मथुरा में आप भी होली खेलना चाहते हैं? तो पहले ये खबर पढ़ लीजिए
Advertisement
trendingNow11119773

मथुरा में आप भी होली खेलना चाहते हैं? तो पहले ये खबर पढ़ लीजिए

मथुरा (Mathura) में हर साल होली के त्योहार के लिए गजब का उत्साह देखने को मिलता है. इस साल भी मथुरा में होली की धूम शुरू हो गई है. मथुरा की होली के बारे में रोचक बातें जानकर आपका भी वहां जाने का मन करने लगेगा. बता दें कि यहां होली (Holi) का त्योहार मनाने देश-विदेश से कई श्रद्धालु पहुंचते हैं.

प्रतीकात्मक फोटो | Photo Credit : Holiday Moods Adventures

मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में होली का उत्साह साफ नजर आ रहा है. बसंत पंचमी पर मंदिरों में और होलिका दहन स्थलों पर होली का ढांडा गाड़े जाने के बाद से ही भगवान कृष्ण (Lord Krishna) की नगरी में 40 दिनों तक चलने वाले रंगोत्सव (Festival Of Colors) की धूम शुरू हो गई थी. अब 10 मार्च को बरसाना के लाड़िली जी मंदिर में ‘लड्डू होली’ खेले जाने के साथ ही होली का आनंद चरम पर पहुंचता जाएगा. 

  1. मथुरा की अद्भुत होली
  2. लट्ठ मार होली है फेमस
  3. देश-विदेश से पहुंचते हैं श्रद्धालु

लट्ठ मार होली है प्रसिद्ध

श्रीजी मंदिर के सेवायत किशोरी गोस्वामी ने ‘भाषा’ से कहा, ‘कान्हा की नगरी में रंग खेलने का आनंद उन लोगों से ज्यादा कौन जानता होगा जो ‘लट्ठ की मार’ खाकर भी खुद को धन्य मानते हैं. इस बार फागुन शुक्ल नवमी और दशमी को क्रमश: बरसाना और नंदगांव में लट्ठमार होली (Lathmar Holi) खेली जाएगी.’ उन्होंने बताया कि इसके बाद रंगभरनी एकादशी पर 12 मार्च को मथुरा में ठाकुर द्वारिकाधीश और वृंदावन के ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में श्रद्धालु (Devotees) अपने आराध्य के साथ होली खेलेंगे. 

होली के त्योहार में अनोखा उत्साह

इस दिन मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में लीलामंच पर ब्रज की कमोबेश सभी प्रकार की होलियों का मंचन होगा. कहा जाता है कि जब बरसाना से एक सखी सुबह राधारानी की ओर से रंग और मिठाई लेकर नन्दगांव के हुरियारों (होली खेलने वालों) को होली का आमंत्रण देने जाती है तो शाम को वहां से एक पण्डा कृष्ण के प्रतिनिधि के रूप में होली का न्यौता देने बरसाना पहुंचता है. बरसाना (Barsana) के गोस्वामी उसका आदर-सत्कार करते हैं. 

ये भी पढें: चुनाव के नतीजे आने से पहले एक बार इस गुमनाम हीरो के बारे में जरूर जान लें

लड्डुओं की होती है बरसात

सेवायत गोस्वामी ने बताया कि आवभगत के लिए पण्डा को लड्डू खिलाने की होड़ मच जाती है और उस पर एक प्रकार से लड्डुओं की बरसात होती है. इन्हीं लड्डुओं को प्रसाद के रूप में दिया जाता है और इसे ‘लड्डू होली’ या ‘लड्डू लीला’ कहा जाता है. फाल्गुन शुक्ल नवमी के दिन बरसाना में लट्ठमार होली होती है. सेवायत किशोरी गोस्वामी बताते हैं कि दिल्ली से टेसू के 10 क्विंटल फूल मंगाए गए हैं. 

रंगों के लिए होता है फूलों का इस्तेमाल

उन्होंने बताया कि टेसू के फूलों (Tesu's Flowers) से तैयार रंग को लाड़ली जी मंदिर में ऊपर की मंजिलों से श्रद्धालुओं और नन्दगांव के हुरियारों पर डाला जाता है. इसके बाद 14 मार्च को श्रद्धालु मथुरा में ठाकुर द्वारिकाधीश और वृन्दावन में ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में रंगों की होली खेलेंगे. 16 मार्च को गोकुल की छड़ीमार होली होगी. गोपियां बालकृष्ण के साथ होली खेलने के लिए छोटी-पतली छड़ियां लेकर निकलेंगी. 

ये भी पढें: फिल्मी जगत की हसीनाएं जिन्होंने राजनीति में आजमाया हाथ, जानिए इस लिस्ट में कौन-कौन

बड़ी रोचक मान्यता

मान्यता है कि यदि बड़ी लाठी से होली खेली जाएगी, तो कृष्ण (Lord Krishna) को चोट पहुंच सकती है इसलिए यहां छड़ियों से ही होली खेली जाती है. फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन के अवसर पर कोसीकलां के पास स्थित फालैन गांव में एक पण्डा होली की धधकती हुई ज्वाला में से गुजरता है. अगले दिन ब्रजवासी (Brajwasi) होली खेलते हैं. इसी के साथ रंगों से खेली जाने वाली होली (Holi) की परम्परा का एक पक्ष यहां सम्पूर्ण हो जाता है.

(इनपुट - भाषा)

LIVE TV

Trending news