पत्रकार हत्या मामले में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सजा सुनेगा गुरमीत राम रहीम
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पत्रकार हत्या मामले में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सजा सुनेगा गुरमीत राम रहीम

राम रहीम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए सुनारिया जेल से और अन्य दोषी किशनलाल, निर्मल सिंह और कुलदीप अम्बाला सेंट्रल जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए जानेगें फैसला.

पत्रकार हत्या मामले में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सजा सुनेगा गुरमीत राम रहीम

चंडीगढ़: पत्रकार रामचंद्र छत्रपति मामले में दोषी राम रहीम को सज़ा वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के ज़रिए सुनाई जाएगी. पंचकूला की सीबीआई के विशेष अदालत ने हरियाणा सरकार की अपील को स्वीकार किया. राम रहीम के साथ साथ अन्य दोषियों को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए पेश किया जाएगा. राम रहीम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए सुनारिया जेल से और अन्य दोषी किशनलाल, निर्मल सिंह और कुलदीप अम्बाला सेंट्रल जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए जानेगें फैसला.

पंचकूला डिस्ट्रिक अटॉर्नी पंकज गर्ग ने बताया कि हरियाणा सरकार की अपील को सीबीआई की विशेष अदालत ने स्वीकार करते हुए निर्देश दिए कि सभी तरह के टेक्निकल उपकरणों को अपडेटिड रखा जाए और टेक्निकल एक्सपर्ट और जेल सुपरिटेंडेंट भी मौके पर मौजूद रहे ताकि वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए पेशी के दौरान किसी भी तरह की बाधा न आये. पंकज गर्ग ने कहा टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट के साथ साथ कोर्ट भी आधुनिक तकनीकियों को अपना रहें है और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए सज़ा सुनाने अपना आप में ऐतिहासिक फैसला है.

17 जनवरी को सजा को लेकर बहस होगी जिसके बाद सजा का ऐलान होगा. साध्वी दुष्‍कर्म मामले में सजा सुनाने वाले जज जगदीप सिंह ही छत्रपति हत्‍याकांड मामले में सज़ा सुनायेंगे. हरियाणा सरकार की तरफ से पंचकूला डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी पंकज गर्ग ने पंचकूला सीबीआई कोर्ट में याचिका डाल 17 जनवरी को दोषी गुरमीत राम रहीम और अन्य दोषियों को वीसी के जरिये कोर्ट में पेश कर सज़ा सुनाने की अपील की थी.

11 जनवरी को पंचकूला में सीबीआई की विशेष अदालत ने 16 साल पुराने पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सहित अन्य आरोपियों किशनलाल, निर्मल और कुलदीप को दोषी ठहराया था. 11 जनवरी को भी राम रहीम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए पेश किया गया था. 25 अगस्त को साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दोषी ठहराने के बाद हालात बिगड़ गए थे, जिसके कारण ही हरियाणा सरकार ने  सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में याचिका डाल पत्रकार रामचन्द्र छत्रपति मामले में पहले 11 जनवरी को और अब 17 जनवरी को वीसी के ज़रिए पेश करने की अपील की, जिसे कोर्ट ने मंजूर भी कर लिया.

विशेष सीबीआई अदालत ने राम रहीम, किशन लाल, निर्मल और कुलदीप को धारा 302 और 120बी के तहत दोषी ठहराया था जबकि निर्मल और किशनलाल को आर्म्स एक्ट के तहत भी दोषी ठहराया गया. मामले में सीबीआई के पास 46 गवाह थे, जबकि बचाव पक्ष की और से 21 गवाह पेश किए गए थे. उन्होंने कहा हर गवाह की गवाही काफी मायने रखती थी, लेकिन छत्रपति के परिवार ने लंबा संघर्ष किया. रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल ने कहा था दोषी गुरमीत राम रहीम का केस में बहुत ही प्रभाव था.  उन्होंने कहा था हम  मांग करते हैं कि दोषी बाबा गुरमीत राम रहीम को फांसी की सज़ा हो.

बता दें आरोप थे कि अक्टूबर 2002 में कुलदीप और निर्मल ने दिन दिहाड़े सिरसा में पत्रकार रामचंद्र को गोली मारी थी.  जब 2002 में मामला दर्ज किया गया था तब राम रहीम का नाम एफ आई आर में नही था 2003 में जांच सी बी आई को सौंप दी थी और 2006 में राम रहीम के ड्राइवर खट्टा सिंह के बयानों के बाद डेरा मुखी का नाम भी शामिल किया गया और 2007 में राम रहीम सहित सभी आरोपीयों के खिलाफ चलान पेश किया गया था.

24 अक्टूबर 2002 को सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को गोलियां मार दी थी और 21 नवंबर 2002 को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रामचंद्र छत्रपति की मौत हो गई थी. रामचन्द्र के बेटे के मुताबिक इस मामले में रामचंद्र छत्रपति ने साध्वियों का खत अपने अखबार में छाप दिया था. आरोप है कि जिसके बाद राम रहीम ने छत्रपति को मौत के घाट उतरवा दिया था. रामचंद्र के बेटे अंशुल छत्रपति के अनुसार उनके पिता रामचंद्र छत्रपति ने ही सबसे पहले गुरमीत राम रहीम के खिलाफ तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लिखी पीडि़त साध्वी की चिठी छापी थी.

साल 2002 में इस रेप केस की जानकारी पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने पहली बार दी थी। सिरसा मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर दडबी गांव के रहने वाले रामचंद्र छत्रपति सिरसा जिले से रोज शाम को निकलने वाला अखबार छापते थे. ना सिर्फ छत्रपति ने चिठी छापी बल्कि उस पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए पीडि़त साध्वी से इस पत्र को प्रधानमंत्री, सीबीआई और अदालतों को भेजने को कहा था. उन्होंने उस चिठी को 30 मई 2002 के अंक में छापा था, जिसके बाद उनको जान से मारने की धमकियां दी गईं। 24 सितंबर 2002 को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की जांच के आदेश दिए। इस बीच छत्रपति को जान से मारने की धमकियां मिलती रहीं.

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