अयोध्या मामले में सुनवाई 17वां दिन: मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन बोले- 'मैं चिड़चिड़ा होता जा रहा हूं...'
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अयोध्या मामले में सुनवाई 17वां दिन: मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन बोले- 'मैं चिड़चिड़ा होता जा रहा हूं...'

मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने सुनवाई की शुरुआत करते हुए कहा, 'अपनी दलीलें शुरू करने से पहले माफी मांगना चाहता हूं. मीडिया में अपनी टिप्पणियों और हिंदू पक्ष के वकील पर की गई टिप्पणियों के लिए भी माफी मांगता हूं. सभी जगह यह महसूस किया जा रहा है कि मैं चिड़चिड़ा होता जा रहा हूं.' 

अयोध्या मामले में सुनवाई के 17वें दिन मुस्लिम पक्षकार की ओर से एडवोकेट राजीव धवन ने पक्ष रखा.

नई दिल्ली: अयोध्या मामले (Ayodhya case) में हिंदू पक्षकार रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा, हिंदू महासभा, श्रीरामजन्मभूमि पुनरुत्थान समिति की ओर से दलीलें पूरी होने के बाद सोमवार को अयोध्या मामले (Ayodhya case) में मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से दलील जाने की शुरुआत हुई. मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने सुनवाई की शुरुआत करते हुए कहा, 'अपनी दलीलें शुरू करने से पहले माफी मांगना चाहता हूं. मीडिया में अपनी टिप्पणियों और हिंदू पक्ष के वकील पर की गई टिप्पणियों के लिए भी माफी मांगता हूं. सभी जगह यह महसूस किया जा रहा है कि मैं चिड़चिड़ा होता जा रहा हूं.' 

उसके बाद राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने कोर्ट से गुजारिश की कि वह सप्ताह के पांचों दिन लगातार बहस नहीं कर सकते हैं. उनको बीच मे बुधवार को ब्रेक की जरूरत होगी. इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, 'सुनवाई के बीच में ब्रेक देने से मामले की सुनवाई पर असर पड़ेगा. आप चाहें तो शुक्रवार को ब्रेक ले सकते हैं.' चीफ जस्टिस के इस प्रस्ताव पर राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने सहमति जता दी है. 

मतलब सोमवार से गुरुवार राजीव धवन (Rajiv Dhawan) दलील पेश करेंगे. कोर्ट शुक्रवार को किसी दूसरे मुस्लिम पक्षकार को दलील पेश करने को कह सकता है. राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने पहले ही पांच दिन सुनवाई का विरोध करते हुए कहा था कि उनको पांचों दिन सुनवाई होने से उनको केस की तैयारी के लिए वक्त नहीं मिलेगा.

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राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने बहस की शुरुआत करते हुए रामलला विराजमान की तरफ से पेश किए गए सबूतों को अपर्याप्त बताते हुए कहा, 'रामलाल विराजमान के वकील मेरे मित्र सीएस वैद्यनाथन (CS vaidyanathan) ने अयोध्या में लोगों द्वारा परिक्रमा करने संबंधी एक दलील दी है, लेकिन कोर्ट को मैं बताना चाहता हूं कि पूजा के लिए की जाने वाली भगवान की परिक्रमा सबूत नहीं हो सकती. यहां इसे लेकर इतनी दलीलें दी गईं, लेकिन इन्हें सुनने के बाद भी मैं ये नहीं दिखा सकता कि परिक्रमा कहां है. इसलिए यह सबूत नहीं है.' 
राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने कहा कि बाबर के विदेशी हमलावर होने पर वह कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, क्योंकि फिर तो आर्यो को लेकर भी जिरह करनी होगी, मैं यह साबित करने के लिए जिरह करूंगा कि वहां मस्ज़िद थी. धवन ने दलील दी कि विवादित ढांचा औरंगजेब के कार्यकाल के दौरान बनाया गया था, क्योंकि अकबर, शाहजहां या हुमायुं के शासनकाल में इसकी रचना नहीं हो सकती थी. 

राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने यह भी दलील दी कि 'मोर कमल की तस्वीर मिलने का यह मतलब नहीं की वह मस्जिद नहीं जो सकती, रोमन कल्चर में इसकी जगह है.' हिंदू पक्षकारों ने मोर और कमल की तस्वीर मिलने को भी सबूत मंदिर का सबूत माना है. धवन ने कहा कि स्वयंभू का मतलब भगवान का प्रकट होना होता है, इसको किसी खास जगह से नहीं जोड़ा जा सकता है, हम स्वयंभू और परिक्रमा के दस्तावेजों पर भरोसा नहीं कर सकते.

मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने दलील दी कि वैदिक काल में कोई मंदिर या मठवासी संस्थान अस्तित्व में नहीं था, वैदिक काल में कोई मूर्ति पूजा नहीं होती थी. उन्होंने यह भी दलील दी कि 'एक दृष्टिकोण यह भी है कि यह संस्थाएँ बौद्ध काल में अस्तित्व में आईं, किंतु यह कहना कठिन है कि वास्तव में जब मूर्ति पूजा शुरू हुई थी.' राजीव धवन (Rajiv Dhawan) की दलील कल भी जारी रहेगी.

राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने कहा कि जस्टिस अग्रवाल ने अपने अनुमान और सम्भावनाओं के आधार पर मन्दिर के अस्तित्व पर अपनी दलीले दी हैं. धवन ने कहा को जजमेंट की कार्यप्रणाली की ये समस्याएं हैं, गज़ेटियर ने शुरुआत में क्या कहा है? उसने कहा है कि ये गैज़ेट उन्हें इसलिए तैयार करने के लिए दिया गया ताकि ब्रिटिश लोगों को जानकारी दे सकें, क्या हम 1858 से पहले केगज़ेटियर पर भरोसा कर सकते हैं.

राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने कहा कि हिन्दू पक्ष की तरफ से भारत आने वाले यात्रियों की हवाला देकर कहा कि उन यात्रियों ने मस्जिद के बारे में नहीं लिखा है, क्या इस आधार पर यह मान लिया जाए कि वह मस्जिद नहीं था, मारको पोलो ने अपनी किताब में चीन की दीवार के बारे में लिखा था. धवन ने कहा कि हम इस मामले में किसी अनुभवहीन इतिहासकार की बात को नहीं मान सकते हैं, हम सभी अनुभवहीन ही हैं. 

इसपर डीवाई चंद्रचूर्ण ने कहा कि आप ने भी कुछ ऐतिहासिक साक्ष्य दिए हैं कोई ऐसा साक्ष्य है, जिसपर दोनों ने भरोसा जताया हो. मुस्लिम पक्षकार के वकील धवन ने कहा कि स्वयंभू का मतलब भगवान का प्रकट होना होता है, इसको किसी खास जगह से नहीं जोड़ा जा सकता है, हम स्वयंभू और परिक्रमा के दस्तावेजों पर भरोसा नहीं कर सकते हैं.

राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने कहा कि 1939 में एक मस्जिद तोड़ी गई. 1949 में एक मूर्ति को रखा गया. 1992 में मस्जिद को ध्वस्त किया गया, किस इक्विटी का कानून के तहत अखाड़ा अधिकारों को संरक्षित किया जा सकता है.

सुनवाई के 17वें दिन मुस्लिम पक्षकारों की ओर से राजीव धवन (Rajiv Dhawan) की दलीलें-:

राजीव धवन (Rajiv Dhawan)- मैं अपनी दलीलें शुरू करने से पहले माफी मांगना चाहता हूं. मैं मीडिया में अपनी टिप्पणियों और वरिष्ठ वकील पीएन मिश्रा पर की गई टिप्पणियों के लिए भी माफी मांगता हूं. सभी जगह यह महसूस किया जा रहा है कि मैं चिड़चिड़ा होता जा रहा हूं.

राजीव धवन (Rajiv Dhawan): वह कौनसा कानून है जो आपने लिया है? 

हम जिस कानून का अनुसरण करते हैं वह वैदिक कानून नहीं है. योर लॉर्डशिप, लीगल सिस्टम 1858 में शुरू हुआ था.

धवन ने कोर्ट से सप्ताह के बीच मे बुधवार को खुद के लिए ब्रेक की मांग की. धवन ने कहा कि उनके लिए लगातार दलीलें देना मुश्किल होगा.

CJI ने कहा- इससे कोर्ट को परेशानी होगी. आप चाहे तो शुक्रवार को ब्रेक ले सकते हैं.

धवन- ठीक है, मैं सहमत हूं.

राजीव धवन (Rajiv Dhawan): मेरे मित्र वैद्यनाथन (CS vaidyanathan) ने अयोध्या में लोगों द्वारा परिक्रमा करने संबंधी एक दलील दी यही. लेकिन कोर्ट को मैं बताना चाहता हूं कि पूजा के लिए की जाने वाली भगवान की परिक्रमा सबूत नहीं हो सकती. यहां इसे लेकर इतनी दलीलें दी गई, लेकिन इन्हें सुनने के बाद भी मैं ये नहीं दिखा सकता कि परिक्रमा कहां है. इसलिए यह सबूत नहीं है.

राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने कहा कि बाबर के विदेशी हमलावर होने पर वह कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, धवन ने कहा कि साबित करने के लिए जिरह करूंगा कि वहां मस्ज़िद थी.

राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने कहा कि आप कौन सा कानून यहां पर लागू करेंगे, क्या हमे वेदों और स्कंद पुराण को लागू करना चाहिए.

राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने सुप्रीम कोर्ट को धर्म ने न्याय, साम्यता और शुद्ध विवेक-व्यवस्था और कुछ यात्रियों का संक्षिप्त कॉम्पलीकेशन दिया.

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