Ram Mandir: नेपाल से लाए गए शालिग्राम पत्थर के बाद महाराष्ट्र (Maharashtra) के चंद्रपुर (Chandrapur) के जंगलों से विशेष सागौन की लकड़ी की पहली खेप आज अयोध्या (Ayodhya) रवाना होगी. राम मंदिर के मुख्य द्वार (Ram Temple entrance door) समेत कई दरवाजों का निर्माण इसी से होगा. राम काज के लिए महाराष्ट्र सरकार ने शोभा यात्रा निकालने समेत कई इंतजाम किए हैं.
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Chandrapur teakwood sent to Ayodhya today: अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर के प्रवेशद्वार में बेशकीमती सागौन की लकड़ी का उपयोग होगा. महाराष्ट्र के चंद्रपुर से मूल्यवान और उच्च दर्जे की सागौन की लकड़ी इस शुभ काम के लिए आज अयोध्या भेजी जाएगी. इससे पहले चंद्रपुर (Chandrapur ) में भव्य रैली होगी और विधि-विधान से पूजा-पाठ के बाद 29 मार्च को सागौन से लदा ट्रक अयोध्या के लिए रवाना किया जाएगा.
इस पौराणिक वन की लकड़ी का इस्तेमाल
भगवान श्री राम (Lord Ram) अपने वनवास के समय में दंडकारण्य के जंगल में आए हुए थे और चंद्रपुर और आसपास के इलाके को दंडकारण्य का जंगल कहा जाता है और उन्होंने अपने वनवास का काफी हिस्सा दंडकारण्य के जंगलों में बिताया था. भगवान राम के पिता दशरथ का ननिहाल भी इसी चंद्रपुर की जगह को माना जाता है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने सागौन की लकड़ी उपलब्ध कराने के लिए वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार को पत्र लिखा था.
पूजा और शोभायात्रा के बाद रवाना होगी खेप
आज बुधवार को दोपहर तीन बजे पहली खेप 1855 क्यूबिक फीट भेजी जाएगी. सबसे पहले लकड़ियों की पूजा वाल्मीकि समाज (valmiki society worship) से करायी जाएगी. 29 मार्च को चंद्रपुर में महाराष्ट्र सरकार की तरफ भव्य शोभायात्रा निकालने की पूरी तैयारी है. इस शोभायात्रा में देवेंद्र फडणवीस, सुधीर मुनगंटीवार, महाराष्ट्र बीजेपी के कई बड़े नेताओं के साथ साथ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के भी तीन मंत्री शामिल होने वाले है. शोभायात्रा के दौरान कैलाश खेर के भजनों की प्रस्तुति होगी.
बेहद खास है चंद्रपुर की लकड़ी के चयन की वजह
राम मंदिर ट्रस्ट ने कई संस्थाओं से भगवान के मंदिर के प्रवेश द्वार समेत अन्य दरवाजों के लिए सर्वश्रेष्ठ लकड़ी की जानकारी मांगी थी. इसके जवाब में एफआरआई नाम की संस्था ने बताया था कि चंद्रपुर के सागवान की लकड़ी, देश में सबसे बढ़िया क्वालिटी की होती है. इन लकड़ियों में किसी भी तरह की कलाकृति अच्छी तरह से उकेरी जा सकती है. इन लकड़ियों में करीब 1000 साल तक दीमक नहीं लगता है क्योंकि इनमें आयल की मात्रा बहुत ज्यादा होती है.
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