साल 2007 में लेह-मनाली सड़क बनकर तैयार होनी थी. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने लेह-मनाली रोड प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी.
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लद्दाख: भारत-चीन सीमा विवाद के बीच लद्दाख के जंसकार के काउंसलर ने कांग्रेस पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि साल 2004 से 2014 के बीच कांग्रेस ने लेह-मनाली मार्ग का निर्माण नहीं होने दिया. वाजपेयी सरकार ने परियोजना को मंजूरी दी थी.
जंसकार के काउंसलर स्टांजिन लप्पा ने Zee News से कहा, 'यूपीए सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी सड़क के निर्माण में देरी की गई. साल 2004 से 2014 तक किसी भी अहम सड़क पर कोई काम नहीं हुआ. कांग्रेस ने लेह-मनाली रोड के निर्माण में लापरवाही दिखाई. साल 2007 में लेह-मनाली सड़क बनकर तैयार होनी थी. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने लेह-मनाली रोड प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी.'
जान लें कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के मुकाबले मोदी सरकार में भारत सीमा पर मजबूत हुआ है. साल 2008 से 2014 तक यूपीए सरकार में सीमा के पास 1 सुरंग का निर्माण हुआ, 7,270 मीटर लंबे पुल बनाए गए और 3,610 किमी सड़कें बनीं जबकि मोदी सरकार में साल 2014 से 2020 तक 6 सुरंगें बन चुकी हैं और करीब 19 सुरंगों के निर्माण की योजना है. इसके अलावा मोदी सरकार में पिछले 6 साल में 14,450 मीटर लंबे पुल बनाए गए और 4,764 किलोमीटर सड़कें बनीं.
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गौरतलब है कि यूपीए सरकार में इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए बजट में भी कम रुपये दिए. साल 2016 के बाद मोदी सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में तेजी लाई और बजट को भी बढ़ाया. साल 2008 से 2016 के बीच इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 3,300 से 4,600 करोड़ रुपये दिए गए. जबकि साल 2016 के बाद इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 2017-2018 के बजट में 5,450 करोड़ रुपये दिए गए. इसके बाद साल 2018-2019 में 6,700 करोड़, साल 2019-2020 में 8,050 करोड़ और इस साल 2020-2021 के बजट में 11,800 करोड़ रुपये दिए गए.
बता दें कि CAG की साल 2018 की रिपोर्ट के अनुसार 61 सड़कें साल 2012 तक बननी थीं लेकिन 2016 तक केवल 22 सड़कें ही बनीं. इन 22 सड़कों पर 4,536 करोड़ खर्च हुए जबकि पूरे प्रोजेक्ट की लागत 4,622 करोड़ थी यानी बजट का 98% खर्च हुआ लेकिन आधी से कम सड़कें ही बनीं.
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