कैदी ने जेल में लिखी एक कविता, जिसने उसे फांसी के फंदे से बचा लिया
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कैदी ने जेल में लिखी एक कविता, जिसने उसे फांसी के फंदे से बचा लिया

ध्‍यानेश्‍वर सुरेश बोर्कर नाम के इस दोषी ने 22 साल की उम्र में बच्‍चे की हत्‍या की थी. 18 साल से जेल में हैं.

कैदी ने जेल में लिखी एक कविता, जिसने उसे फांसी के फंदे से बचा लिया

नई दिल्‍ली: कहा जाता है कि किताबें इंसान का जीवन बदल देती हैं. कविताओं और कहानियों से किसी का नजरिया भी बदला जा सकता है. ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में सामने आया है. यहां तीन जजों की बेंच ने एक बच्‍चे के अपहरण और हत्‍या के दोषी की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. ऐसा मुमकिन हुआ हत्‍या के दोषी के द्वारा जेल में बंद रहते हुए लिखी कविताओं के जरिये.


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