IAS अशोक खेमका ने पेश किया अनोखा उदाहरण, 'वाट्सऐप' के जरिए भेजा समन, AG पर भी उठाए सवाल
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IAS अशोक खेमका ने पेश किया अनोखा उदाहरण, 'वाट्सऐप' के जरिए भेजा समन, AG पर भी उठाए सवाल

IAS अशोक खेमका ने पेश किया अनोखा उदाहरण, 'वाट्सऐप' के जरिए भेजा समन, AG पर भी उठाए सवाल  (file photo)

नई दिल्लीः कुछ साल पहले तक सोशल मीडिया को लोग टाइमपास के रूप में लेते थे. वक्त के साथ इसपर शादी के कार्ड, तलाक, नौकरी के ऑफर लेटर जैसी चीजें भेजे जाने लगे. अब इसे कानूनी कामों में भी इस्तेमाल किए जाने का मामला सामने आया है. हरियाणा के वित्त आयुक्त की कोर्ट (एफसी) ने प्रॉपर्टी विवाद में एक पक्ष को वाट्सऐप के जरिए समन भेजा है. यही नहीं डिलिवरी मैसेज को बतौर साक्ष्य भी कोर्ट में माना गया. भारत में यह अपने तरह का पहला मामला है. इस शुरुआत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की ओर से डिजिटल इंडिया पर दिए जा रहे जोर पर एक कदम के रूप में देखा जा सकता है.

अशोक खेमका को फोन पर धमकी मिली

हरियाणा के सीनियर आइएएस अधिकारी डॉ. अशोक खेमका ने एडवोकेट जनरल कार्यालय में तैनात कुछ वकीलों की काबिलियत पर सवाल उठाए हैं।  लेकिन अब अशोक खेमका ने एक ट्वीट के जरिये कहा है कि एडवोकेट जनरल कार्यालय में कमजोर वकीलों के स्टाफ की वजह से सरकार का गुड गवर्नेंस (सुशासन) का लक्ष्य प्रभावित होता है। उनका यह ट्वीट विभिन्न अदालती मामलों में मजबूत पैरवी पर सवाल खड़े कर रहा है.  

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हरियाणा के जिस वित्त आयुक्त की कोर्ट (एफसी) ने वाट्सऐप पर समन जारी किया है, उसके प्रमुख आईएएस अधिकारी अशोक खेमका हैं. बताया जा रहा है कि कोर्ट को वाट्सऐप पर समन इसलिए भेजना पड़ा क्योंकि मामले का एक पक्ष अपना गांव छोड़कर नेपाल की राजधानी काठमांडू रहने लगा है. हरियाणा के हिसार जिले में एक गांव के तीन भाइयों के बीच संपत्ति का विवाद चल रहा है. मामला वित्त आयुक्त की कोर्ट में पहुंचा था. अशोक खेमका की कोर्ट ने 6 अप्रैल को वाट्सऐप के जरिए इस मामले के एक पक्ष को पेशी के लिए समन भेजा था.

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वह जिस गांव में रहता था, उसे छोड़कर काठमांडू चला गया. पर उसका स्थानीय पता अदालत के पास अपडेट नहीं कराया गया और किसी भी दूसरे पक्ष को इसकी जानकारी भी नहीं थी. सिर्फ मोबाइल फोन नंबर होने की वजह से कोर्ट ने उसे वाट्सऐप के जरिए समन भेजा गया. हालांकि उसने कोर्ट में पेश होने से न​ सिर्फ इनकार कर दिया बल्कि अपना काठमांडू का पता भी देने से मना कर दिया.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि स्थानीय पता जरूरी नहीं की हमेशा स्थानीय रहे, लेकिन ईमेल और मोबाइल फोन नंबर इसकी तुलना में ज्यादा स्थायी होते हैं. ऐसे में फोन या ईमेल से भी किसी को समन भेजा जा सकता है. कोर्ट अब तक समन रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाता है. वाट्सऐप के जरिए समन भेजे जाने के फैसले पर अशोक खेमका ने कहा कि टेक्नोलॉजी के इस युग में हमें कानूनी प्रक्रिया भी इस ओर ले जाना होगा.

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मालूम हो कि अशोक खेमका देश के ईमानदार आईएएस ऑफिसर माने जाते हैं. भ्रष्टाचार का खुलासा करने के चलते हरियाणा सरकार में 23 साल की नौकरी में उनका 45 बार तबादला हुआ है. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के कथित जमीन घोटाले का पर्दाफाश किया था.

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