बंगला साहिब गुरुद्वारे में पक गई 'प्लास्टिक की दाल', परोसने से पहले फेंकी गई
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बंगला साहिब गुरुद्वारे में पक गई 'प्लास्टिक की दाल', परोसने से पहले फेंकी गई

दिल्ली के गुरुद्वारा बंगला साहिब में हर दिन क़रीब 50 से 60 हज़ार लोग लंगर करते हैं.

क़रीब 30 किलो दाल समय रहते फ़ेंक दी गई. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के बंगला साहिब गुरुद्वारे में बीते मंगलवार को प्लास्टिक की दाल पका दी गई. हालांकि लंगर में दाल परोसने से पहले ही इसका पता लगा लिया गया और क़रीब 30 किलो दाल समय रहते फ़ेंक दी गई.

गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने बताया, ''दो दिन दाल बनाई गई, लेकिन दाल बनते ही जम जा रही थी और उसमें से प्लास्टिक की महक आ रही थी. यह देखते ही पहले दिन दाल को फ़ेंक दिया गया. इसके बाद दूसरे दिन फिर यही हुआ तो दाल का स्टॉक जांचा गया, जिसमें प्लास्टिक के जामुनी रंग के दाने मिले.

सीलबंद पैकेट में ही अनाज लेंगे
इसके बाद से गुरुद्वारा प्रशासन की तरफ़ से सभी गुरुद्वारों को हिदायत दी गई है जो भी राशन आ रहा है उसे बनाने से पहले सही तरह से जांच लें. साथ ही जो लोग भी राशन दान करने आ रहे हैं उनसे यह अपील की जाए कि सीलबंद पैकेट में ही अनाज लाएं.

50 से 60 हज़ार लोग लंगर करते हैं
गुरुद्वारा बंगला साहिब में हर दिन क़रीब 50 से 60 हज़ार लोग लंगर करते हैं. लंगर में इस्तेमाल होने वाले दाल-चावल, आटा, सब्ज़ी या राशन आमतौर पर लोग ही दान करते हैं. इसके लिए गुरुद्वारा परिसर में ही राशन स्टोर बनाया गया है. यहां पर जिसे राशन दान करना है वह रख कर चला जाता है. हालांकि, दानदाता चाहे तो इसकी पर्ची भी बनवा सकता है.

राशन लाकर रख जाते हैं लोग
भंडार में अलग-अलग राशन के ड्रम रखे होते हैं, जहां लोग राशन लाकर रख जाते हैं. इसी जगह से गुरुद्वारा प्रशासन को एक प्लास्टिक polymer का पैकेट मिला, जिसको सरकारी लैब में जांच के लिए भेज दिया गया है.

आंतरिक जांच जारी
दाल में प्लास्टिक मिलाने वाले का फ़िलहाल पता नहीं चल पाया है. हालांकि इस पर भी आंतरिक जांच की जा रही है. आपको बता दें कि जिस जगह राशन दान किया जाता है वहां फ़िलहाल कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है.

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