मंदी की मार झेल रहा सूरत का हीरा कारोबार, सरकार से लगाई मदद की गुहार
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मंदी की मार झेल रहा सूरत का हीरा कारोबार, सरकार से लगाई मदद की गुहार

सूरत का हीरा उद्योग जो किसी समय लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रहा था वह आज मंदी की मार झेल रहा है. 

प्रतीकात्मक तस्वीर

सूरत: मंदी का माहौल सिर्फ सूरत (Surat) के उद्योगों तक ही सिमित नहीं रहा बल्कि दुनिया भर के कई देशों में मंदी का माहौल नजर आ रहा है. सूरत के डायमंड उद्योग पर भी वैश्विक रिसेशन की छाया साफ नजर आ रही है. सूरत का हीरा उद्योग जो किसी समय लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रहा था वह आज मंदी की मार झेल रहा है. इसी कारण अब डायमंड का एक्सपोर्ट सिर्फ पांच देशों तक सिमित रह गया है. 

देश में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी से गिरावट आई है. उत्पादन पिछले कई महिनों से लगातार घटा है और लाखों लोगों को रोजगार देने वाले उद्योगों पर इसका असर साफ नजर आ रहा है. सूरत के हीरा उद्योग में 2008 जितनी मंदी जैसा असर 2019 में सिर्फ इसलिए दिखाई नहीं दे रहा क्योंकि डायमंड उत्पादन करने वाली कंपनिया डायमंड के साथ गोल्ड ज्वेलरी ब्रांड की तरफ मुड़ गई हैं. बड़ी डायमंड इंडस्ट्रीज पर खास असर तो दिखाई नहीं दे रहा लेकिन छोटे और मझोले कारखानों की हालत खस्ता है. इसका एक कारण यह भी है कि बड़ी-बड़ी डायमंड कंपनियां इन छोटे कारखानों को जॉब-वर्क देती थीं जिसमें 40% तक की गिरावट आ गई है. 

आंकड़ों की मानें तो बाजार में मंदी के कारण सुरत सहित गुजरात भर में 15 हीरा कारिगर बेरोजगार हो गए हैं. इसका एक बड़ा कारण यह भी बताया जा रहा है कि भारत का जेम्स एंड ज्वेलरी का 90% एक्सपोर्ट पांच देशों तक ही सिमित रह गया है. 

हालही में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल की अध्यक्षता में हुई बैठक में भारत के जेम्स एंड ज्वेलरी संगठनों ने लैटिन अमेरिका, तुर्की, कनाडा जैसे देशों के साथ FTA की मांग की थी. जिससे डायमंड उद्योग और ज्वेलरी उद्योग को नया मार्केट मिल सके.वैसे तो हांगकांग भारतीय डायमंड उद्योग के लिए प्रमुख बाजार था. लेकिन वहां चल रहे आंदोलन की वजह से इस उद्योग को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. 

जेम्स एंड ज्वेलरी उद्योग के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो अप्रैल से अक्टूबर 2019 के बीच जो आंकड़े सामने आ रहे हैं. उसके अनुसार भारत से डायमंड एक्सपोर्ट US और हांगकांग में 28-20%, UAE में 26 %, बेल्जियम में 5 % इजराइल में 2 % प्रतिशत दर्ज हुआ है. वहीं रफ डायमंड इम्पोर्ट में बेल्जियम का हिस्सा कम हो रहा है. जबिक UAE और स्विजरलैंड का हिस्सा बढ़ रहा है. बेल्जियम से रफ डायमंड का इम्पोर्ट 24%  हो गया है. इतना ही इम्पोर्ट अब स्विजरलैंड और UAE के पास से हो रहा है. रफ डायमंड का निकास अप्रैल -नवंबर 2019 में 807.97 मिलियन कुल 824.21 मिलियन एक साल पहले के अनुपात में दर्ज हुआ है.

हालांकि GJEPC का दावा है कि देश में मंदी के माहौल में भी हीरा उद्योग टिका हुआ है. सूरत डायमंड मार्केट में इस बार कितने डायमंड कारखाने बंद हो गए हैं इसकी सही जानकारी नहीं मिल सकी है. लेकिन छोटे कारखाने धीरे-धीरे अपना काम बंद कर रहे हैं और उसके कारण 15 हजार से ज्यादा डायमंड कारीगर बेरोजगार हो चुके हैं. इस पर  GJEPC गुजरात के रीजनल चेयरमैन दिनेश नावड़िया का मानना है की रोजगार के आंकड़ों में मतभेद है पर हकीकत में ऐसा नहीं है. सूरत डायमंड उद्योग एक समय 15 लाख से ज्यादा लोगो को रोजगार देता था. लेकिन 2008 की वैश्विक मंदी के बाद लगातार इस उद्योग को नुकसान का सामना करना पड़ा है. नोटबंदी, GST के कारण भी इस उद्योग को कई झटके लगे. वहीं मेहुल चौकसी और नीरव मोदी द्वारा किए गए घोटालों का असर भी इस उद्योग पर देखने को मिला. अब GJEPC ने सरकार से हीरा कारोबारियों की मदद की मांग की है.

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