जीवन के अनसुलझे सवालों को सरल भाव में प्रकट करने वाले शायर राहत इंदौरी का आज (1 जनवरी 1950) जन्मदिन है.
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नई दिल्ली: आँख में पानी रखो होंठों पे चिंगारी रखो, ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो. जीवन के अनसुलझे सवालों को सरल भाव में प्रकट करने वाले शायर राहत इंदौरी का आज (1 जनवरी 1950) जन्मदिन है. राहत इंदौरी उर्दू-हिंदी भाषा के विश्व प्रसिद्ध शायर और हिंदी फिल्मों के जाने-माने गीतकार है. राहत इंदौरी अपनी लोकप्रियता के लिये कोई ऐसा सरल रास्ता नहीं चुनते जो शायरी की इज़्ज़त को कम करे.
शायद यही गुण राहत इंदौरी को महान शायर के साथ- साथ एक बेहतर इंसान बनाती है. राहत इंदौरी की शायरी में जिंदगी के हर अनसुलझे सवालों के जवाब है, जिससे आम इंसान रूबरू होता है. उनका लिखा हुआ उनसे ज़्यादा उनके सुनने वालों को याद रहता है. इंदौरी को मंच पर सुनना, देखना ही अपने आप में एक शायरी है.
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उनकी बातें लोगों के जेहन में गहरे से उतरती है. इंदौरी जब मंच पर पढ़ रहे होते है तो उनके अंदर एक अलग ही इंदौरी होता है. जिसे सुनने वाला खुद को उनसे एक अलग तरीके से जोड़ पाता है. वे मुशायरों के ऐसे खिलाड़ी है. जिन्हें आप कभी भी किसी समय बाजी मार ही लेते हैं. उनका मंच पर होना जिंदगी का होना होता है. उनके शब्द और आवाज़ का जोड़ अपने आप में अनूठा है.
इंदौर में पैदा हुए
राहत का जन्म इंदौर में 1 जनवरी 1950 में कपड़ा मिल के कर्मचारी रफ्तुल्लाह कुरैशी और मकबूल उन निशा बेगम के यहाँ हुआ. इंदौरी अपने मां-बाप के चौथी संतान थे. उनकी प्रारंभिक शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर में हुई. उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की.
पीएचडी उपाधि ली
1975 में बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से उर्दू साहित्य में एमए किया. 1985 में मध्य प्रदेश के मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की.
विश्व भर में पाठ किया
राहत इंदौरी लगातार मुशायरा, कवि सम्मेलन में भाग ले रहे है. उन्होंने पूरे विश्व भर के कवि सम्मेलनों में भाग लिया है. कविता पढ़ने के लिए उन्होंने व्यापक रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यात्रा की है उन्होंने भारत के लगभग सभी जिले में काव्यात्मक संगोष्ठी में भाग लिया है और कई बार अमरीका, ब्रिटेन, कनाडा, सिंगापुर, मॉरीशस, केएसए, कुवैत, बहरीन, ओमान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल आदि यात्रा की है. राहत इंदौरी को बहुत सारे सम्मान मिल प्राप्त हो चुका है.
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इंदौरी के शायरी में उनके शब्द से कही अधिक उनके आवाजों के भाव को ध्यान रखे जाते है. लोगों को पता है, अगर भाव नहीं समझ पाए तो शायरी का मजा किरकिरा हो जाएगा. इंदौरी के तल्ख टिप्पणियां किसी को भी सोचने को मजबूर कर देती है-
सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है
दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं
सब अपने चेहरों पे दोहरी नक़ाब रखते हैं
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया
ये तिरा ख़त तो नहीं है कि जिला भी न सकूँ
बस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ
ये नदी कैसे पार की जाए
यहाँ इक मदरसा होता था पहले
मगर अब कार-ख़ाना चल रहा है
न हार अपनी न अपनी जीत होगी
मगर सिक्का उछाला जा रहा है
हमी बुनियाद का पत्थर हैं लेकिन
हमें घर से निकाला जा रहा है
चेहरों की धूप आँखों की गहराई ले गया
आईना सारे शहर की बीनाई ले गया
मैं आज अपने घर से निकलने न पाऊँगा
बस इक क़मीस थी जो मिरा भाई ले गया
राहत इंदौरी कुछ रचनाएं (साभार- रेख़्ता)