बात से दुखी है कि हेमंत सोरेन की वापसी के बाद उन्हें अपमानित करके इस्तीफा मांग लिया गया. चंपई इसी अपमान से उबर नहीं पा रहे हैं. चंपई सोरने की नाराजगी की टाइमलाइन भी हम आपको बताना चाहते हैं. इससे आप समझ पाएंगे कि परिवारवाद की राजनीति में चंपई सोरेन जैसे नेताओं को टिश्यू पेपर जैसा इस्तेमाल किया जाता है.

- 31 जनवरी को ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के केस में हेमंत सोरेन गिरफ्तार किया.
- 2 फरवरी को चंपई सोरेन ने सीएम के तौर पर शपथे लेकर JMM सरकार बचा ली.
- 28 जून को हेमंत सोरेन को जमानत मिल गई.
- 3 जुलाई को चंपई सोरेन से अचानक इस्तीफा ले लिया गया. वो 153 दिन तक सीएम रहे.
- 4 जुलाई के बाद से ही चंपई सोरेन के नाराज होने की खबर सामने आने लगी.

भाजपा के साथ जा सकते हैं..

खबर ये भी आ रही है कि वो दिल्ली में हैं और जल्दी बीजेपी के नए साथी के तौर पर नजर आएंगे. अब एक सवाल ये है कि बीजेपी को इससे क्या लाभ होगा. दरअसल झारखंड में 81 विधानसभा सीटों में से 28 सीटें आदिवासियों के लिए सुरक्षित हैं. 28 में से 26 में फिलहाल JMM और कांग्रेस ने जीत हासिल की है. लेकिन चंपई सोरेन 8 विधानसभाओं में गहरा प्रभाव रखते हैं. चंपई सोरेन संथाल जनजाति के बड़े नेता हैं, इसलिए आदिवासियों में इनकी पकड़ काफी मजबूत है. अगर चंपई अलग पार्टी बनाकर भी बीजेपी के साथ जुड़ते हैं, तो वो JMM के आदिवासी वोट में सेंध लगा सकते हैं. तो कुल मिलाकर दोनों स्थिति में बीजेपी को लाभ मिल सकता है.

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