Game of Gujarat : सूरमाओं के समर में इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
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Game of Gujarat : सूरमाओं के समर में इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

गुजरात का चुनाव इस मायने में भी बेहद खास है क्योंकि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह गृह राज्य है. बीजेपी यहां पिछले दो दशकों से राज कर रही है. 

गुजरात में 89 सीटों के लिए मतदान शुरू हो चुका है

नई दिल्ली : गुजरात में चुनावी रण शुरू हो चुका है. पहले चरण के लिए 89 सीटों के लिए मतदान किया जा रहा है. इस चरण में कांग्रेस और भाजपा के कई दिग्गज मैदान में हैं. खुद मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के भाग्य का फैसला गुजरात की जनता ईवीएम में बंद कर रही है. गुजरात का चुनाव इस मायने में भी बेहद खास है क्योंकि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह गृह राज्य है. बीजेपी यहां पिछले दो दशकों से राज कर रही है. इसी दो दशकों के राज को भुनाने का कांग्रेस के पास सुनहारा मौका है. पिछले 22 वर्षों से सत्ता से बाहर चल रही कांग्रेस इस बार पूरी शिद्दत से वापसी करने की कोशिश कर रही है. इस चरण में खुद मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, कांग्रेस के इंद्रनील राज्यगुरु, जीतू वघानी, अल्पेश ठाकुर, शक्ति सिंह गोहिल जैसे कई दिग्गज मैदान में हैं.

  1. गुजरात विधान सभा के लिए पहले चरण का मतदान 
  2. पहले चरण में 89 सीटों पर हो रही है वोटिंग
  3. 89 सीटों पर कुल 977 उम्मीदवार चुनाव मैदान में

विजय रूपाणी बनाम इंद्रनील राज्यगुरु
इस समर में अहम मुकाबला राजकोट पश्चिम सीट पर हो रहा है. मौजूदा मुख्यमंत्री विजय रूपाणी यहीं से जीत कर आए थे. उनको कांग्रेस के इंद्रनील राज्यगुरु चुनौती दे रहे हैं. वह राजकोट पूरब से मौजूदा विधायक हैं. इंद्रनील राज्यगुरू गुजरात के सबसे रईस उम्मीदवार हैं. राज्यगुरू ने अपने चुनावी हलफनामे में कुल 141 करोड़ रुपये की संपत्ति का खुलासा किया है, जबकि सीएम रुपाणी ने 7.4 करोड़ रुपये की संपत्ति का. इंद्रनील कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता हैं. कांग्रेस के लिए राजकोट पूर्व की सीट सुरक्षित मानी जाती है. इसके बावजूद इंद्रनील को सुरक्षित सीट से हटाकर विजय रूपाणी के खिलाफ उतारा है. राज्यगुरु ने पहले ही घोषणा की थी कि मुख्यमंत्री राज्य में जहां से भी चुनाव लड़ेंगे, वह उनके खिलाफ चुनाव लड़ेंगे. राजकोट पश्चिम की बात करें तो इस सीट पर दशकों से बीजेपी का कब्जा रहा है. मुख्यमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी भी इसी सीट से उपचुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे. रूपाणी के लिए भी यह सीट काफी लकी रहा. 2014 में हुए उपचुनाव में जीत हासिल करने के दो साल बाद ही रूपाणी प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए. 

जीतू वघानी बनाम दिलीप सिंह गोहिल
भावनगर नगर पश्चिम पर कांग्रेस-बीजेपी के बीच रोचक मुकाबला हो रहा है. बीजेपी ने यहां से वर्तमान विधायक व प्रदेश अध्यक्ष जीतू वघानी पर भरोसा जताकर उन्हें फिर से मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने दिलीप सिंह गोहिल को वघानी के मुकाबले में उतारा है. हार्दिक पटेल का कांग्रेस को समर्थन देने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं. वघानी को ऐढ़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है. कांग्रेस यहां हार्दिक पटेल के सहारे भाजपा को कमजोर करने में जुट गई है. जीतू पाटीदार समुदाय से आते हैं जो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ाए हुए है. मुख्यमंत्री की रेस में नितिन पटेल के पिछड़ने के बाद पाटीदार समुदाय की नाराजगी दूर करने के लिए भाजपा ने उन्हें पिछले साल अगस्त में प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी थी. 45 साल के वघानी लेवा पाटीदार समुदाय से आते हैं जिसका राज्य में काफी प्रभाव है. 

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शक्ति सिंह गोहिल
सूरत की मांडवी सीट पर कांग्रेस के कद्दावर नेता शक्ति सिंह गोहिल चुनावी रण में ताल ठोंक रहे हैं. उनका मुकाबला बीजेपी के वीरेंद्र सिंह जडेजा से है. हालांकि गोहिल के सामने भी चुनौती बहुत बड़ी है क्योंकि यह क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है. 1985 से यहां भाजपा का एकछत्र राज चला आ रहा है. हालांकि कांग्रेस ने 2002 के विधानसभा चुनावों में उलटफेर करते हुए भाजपा से यह सीट छीन ली थी, लेकिन आगे वह इस सीट पर कब्जा बनाए रखने में सफल नहीं हो पाई. शक्ति सिंह गोहिल ने इस वर्ष हुए राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल को राज्यसभा चुनाव जितवाने में अहम भूमिका निभाई थी. चार बार विधायक रह चुके शक्ति सिंह गोहिल के दादा दरबार साहब रंजीत सिंह आजादी की लड़ाई में शामिल रहे थे.

977 प्रत्‍याशी मैदान में
इस चरण में 89 सीटों पर 977 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कांग्रेस की से कड़ी चुनौती मिल रही है. कच्छ, मोरबी, जामनगर, सुरेंद्रनगर, देवभूमि द्वारका, राजकोट, बोटाद, पोरबंदर, जूनागढ़, अमरेली, गिर, सोमनाथ, भावनगर, भरूच, नर्मदा, सूरत, तापी, नवसारी, डांग और वलसाड जिले में होने जा रहे मतदान में 977 उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपने भाग्य अजमा रहे हैं. 2012 के चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस (राकांपा) और जनता दल (युनाइटेड) के पास क्रमश: एक-एक सीट आई थी, जबकि आजाद उम्मीदवार दो सीटों पर विजयी हुए थे. 

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