सरकार ने समर्थन मूल्य पर अभी तक 74 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं खरीद लिया है और इतना गेहूं लेने से केंद्र सरकार ने इंकार कर दिया है. यह विवाद बोनस राशि को लेकर है, कांग्रेस की सरकार ने किसानों को फायदा देने 160 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने की घोषणा की थी. अब सीएम ने पीएम को पत्र लिखते हुए इस मामले को सुलझाने का आग्रह किया है.
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भोपालः केंद्र और राज्य सरकार के बीच वित्तीय मामलों को लेकर टकराव की स्थिति सामने आने लगी है. इसके पीछे की वजह मध्य प्रदेश की बजट तैयारियां और केंद्र से मिलने वाले फंड में बड़ी कटौती मानी जा रही है. जिसके चलते राज्य कांग्रेस के वचन पत्र की मांगों को पूरा करने में फंड का टेंशन सताने लगा है. मोदी सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष में ही मध्यप्रदेश को 3700 करोड़ रुपए कम आवंटित किए थे और नए वित्तीय वर्ष के प्रारंभ से ही भेदभाव सामने आने लगा है. केंद्रीय करों से मध्य प्रदेश को इस वर्ष 62 हजार करोड़ की राशि मिलनी है. यानी हर माह 6 हजार करोड़ रुपए.
साथ ही विभिन्न योजनाओं के लिए भी करीब 39 हजार करोड़ की सहायता मिलनी चाहिए, मगर केंद्रीय करों में हिस्से के रूप में अभी तक मात्र 4 हजार करोड़ रुपए मिल सके हैं और योजनाओं के लिए भी केंद्र ने केवल 600 करोड़ की राशि जारी की है, जिससे मध्य प्रदेश सरकार की वित्तीय स्थिति गड़बड़ा गई है. विधानसभा चुनाव के बाद बनी कांग्रेस की सरकार को खजाना खाली मिला था. ऊपर से मोदी सरकार ने वित्तीय वर्ष के अंत में केंद्रीय करों सहित विभिन्न योजनाओं में 3700 करोड़ की कटौती कर दी थी.
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कर्ज का बोझ और बजट का संकट
कांग्रेस के वचन पत्र में 50 लाख किसानों की कर्जमाफी के लिए पैसा जुटाना मुश्किल लग रहा है, क्योंकि इस पर ही करीब 40 हजार करोड़ की राशि खर्च होनी है. जिसके लिए बैंकों को तैयार किया गया है. अब केंद्र ने भी 12 हजार करोड़ के एवज में मात्र 4 हजार करोड़ रुपए केंद्रीय करों में दिया और योजनाओं के लिए भी हर महीने 3 हजार 250 करोड़ के बदले दो माह में 600 करोड़ रुपए आवंटित किए है, जिससे मध्य प्रदेश सरकार पर वित्तीय संकट बढ़ गया है. इसकी वजह से अप्रैल और मई में ही उसे बाजार से 2 हजार करोड़ का कर्ज उठाना पड़ा.
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गेहूं को लेकर भी विवाद
साल 2016 में केंद्र सरकार से एमपी का एग्रीमेंट हुआ था कि मध्य प्रदेश का 75 लाख मीट्रिक टन गेहूं केंद्र लेगा, जबकि पीडीएस में उसे 36 लाख मीट्रिक टन की आवश्यकता होती है. केंद्र ने इस साल 67.25 लाख मीट्रिक टन ही गेहूं विशेष अनुमति के तहत लेने की स्वीकृति दी थी, जिसके चलते राज्य सरकार पर संकट आ गया. क्योंकि सरकार ने समर्थन मूल्य पर अभी तक 74 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं खरीद लिया है और इतना गेहूं लेने से केंद्र सरकार ने इंकार कर दिया है. यह विवाद बोनस राशि को लेकर है, कांग्रेस की सरकार ने किसानों को फायदा देने 160 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने की घोषणा की थी. अब सीएम कमलनाथ ने पीएम को पत्र लिखते हुए इस मामले को सुलझाने का आग्रह किया है.