Kashmiri Pandit: कश्मीरी पंडितों को मिलेगा इंसाफ! जज नीलकंठ गंजू हत्या मामले में 30 साल बाद जांच शुरू, लोगों से मदद की अपील
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Kashmiri Pandit: कश्मीरी पंडितों को मिलेगा इंसाफ! जज नीलकंठ गंजू हत्या मामले में 30 साल बाद जांच शुरू, लोगों से मदद की अपील

Neelkanth Ganjoo Murder Case: करीब 30 साल तक लगातार आवाज उठाने के बाद लगता है कि कश्मीरी पंडितों को अब इंसाफ की उम्मीद बंधी है. जज नीलकंठ गंजू की आतंकियों के हाथों हुई हत्या के मामले में जम्मू-कश्मीर की राज्य जांच एजेंसी (SIA) ने लोगों से मदद मांगी है.

Kashmiri Pandit: कश्मीरी पंडितों को मिलेगा इंसाफ! जज नीलकंठ गंजू हत्या मामले में 30 साल बाद जांच शुरू, लोगों से मदद की अपील

SIA Probe Begins in Judge Neelkanth Ganjoo Murder Case: पिछले 30 साल से इंसाफ की बाट जोह रहे कश्मीरी पंडितों को अब न्याय की उम्मीद जगने लगी है. केंद्र सरकार ने कश्मीरी पंडितों की मांग मानते हुए वर्ष 1989 के दौर में हुए नस्लीय नरसंहारों की जांच कराने का फैसला किया है. जम्मू कश्मीर के रिटायर्ड जज नीलकंठ गंजू की गोली मारकर हत्या किए जाने के 33 साल बाद, जम्मू-कश्मीर की राज्य जांच एजेंसी (SIA) इस मामले की जांच शुरू की है. एजेंसी ने सोमवार को बयान जारी कर इस हत्याकांड के पीछे बड़ी आपराधिक साजिश का पता लगाने के लिए आम जनता से जानकारी मांगी.

बेरहमी से हुई थी नीलकंठ गंजू की हत्या

एजेंसी की ओर से जारी बयान के मुताबिक जम्मू कश्मीर में 3 दशक पहले रिटायर्ड जज नीलकंठ गंजू (Judge Neelkanth Ganjoo) की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड के पीछे की बड़ी आपराधिक साजिश का पता लगाने के लिए SIA तथ्यों या परिस्थितियों से परिचित सभी व्यक्तियों से आगे आने की अपील करती है. एजेंसी के प्रवक्ता ने मामले से जुड़े लोगों से आग्रह किया कि वे उन घटनाओं का विवरण साझा करें, जिसका इस मामले से किसी भी तरह का लिंक हो. 

इन संपर्कों पर दे सकते हैं जानकारी

एजेंसी के प्रवक्ता ने कहा कि इस हत्याकांड से संबंधित कोई भी जानकारी मोबाइल नंबर- 8899004976 या ईमेल sspsia-kmr@jkpolice.Gov.In पर दी जा सकती है. प्रवक्ता के मुताबिक ऐसे सभी व्यक्तियों की पहचान गुप्त रखी जाएगी. साथ ही जांच में सहयोग करने वाले लोगों को उचित रूप से पुरस्कृत भी किया जाएगा.

वर्ष 1989 में आतंकियों ने बरसाई थी गोलियां

बता दें कि नीलकंठ गंजू (Judge Neelkanth Ganjoo) कश्मीर घाटी में तैनात जज थे. उन्होंने वर्ष 1960 के दशक में पुलिस अधिकारी अमर चंद की हत्या से जुड़े मामले में सुनवाई की थी. उस केस में उन्होंने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के संस्थापक मोहम्मद मकबूल भट को मौत की सजा सुनाई थी. इससे भन्नाए आतंकियों ने नवंबर 1989 में कई गोलियां मारकर उनकी हत्या कर दी थी. आतंकियों का निशाना बनने वाले वे प्रमुख कश्मीरी पंडितों में से एक थे.

(एजेंसी एएनआई)

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