भारत के दौरे पर आएंगे अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पियो, रक्षा सहयोग पर देंगे बल
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भारत के दौरे पर आएंगे अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पियो, रक्षा सहयोग पर देंगे बल

पच्चीस से 27 जून तक भारत के दौरे पर आ रहे पोम्पियो ने जयशंकर से बात करके उन्हें विदेश मंत्री पर नियुक्ति मिलने की बधाई दी.

फाइल फोटो

वाशिंगटनः अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो आज दो दिवसीय दौरे पर भारत आ रहे हैं. भारत दौरे से पहले पोम्पियो ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की और दोनों देशों की द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने की ट्रंप प्रशासन की दृढ प्रतिबद्धता को रेखांकित किया. एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी.

पच्चीस से 27 जून तक भारत के दौरे पर आ रहे पोम्पियो ने जयशंकर से बात करके उन्हें विदेश मंत्री पर नियुक्ति मिलने की बधाई दी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागस ने यह जानकारी दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जयशंकर को विदेश मंत्री बनाने के करीब तीन सप्ताह बाद पोम्पियो ने बधाई देने के लिए फोन किया है. पोम्पियो की यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्ंरप के बीच जी -20 शिखर सम्मेलन (28-29 जून) से इतर होने वाली बैठक से पहले प्रस्तावित है.

अपने भारत मिशन की जानकारी देते हुए पोम्पियो ने कहा कि उनका वास्तव में मानना है कि दोनों देशों के पास अपने लोगों, हिंद-प्रशांत क्षेत्र और दुनिया की भलाई के लिए एक साथ आगे बढ़ने का अद्वितीय मौका है. पोम्पिओ 24 से 30 जून तक भारत, श्रीलंका, जापान और दक्षिण कोरिया की यात्रा करेंगे.

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पोम्पिओ ने कहा कि ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका रक्षा सहयोग को एक नए आयाम पर लेकर गया है, उन्होंने हिंद-प्रशांत के लिए साझे दृष्टिकोण को मजबूत किया है और आतंकवाद के लिए पाकिस्तान के अस्वीकार्य सहयोग के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है.

पोम्पिओ ने कहा कि अब ट्रम्प और मोदी प्रशासन के पास ‘‘इस विशेष साझेदारी को और आगे ले जाने का अद्वितीय अवसर’’ है. उन्होंने कहा कि उनके पास अपने नए समकक्ष जयशंकर के रूप में मजबूत साझीदार है. जयशंकर अमेरिका में भारत के राजदूत भी रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने अप्रैल में अपने एक भाषण में कहा था कि वह अमेरिका के साथ और अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं और यह भावना दोनों ओर से है. हम आगे बढ़ना चाहते हैं.’’ पोम्पिओ ने कहा कि इसके लिए दोनों देशों को अब तक के सबसे मजबूत संबंध बनाने होंगे.

उन्होंने कहा, ‘‘मजबूत संबंध बनाने का मतलब इन व्यक्तिगत मित्रवत संबंधों को आधिकारिक बनाना है. हमने पिछले साल रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर ‘2 प्लस 2 वार्ता’ शुरू की थी. हमने हिंद-प्रशांत में एक जैसी सोच रखने वाले लोकतांत्रिक देशों भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के बीच चतुर्भुज संवाद (क्वाड डायलॉग) में भी फिर से जान फूंकी है. ये सभी अच्छे कदम हैं.’’ उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका को ऐसे सामरिक ढांचे को अपनाना होगा जो दोनों देशों के लिए कारगर हो.

पोम्पिओ ने कहा, ‘‘हम एक संप्रभु ताकत के तौर पर भारत का सम्मान करते हैं, जिसकी अपनी अनूठी राजनीति और सामरिक चुनौतियां हैं. हम समझते हैं कि चीन या पाकिस्तान जैसे देशों से महासागर पार के बजाए सीमा पार से निपटना अधिक मुश्किल है.’’ 

पोम्पिओ ने कहा, ‘‘यह स्वाभाविक है कि दुनिया में सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश को दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के साथ हाथ मिलाना चाहिए ताकि वे हिंद-प्रशांत के लिए अपनी साझी सोच को आगे ले जा सकें.’’ पोम्पिओ ने कहा, ‘‘तीसरा, हमें यह करके दिखाना होगा.’’ 

उन्होंने कहा कि ट्रम्प प्रशासन ने सशस्त्र यूएवी और बैलेस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणालियों जैसे अत्याधुनिक रक्षा मंचों समेत भारत को उच्च तकनीक की अधिक वस्तुओं के निर्यात के लिए अमेरिकी कंपनियों को सक्षम बनाया है.  उन्होंने कहा, ‘‘ये बड़ी उपलब्धियां हैं, लेकिन हम और हासिल करना चाहते हैं. रक्षा, ऊर्जा और अंतरिक्ष में हमारे स्पष्ट रूप से साझे हित हैं.’’ 

(इनपुट एजेंसी भाषा से भी)

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