जम्मू और कश्मीर: लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव न कराने पर कई नेता नाराज
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जम्मू और कश्मीर: लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव न कराने पर कई नेता नाराज

जम्मू और कश्मीर में राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव के साथ ही राज्य में विधानसभा चुनाव नहीं कराने के चुनाव आयोग के फैसले से नराज़ हैं. दो पूर्व मुख्यमंत्रियों और अन्य राजनेताओं ने इस कदम पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है.

जम्मू और कश्मीर: लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव न कराने पर कई नेता नाराज

जम्मू: जम्मू और कश्मीर में राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव के साथ ही राज्य में विधानसभा चुनाव नहीं कराने के चुनाव आयोग के फैसले से नराज़ हैं. दो पूर्व मुख्यमंत्रियों और अन्य राजनेताओं ने इस कदम पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर इसे "भारत विरोधी ताकतों के लिए एक आत्मसमर्पण" के रूप में वर्णित किया. नेशनल कांफ्रेंस मुताबिक यह बोहत गलत हुवा जो दल यहां मुख्यधारा को मज़बूत कर रहे थे उन ताकतों को और लोकतंत्र को धक्का लगा. नेशनल कॉन्फ्रेंस के युवा नेता सलमान सागर ने कहा, "हमें नहीं पता उनकी क्या मंशा है इसके पीछे मगर एक चीज़ ज़रूर हुई यहां ऐसी तकतें मज़बूत हुईं जो चुनाव का विरोध करती हैं. वो कमज़ोर हुए उनका मनोबल कम हुआ जो चुनाव के हक में है."  

पीडीपी अध्यक्ष और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा, "जम्मू-कश्मीर में केवल लोकसभा चुनाव कराने का निर्णय लोगों लोकतंत्र से दूर रखने वाला निर्णय है. यह राज्य में समस्याओं को और बढ़ाएगा. चुनाव आयोग द्वारा लिए गए निर्णय की तत्काल समीक्षा की आवश्यकता है. पीडीपी मानती है जो चुनाव आयोग का कश्मीर दौरा था उसका कोई मतलब नहीं रहा क्योंकि सभी राजनैतिक दलों ने कहा था कि दोनों चुनाव साथ होने चाहिए. विधानसभा के चुनाव न करना मतलब लोगों को अपने जम्हूरी हक से दूर रखना लगता है. इनकी नियत ठीक नहीं." पीडीपी के प्रवक्ता ताहिर सईद का कहना है, "उन ताकतों को कमज़ोर किया जा रहा है जो जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को मज़बूत करने का काम कर रहे है यह फैसला मुखयधारा को कमज़ोर करने है."   

निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कहा कि विधानसभा चुनावों के स्थगित होने से केंद्र सरकार के लंबे दावों का खुलासा हुआ. पार्टी के एक बयान में कहा, "केंद्र ने खुद ही साबित कर दिया है कि स्थिति नियंत्रण से बाहर है और एक साथ चुनाव कराने के लिए अनुकूल नहीं है. केंद्र एक बार फिर विधानसभा चुनाव कराने में विफल रहा है."  

नेताओं के साथ-साथ कश्मीर के पर्यटन व्यापारी भी इस फैसले से नाराज़ हैं क्योंकि पुलवामा हमले और उसके बाद जंग के माहौल ने कश्मीर में पर्यटन को शून्य पर लाया है. अब चुनावों का अलग-अलग होना मतलबा साल की शुरुआत और आखिर तक घाटी में चुनाव होंगे यानी पूरे साल कश्मीर में पर्यटन से जुड़ा कारोबार नहीं होगा जिसे कश्मीर की आर्थिक सिथिति काफी प्रभावित होगी. 

कश्मीर के एक ट्रैवल एजेंट वसीम गौसानी का कहना है, "चुनाव और हालातों के कारण पर्यटन ज़ीरो हो गया है. सभी चीजों पर असर पड़ा है. हमें उम्मीद थी लोकसभा और विधानसब चुनाव एक साथ होंगे लेकिन अलग-अलग हो रहे हैं यानी सभी सीज़न खत्म हुए. हम चाहते हैं कि चुनाव जल्दी होने चाहिए."  

वहीं, चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर में सिथिति की समीक्षा करने के लिए तीन सदस्य टीम बनाई है. अब वो राज्य का दौरा करेंगे और सिथिति की समीक्षा कर अपनी रिपोर्ट देंगे और फिर राज्य में विधानसभा चुनाव करवाने का फैसला होगा. 
गौरतलब है कि चुनाव आयोग की टीम ने जब कश्मीर का दौरा किया था तो सभी राजनैतिक दलों ने राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ करवाने की मांग की थी लेकिन आयोग का फैसला विपरीत आया जिससे राजनीतिक दल नाराज़ हैं. 

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