इस पद के बनने से तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल होने का साथ-साथ संसाधनों को उचित इस्तेमाल भी हो पाएगा. दुनिया की बहुत सी सेनाओं में इस तरह का पद है, लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक होने के बावजूद भारतीय सेना में ये पद नहीं था.
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नई दिल्ली: भारत सरकार आज चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (Chief of Defence Staff) के नाम का ऐलान कर सकती है. गृह मंत्रालय में आज इस नाम के ऐलान को लेकर अहम बैठक हो रही है. सरकार ने देश क रक्षा चुनौतियों को देखते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाने का फैसला किया है. सीडीएस सरकार के सैन्य सलाहाकार के रूप में करेंगे. प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को डिफेंस की अहम रणनीति बताएंगे सीडीएस. आज देश में पहली बार चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति होगी. एनएसए अजित डोभाल ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की जिम्मेदारियों पर रक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCD) को अपनी रिपोर्ट सौंपी. सीसीडी ने इस रिपोर्ट को अपनी मंजूरी दे दी है.
सूत्रों के हवाले से खबर है कि सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत का नाम सीडीएस के लिए आगे चल रहा है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया को बताया कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ फोर स्टार जनरल होगा और यह सैन्य मामलों के विभाग का प्रमुख भी होगा.
Union Minister Prakash Javadekar: Government has approved the creation of post of Chief of Defence Staff. The officer to be appointed as Chief of Defence Staff will be a four star General and will also head the Department of military affairs pic.twitter.com/hC4ibOT5p4
— ANI (@ANI) December 24, 2019
बता दें कि इस स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त 2019) पर लाल किले से प्रधानमंत्री ने भारतीय सेनाओं के लिए हाल के दशकों के सबसे बड़े सुधार की घोषणा की थी. अब तीनों सेनाओं यानि वायुसेना, थलसेना और नौसेना का एक सम्मिलित अध्यक्ष होगा. इसे CHIEF OF DEFENCE STAFF यानि CDS कहा जाएगा. इस तरह के एक पद की सिफारिश कारगिल युद्ध के बाद बनी सुब्रमण्यम कमेटी की रिपोर्ट में भी की गई थी.
इस पद के बनने से तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल होने का साथ-साथ संसाधनों को उचित इस्तेमाल भी हो पाएगा. दुनिया की बहुत सी सेनाओं में इस तरह का पद है, लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक होने के बावजूद भारतीय सेना में ये पद नहीं था.
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सूत्रों के मुताबिक इस रैंक के बारे में विस्तार से विचार करने के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी और संभावना है कि अगले दो महीने में वो अपनी रिपोर्ट सौंप देगी. इस रिपोर्ट में रैंक की शक्तियों और ज़िम्मेदारियों के बारे में अंतिम फैसला ले लिया जाएगा. ये रैंक तीनों सेनाओं के अध्यक्षों से वरिष्ठ होगा. मोदी सरकार ने खास ऑपरेशन के लिए तीनों सेनाओं की तीन साझा एजेंसियां पहले ही बना दी हैं. ये हैं डिफेंस साइबर एजेंसी जिसमें नौसेना की मुख्य भूमिका होगी, डिफेंस स्पेस एजेंसी जिसमें वायुसेना नेतृत्व करेगी और स्पेशल ऑपरेशन डिवीज़न जिसका नेतृत्व सेना करेगी. CDS का बनना तीनों सेनाओं के तालमेल को और बेहतर बनाएगा.
भारतीय सेना लंबे अरसे से तीनों सेनाओं की मिलीजुली THEATRE COMMANDS बनाने की दिशा में एक क़दम और बढ़ गई है. अमेरिका और चीन जैसी बड़ी सेनाओं में तीनों सेनाओं की अलग-अलग कमान के बजाए किसे एक इलाक़े पर केंद्रित थियेटर कमान होती हैं जिसमें तीनों सेनाओं के हिस्से होते हैं.
अभी तीनों सेनाओं के अध्यक्ष 4 स्टार जनरल कहलाते हैं. तीनों सेनाध्यक्षों में सबसे वरिष्ठ चेयरमैन चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी का पद भी संभालता है. इसके अलावा कारगिल के युद्ध के बाद तीनों सेनाओं की सम्मिलित कमान के लिए इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ की स्थापना की गई थी. लेकिन CDS बनने के बाद इस कमान का क्या होगा ये भी अभी तय नहीं है. लेकिन ये तय है कि विदेश मामलों, ट्रेनिंग, रणनीति और हथियारों की ख़रीद में CDS की मुख्य भूमिका होगी.
करगिल युद्ध के बाद 'चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ' बनाने की मांग की गई थी
करगिल युद्ध की समीक्षा के लिए साल 1999 में युद्ध के तत्काल बाद उच्च स्तरीय सुब्रह्मण्यम समिति ने पहली बार 'चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ' बनाने की सिफारिश की थी. वर्ष 2016 के उरी आतंकी हमले के बाद सीमापार सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान उत्तरी सैन्य कमांडर रहे लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा कि यह सही है कि करगिल युद्ध के बाद गठित समिति ने चीफ आफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति की सिफारिश की थी . सरकार ने सिद्धांत के रूप में इसे स्वीकार भी किया, लेकिन इस पर अभी तक अमल नहीं हो पाया . उन्होंने चीफ आफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्त का समर्थन करते हुए कहा कि अब यह राजनीतिक निर्णय का मामला है.
उन्होंने यह भी कहा कि इस विषय पर बाद में गठित नरेश चंद्रा समिति ने भी सीडीएस की नियुक्ति की समर्थन किया था . हुड्डा ने हालांकि कहा कि लेकिन ऐसा नहीं है कि सीडीएस नहीं होने से समन्वय में कमी की कोई बात है . उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर पर सेना, वायुसेना, नौसेना में अच्छा समन्वय है.
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीफ आफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति का सिद्धांत का मतलब यह है कि राजनीतिक नेतृत्व को उस व्यक्ति से सीधे जानकारी प्राप्त हो सके जो परिचालन संबंधी योजना तैयार करता हो, सैन्य संसाधनों की तैनाती से जुड़़ा हो, बलों की तैयारी तथा राजनीतिक..सैन्य उद्देश्य को हासिल करने से जुड़े विषयों से जुड़ा हो, विशेषज्ञों ने बताया कि ऐसे में सेना के तीनों अंगों के संयुक्त परिचालन के लिये चीफ आफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति बेहद जरूरी है. उनका कहना है कि ऐसा लगता है कि यह विषय नौकरशाही में उलझ गया है.
इंस्टीट्यूट आफ डिफेंस रिसर्च एंड एनालिसिस :आईडीएसए: से जुड़े विशेषज्ञ अजय लेले ने कहा कि सेना के तीनों अंग अभी अलग अलग इकाई के रूप में काम करते हैं और रक्षा मंत्रालय समन्वय का काम करता है. ऐसे समय में जब समन्वित रक्षा स्टाफ मुख्यालय की स्थापना की गई है, तब इसके लिये ज्वायंट चीफ आफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति जरूरी हो गई है.
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