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नई दिल्ली: जब से कोरोना महामारी ने दस्तक दी है तबसे इसे पहचानना, टेस्टिंग किट बनाना किसी चुनौती से कम नहीं था. लेकिन NIV पुणे के वैज्ञानिकों ने मोर्चा संभाला और सबसे पहले देश में कोरोना वायरस की ना सिर्फ पहचान की बल्कि उसकी टेस्टिंग किट से लेकर टेस्टिंग लैब देशभर में तैयार करवाईं. साथ ही उनको प्रशिक्षिण दिया ताकि देश में तेजी से कोरोना संक्रमण के मामलों की टेस्टिंग हो सके.
ICMR के तहत आने वाले NIV रिसर्च संस्थान में 60 से ज्यादा वैज्ञानिक काम करते हैं देश की यह एकमात्र लैब है जिसमें जिनोम सीक्वेंसिंग की जाती है. हालांकि कोरोना महामारी के आने के बाद NIV पुणे के रिसर्च सेंटर बढ़ाए गए हैं.
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कोरोना महामारी के लगभग 2 साल बाद कोरोना प्रोटोकॉल से ढील दी जा चुकी है और कई राज्य तो मास्क को भी गैर जरूरी कर रहे हैं. लेकिन NIV की डायरेक्टर ने Zee News से बात करते हुए कहा कि जब तक कोरोना महामारी पूरी तरह खत्म नहीं हो जाती तब तक सावधानी बरतना जरूरी है. लोग अगर भीड़ में जाएं तो मास्क जरूर लगाएं. उनका कहना है कि यदि महामारी और लंबी बनी रहती है तो कोरोना से बचाव के लिए लोगों को हर साल बूस्टर डोज की जरूरत होगी.
देश में आज की तारीख में कोरोना महामारी नियंत्रण में है और हर दिन हजारों की संख्या में आने वाले संक्रमण के मामले धीरे-धीरे हजार के आसपास आ गए हैं. एक्टिव मामलों की संख्या भी घटी है.
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