आतंक छोड़ थामा था सेना का दामन, राष्ट्रपति के हाथों मिला सम्मान तो छलक गए मां के आंसू
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आतंक छोड़ थामा था सेना का दामन, राष्ट्रपति के हाथों मिला सम्मान तो छलक गए मां के आंसू

राजपथ पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शहीद लांस नायक नजीर अहमद वानी के परिवार को वीरता के लिए इस अवॉर्ड से सम्मानित किया. 

फोटो साभार : ANI

नई दिल्ली : देशभर में गणतंत्र दिवस (Republic Day 2019) की धूम है. आज पूरा देश 70वें गणतंत्र की खुशियों में डूबा हुआ है. इंडिया गेट पर स्थित अमर जवान ज्योति पर प्रधानमंत्री ने पुष्पांजलि अर्पित कर परेड की शुरुआत करवाई. परेड की शुरुआत के साथ की झांकियों का दौर शुरू हो गया है. भारतीय सेना की ताकत के अलावा देश के विभिन्न राज्यों और संस्कृतियों के रंग राजपथ से आज सारी दुनिया देख रही है. 

राजपथ पर देश ने दम दिखाया. इस दौरान सेना में शामिल नए हथियारों का भी मुजाहिरा किया गया. साथ ही दुश्मन को मात देने वाले हथियार भी दुनिया को दिखाए गए. इसके साथ ही देश के वीर जवानों को राजपथ पर सम्मानित किया गया. राजपथ पर शहीद लांस नायक नजीर अहमद वानी को मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया. 

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राष्ट्रपति कोविंद ने दिया अव़ॉर्ड
राजपथ पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शहीद लांस नायक नजीर अहमद वानी के परिवार को वीरता के लिए इस अवॉर्ड से सम्मानित किया. इस दौरान नजीर वानी की मां भी वहां पर मौजूद थी. राष्ट्रपति के हाथों बेटे को मिले इस सम्मान को देखते ही नजीर की मां की आंखें नम हो गईं.

आतंक का रास्ता छोड़, सेना में हुए शामिल
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए जान गंवाने वाले लांस नायक नजीर अहमद वानी की कहानी दिलचस्‍प है. नजीर अहमद वानी पहले आतंकवादी थे, लेकिन जब उन्हें इस बात का अहसास हुआ तो उन्होंने देश विरोधी ताकतों से नाता तोड़ दिया. इसके बाद वह भारतीय सेना में शामिल होकर राष्ट्र सेवा में जुट गए.

अधिकारियों के अनुसार 38 वर्षीय वानी कुलगाम के अश्मुजी के रहने वाले थे. वह 25 नवंबर को भीषण मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे. शुरू में आतंकी रहे वानी बाद में हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्यधारा में लौट आए थे. वह 2004 में सेना में शामिल हुए थे. अधिकारियों ने बताया कि वानी दक्षिण कश्मीर में कई आतंकवाद रोधी अभियानों में शामिल रहे. जिस मुठभेड़ में वह शहीद हुए, उस समय वह 34 राष्‍ट्रीय रायफल्‍स का हिस्‍सा थे. इसके अलावा वह जम्‍मू और कश्‍मीर लाइट इंफैंट्री रेजीमेंट में भी रहे थे.

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