कृषि सुधार कानूनों पर छत्तीसगढ़ BJP की महापंचायत आज, रमन सिंह खुद संभालेंगे मोर्चा
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कृषि सुधार कानूनों पर छत्तीसगढ़ BJP की महापंचायत आज, रमन सिंह खुद संभालेंगे मोर्चा

 भाजपा नेता किसानों को कृषि सुधार कानूनों के फायदे बताएंगे और इसे लेकर फैले भ्रम को दूर करने की कोशिश करेंगे. 

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह. (File Photo)

रायपुर: कृषि सुधार कानूनों पर छत्तीसगढ़ बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू कर दी है.  इसके तहत पार्टी ने किसानों के मुद्दों को लेकर तीन दिवसीय कार्ययोजना बनाई है. इसमें 14 दिसंबर को जिला स्तर पर प्रेसवार्ता हो चुकी है. 15 दिसंबर को किसान महापंचायत का आयोजन होगा. भाजपा नेता प्रदेशभर में धान खरीदी केंद्रों में जाकर किसान पंचायत लगाएंगे. कवर्धा, रायगढ़ और महासमुंद में महापंचायत  लगेगी. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह कवर्धा के महापंचायत में शामिल होंगे. भाजपा नेता किसानों को कृषि सुधार कानूनों के फायदे बताएंगे और इसे लेकर फैले भ्रम को दूर करने की कोशिश करेंगे. 

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वहीं, 16 दिसंबर को इंटरनेट मीडिया के माध्यम से अभियान चलाया जाएगा. भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में संयुक्त पत्रकारवार्ता को संबोधित किया. साय ने कहा था कि पूरे प्रदेश में किसानों के हितों को लेकर किसान पंचायत का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें पार्टी का प्रत्येक कार्यकर्ता अपनी सहभागिता देंगे. ऐतिहासिक कृषि अधिनियम पर देशव्यापी जनजागरण और जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है. साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की आजादी के बाद कृषि सुधारों को लेकर किसान कल्याणकारी फैसले लिए गए हैं, जिसे लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है.

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प्रदेश भाजपा अध्यक्ष साय ने कहा कि केंद्रीय संगठन की ओर से निर्धारित कार्यक्रम के तहत 14 से 16 दिसंबर तक पूरे प्रदेश में किसान पंचायतें, सोशल मीडिया अभियान और प्रेसवार्ता का आयोजन किया जा रहा है. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि जिन्हें कभी किसानों से मतलब ही नहीं रहा है, वह आज किसानों की हितों की बात केवल अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए कर रहे हैं. उन्होंने कृषि सुधारों से जुड़े तीनों केंद्रीय कानूनों को किसानों के हित में बताया. उन्होंने कहा कि इस कानून से किसी किसानों का अहित नहीं हो रहा है, लेकिन कुछ राजनीतिक दलों की सियासी जमीन खिसक रही है, जिससे वे चिंतित हैं. यह कानून किसानों की समग्रता के लिए मील का पत्थर साबित होगा.

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