हिंदी के शिखर आलोचक नामवर सिंह पंचतत्व में विलीन
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हिंदी के शिखर आलोचक नामवर सिंह पंचतत्व में विलीन

लोदी रोड शवदाह गृह में शाम पौने पांच बजे साहित्य , मीडिया और शिक्षा जगत की सैंकड़ों प्रमुख हस्तियों ने अश्रुपूरित नेत्रों से उन्हें अंतिम विदाई दी . 

मंगलवार रात करीब पौने बारह बजे नामवर सिंह ने राजधानी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में अंतिम सांस ली . (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: हिंदी आलोचना और साहित्य की विषम गुत्थियों को लगभग पांच दशक तक सुलझाने वाले और नवोदित साहित्यकारों का मार्गदर्शन करने वाले मूर्धन्य समालोचक प्रोफेसर नामवर सिंह का पार्थिव शरीर बुधवार को यहां पंचतत्व में विलीन हो गया . लोदी रोड शवदाह गृह में शाम पौने पांच बजे साहित्य , मीडिया और शिक्षा जगत की सैंकड़ों प्रमुख हस्तियों ने अश्रुपूरित नेत्रों से उन्हें अंतिम विदाई दी . 

मंगलवार रात करीब पौने बारह बजे इस प्रखर समालोचक ने राजधानी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में अंतिम सांस ली . वहां वह पिछले करीब एक माह से भर्ती थे. वह 92 वर्ष के थे .

सिंह के पुत्र विजय सिंह ने अपने पिता की पार्थिव देह को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मुखाग्नि दी . भारत की गंगा जमुनी तहजीब को कायम रखने की जिंदगी भर वकालत करते रहे नामवर सिंह के अंतिम संस्कार की क्रिया जैसे ही शुरू हुई वैसे ही लोदी शवदाहगृह के निकट स्थित मस्जिद से अजान की आवाज सुनाई दी और ऐसा लगा कि जैसे धर्म , संप्रदाय , भाषा और संस्कृतियों की विविधता के लिए जाने जाने वाले पूरे समाज और राष्ट्र ने समवेत स्वर में उन्हें विदाई दी हो .

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, 'हिंदी साहित्य में नए प्रतिमान स्थापित करने वाले शीर्षस्थ समालोचक डॉ नामवर सिंह के निधन से गहरा दुःख हुआ. उनका जाना केवल हिंदी ही नहीं अपितु सभी भारतीय भाषाओँ के साहित्य के लिए एक बहुत बड़ा आघात है. शोकाकुल परिवार व सम्पूर्ण हिंदी जगत के प्रति मेरी संवेदनाएं.' 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिंह के निधन पर शोक जताते हुए अपने ट्वीट में कहा, 'हिन्दी साहित्य के शिखर पुरुष नामवर सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ है. उन्होंने आलोचना के माध्यम से हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा दी.'  

उन्होंने कहा,‘दूसरी परंपरा की खोज’ करने वाले नामवर जी का जाना साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिजनों को संबल प्रदान करे.’

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नामवर सिंह के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि प्रख्यात साहित्यकार एवं समालोचक डा. नामवर सिंह के निधन से हिंदी भाषा ने अपना एक बहुत बड़ा साधक और सेवक खो दिया है.

सिंह ने ट्वीट किया, ‘वे आलोचना की दृष्टि ही नहीं रखते थे बल्कि काव्य की वृष्टि के विस्तार में भी उनका बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने हिंदी साहित्य के नए प्रतिमान तय किए और नए मुहावरे गढ़े.’

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, 'नामवर सिंह के निधन से भारतीय भाषाओं ने अपनी एक ताकतवर आवाज खो दी है. समाज को सहिष्णु, जनतांत्रिक बनाने में उन्होंने जिंदगी लगा दी. हिंदुस्तान में संवाद को बहाल करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी.' 

इस मौके पर लंबे समय तक उनकी कर्मभूमि रहे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय में उनके समकालीन रहे प्रोफेसर विश्वनाथ त्रिपाठी , प्रोफेसर निर्मला जैन , प्रोफेसर मैनेजर पांडेय , प्रोफेसर सुधीश पचौरी , प्रोफेसर शंभूनाथ सिंह , पुरूषोत्तम अग्रवाल , इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष डा रामबहादुर राय , प्रख्यात पत्रकार डा वेद प्रताप वैदिक और रवीश कुमार समेत अनगिनत प्रमुख लोगों और साहित्यकारों ने अपने प्रिय साथी और उनके शिष्यों ने अपने गुरू को अंतिम प्रणाम किया और विदाई दी .

कोरिया से आई उनकी शिष्या और अपने देश में हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में लगी ऊ जो किम और कुछ अन्य विदेशी छात्र छात्राएं भी वहां मौजूद थे . इस मौके पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी , साहित्य अकादमी , हिंदी अकादमी दिल्ली समेत अनेक संस्थानों के प्रतिनिधियों ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित किए.

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