महिला अपराध पर CJI सख्त, कहा - न्याय में देरी, जनता में अशांति और विद्रोह पैदा करता है
निर्भया केस की सुर्खियां देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने देशभर में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध की घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लिया है.
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नई दिल्ली: निर्भया केस (Nirbhaya case) की सुर्खियां देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे (CJI SA Bobde) ने देशभर में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध की घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लिया है. चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों को जारी किया नोटिस किया. चीफ जस्टिस ने कहा कि मौजूदा कानून सिस्टम और पुलिस कार्रवाई के तरीकों को सख्त और जवाबदेह करने और मेडिकल सुविधाओं को सुनिश्चित करने की जरूरत है. चीफ जस्टिस ने कहा कि न्याय में देरी, जनता में अशांति और विद्रोह पैदा करता है.
सभी राज्यों को जारी नोटिस में चीफ जस्टिस ने कहा है कि 2017 में देशभर में 32559 रेप केस सामने आए जो कि बेहद चिंताजनक है. चीफ जस्टिस ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों से मौजूदा कानूनी कार्रवाई के तरीकों के बारे में स्टेट्स रिपोर्ट मांगी है, जिसमें चीफ जस्टिस ने पूछा है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में पुलिस कार्रवाई क्या है, अभियोजन कैसे काम कर रहा है, फोरेंसिक एजेंसी कितनी है और उनके पास क्या क्या साधन, तकनीक और स्टाफ है. मुकदमा समय पर दर्ज न करने या मुकदमा दर्ज करने वालों कितने पुलिसवालों के खिलाफ क्या-क्या कार्रवाई हुई?
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चीफ जस्टिस ने पूछा है कि रेप पीड़िता के चिकित्सा और उसकी मेडिकल जांच का तरीका और साधन क्या हैं, क्या सभी अस्पतालों में रेप पीड़िता और आरोपी के मडिकल जांच के लिए तय मानकों वाली मेडिकल किट है. क्या सभी निजी और सरकारी अस्पताल रेप पीडिता को फ्री ईलाज देते हैं या नहीं. अदालतों में रेप केस की सुनवाई सिर्फ महिला जज करें, इसका क्या आंकड़ा है, विशेष अदालतें कितनी हैं? साथ ही यह सुनिश्चत करने के लिए क्या किया जा रहा है कि ट्रायल जल्द और तय समय में हो, जिसके लिए तारीख पर तारीख न पड़े और वकीलों की केस में उपस्थिति सुनिश्चित रहे. सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भी इस काम में सहयोग देने का निर्देश दिया है. अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी.
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