वही हो रहा है जिसकी थी आशंका, लंबा खिंचेगा किसान आंदोलन; जानिए कैसे
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वही हो रहा है जिसकी थी आशंका, लंबा खिंचेगा किसान आंदोलन; जानिए कैसे

  नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा तीनों कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस लेने के ऐलान के बावजूद किसान नेताओं ने अपना आंदोलन वापस लेने की बजाय इसे और तेज करने का ऐलान कर दिया है.

वही हो रहा है जिसकी थी आशंका, लंबा खिंचेगा किसान आंदोलन; जानिए कैसे

पॉडकास्ट: 

  1. किसान आंदोलन को लेकर खुलासा
  2. SKM ने किया रणनीति का ऐलान
  3. सच साबित हो रही है एक आशंका

नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा तीनों कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस लेने के ऐलान के बावजूद किसान नेताओं ने अपना आंदोलन वापस लेने की बजाय इसे और तेज करने का ऐलान कर दिया है. संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की तरफ से एक बयान जारी किया गया है.

26 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय विरोध प्रदर्शन

जिसमें कहा गया है कि 26 नवंबर यानी किसान आंदोलन का एक वर्ष पूरा होने के मौके पर सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में विरोध प्रदर्शन होंगे. जिनमें ब्रिटेन (UK), फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा (Canada) और अमेरिका (US) जैसे देश शामिल है.

ज़ी न्यूज़ की बात सच साबित हुई

इसका मतलब ये हुआ कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानून वापस लेने के ऐलान के बावजूद किसान नेता अपना आंदोलन वापस नहीं लेंगे और ये बात हम आपको आज नहीं कई महीनों से बता रहे थे और आज हमारी इस बात पर पुख्ता मुहर लग गई है .

प्रधानमंत्री मोदी ने 418 दिनों के बाद 19 नवम्बर को कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया था. और तब से अब तक 4 दिन और 12 घंटे का समय बीत चुका है. लेकिन ये आंदोलन समाप्त नहीं हुआ है, शायद ये इतनी जल्दी समाप्त होगा भी नहीं. संयुक्त किसान मोर्चा के नए बयान से साफ है कि उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले इस आंदोलनन को और बड़े पैमाने पर ले जाया जाएगा.

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संयुक्त किसान मोर्चा की तैयारी

गौरतलब है कि हमने आपको बताया था कि 25 नवम्बर को हैदराबाद में किसानों की एक बड़ी रैली होगी. इसी तरह बुधवार यानी 24 नवम्बर को सर छोटू राम की जयंती पर देशभर में विरोध प्रदर्शन होंगे. आपको बताते चलें कि सर छोटू राम महान स्वतंत्रता सेनानी थे. हरियाणा के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उनका काफी प्रभाव माना जाता है. ऐसे में उनकी जंयती पर किसान संगठनों की रैलियों से ये साफ है कि ये आंदोलन अभी बहुत लंबा चलने वाला है.

संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवम्बर से शुरू हो रहा है. अगर केन्द्र सरकार ने पहले ही दिन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए संसद में बिल पेश कर दिया तो इन कानूनों को हटाने में दो दिन का समय लगेगा. यानी इस हिसाब से 1 दिसम्बर को ये कानून देश से खत्म हो जाएंगे. लेकिन ये किसान आंदोलनन तब भी खत्म नहीं होगा.

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