पुलवामा हमला: महबूबा मुफ्ती ने कहा, 'दर्द और गुस्से इस्तेमाल J&K के लोगों को सताने के लिए न हों'
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पुलवामा हमला: महबूबा मुफ्ती ने कहा, 'दर्द और गुस्से इस्तेमाल J&K के लोगों को सताने के लिए न हों'

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि सीआरपीएफ के कर्मियों की मौत के दर्द को ‘इस तरह की शैतानी योजनाओं‘ को कामयाब करने में इस्तेमाल नहीं होने देना चाहिए. 

जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (फाइल फोटो)

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को आगह किया कि हमें शरारती तत्वों को पुलवामा आतंकी हमले का इस्तेमाल 'लोगों को सताने या परेशान करने के बहाने'  के रूप में करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए. महबूबा मुफ्ती ने कहा कि सीआरपीएफ के कर्मियों की मौत के दर्द को ‘इस तरह की शैतानी योजनाओं‘ को कामयाब करने में इस्तेमाल नहीं होने देना चाहिए. 

महबूबा ने ट्विटर पर कहा, 'हम दर्द और गुस्से को समझते हैं. मगर, हमें जम्मू कश्मीर के लोगों को सताने या परेशान करने के लिए शरारती तत्वों को इसे एक बहाने के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए. उन्हें किसी और के कृत्य को क्यों सहना चाहिए? हमें लोगों को हमारे आंसुओं का इस्तेमाल करने देने के बजाय एकजुट होने की जरूरत है.'  

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पीडीपी प्रमुख की यह टिप्पणी जम्मू में हिंसक प्रदर्शन और राज्य के बाहर कुछ स्थानों पर कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कश्मीरी छात्रों को निशाना बनाए जाने की रिपोर्टों की पृष्ठभूमि में आई है.

पूर्व मुख्यमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'दर्द और आक्रोश के इस वक्त में, हमें बांटने की कोशिशें होंगी. मज़हबों और पहचानों को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा किया जाएगा. हिन्दू बनाम मुस्लिम. जम्मू बनाम कश्मीर. हमारे दर्द को इस तरह की शैतानी योजनाओं को कामयाब होने में इस्तेमाल नहीं होने देना चाहिए.' 

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उन्होंने अपने ट्वीट में एक अफ्रीकी लोकोक्ति, 'कुल्हाड़ी भूल जाती है लेकिन पेड़ को याद रहता है' का जिक्र किया जिसका मतलब है कि जिस पर बीतती है वो ही उस तकलीफ को याद रखता है.

(इनपुट - भाषा)

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