RRTS प्रोजेक्ट: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को ECC से 265 करोड़ रुपये जारी करने को कहा
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RRTS प्रोजेक्ट: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को ECC से 265 करोड़ रुपये जारी करने को कहा

परियोजना के पहले चरण के तहत दिल्ली को मेरठ से जोड़ा जाएगा और 82.15 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर की अनुमानित लागत 31,632 करोड़ रुपये है. इससे यात्रा समय की काफी बचत होगी .

 (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली सरकार से दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ के बीच ‘रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर’ (आरआरटीएस) के निर्माण के लिए पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क (ईसीसी) से 265 करोड़ रुपये जारी करने को कहा.

परियोजना के पहले चरण के तहत दिल्ली को मेरठ से जोड़ा जाएगा और 82.15 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर की अनुमानित लागत 31,632 करोड़ रुपये है. इससे यात्रा समय की काफी बचत होगी .

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि परियोजना में दिल्ली सरकार का पहले वर्ष का हिस्सा (265 करोड़ रुपये) एक सप्ताह के अंदर ईसीसी से जारी किया जाए क्योंकि कॉरिडोर का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों से भीड़भाड़ कम करना है और इसका निर्माण पूरा करने में कोई देरी नहीं होनी चाहिए.

अदालत को बताया गया कि परियोजना के लिए केन्द्र का हिस्सा 5,687 करोड़ रुपये है जबकि उत्तर प्रदेश सरकार और दिल्ली सरकार का हिस्सा क्रमश: 5,828 करोड़ रुपये और 1,138 करोड़ रुपये है.

पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार परियोजना के लिए 265 करोड़ रुपये का पहले वर्ष का हिस्सा इस वित्तीय वर्ष के ईसीसी से जारी करे. पीठ ने कहा,‘हम दिल्ली सरकार को अगले वर्ष से आरआरटीएस परियोजना के लिए बजट में आवंटन करने का निर्देश देते हैं.’पीठ ने कहा कि उसकी राय में, दिल्ली सरकार परियोजना के लिए कोष उपलब्ध करने के लिए कानूनी और संवैधानिक रूप से बाध्य है.

सुनवाई के दौरान, पर्यावरण मामलों में न्याय मित्र अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने अदालत से कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने परियोजना के लिए अपना हिस्सा दे दिया है लेकिन दिल्ली सरकार कह रही है कि उसके पास धन नहीं है और केन्द्र को उसका हिस्सा देना चाहिए.

उन्होंने कहा कि एशियाई विकास बैंक भी आरआरटीएस परियोजना के लिए ऋण देने पर सहमत है.

 

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