विधायकों को अयोग्य ठहराने के बारे में चुनाव आयोग की सिफारिश को राष्ट्रपति के मंजूर कर लेने पर उनकी पिछली याचिकाओं के निरर्थक हो जाने के एक दिन बाद दायर की गईं. याचिकाओं में कहा गया है कि राष्ट्रपति और चुनाव आयोग ने अनुचित जल्दबाजी दिखाई.
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नई दिल्ली : दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (आप) के अयोग्य करार दिए गए 20 विधायकों की नई याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट आज सुनवाई करेगा. इन विधायकों ने अपनी याचिका में केंद्र की उस अधिसूचना को चुनौती दी है जिसके जरिये लाभ का पद धारण करने को लेकर उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया गया था. ये याचिकाए विधायकों को अयोग्य ठहराने के बारे में चुनाव आयोग की सिफारिश को राष्ट्रपति के मंजूर कर लेने पर उनकी पिछली याचिकाओं के निरर्थक हो जाने के एक दिन बाद दायर की गईं. याचिकाओं में कहा गया है कि राष्ट्रपति और चुनाव आयोग ने अनुचित जल्दबाजी दिखाई.
इन विधायकों की संसदीय सचिव के पद पर नियुक्ति को लाभ का पद ठहराया गया था. उन्होंने दावा किया कि उनकी अयोग्यता के संबंध में समूचा प्रकरण प्रक्रिया को साफ दर्शाता है जिसके तहत उन्हें उनका पक्ष सुने जाने के नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत से वंचित किया गया. उनकी याचिकाओं का न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति एके चावला की पीठ के समक्ष उल्लेख किया गया.
पीठ ने याचिका को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया. पांच विधायकों की तरफ से मौजूद अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ ने कहा कि चुनाव आयोग के निष्कर्ष संविधान के अनुच्छेद 14 के विपरीत, अधिकारातीत, शुरूआत से ही शून्य हैं और लोकतंत्र के बुनियादी ताने-बाने पर हमला करते हैं. इन विधायकों ने यह कदम तब उठाया है जब 20 विधायकों को लाभ का पद धारण करने पर अयोग्य ठहराने की चुनाव आयोग की सिफारिश को राष्ट्रपति के मंजूर कर लेने के बाद उन्होंने अपनी याचिकाएं वापस ले ली थीं. बात दें कि 19 जनवरी को चुनाव आयोग ने 20 विधायकों को लाभ का पद धारण करने को लेकर अयोग्य ठहराने के लिये राष्ट्रपति को अपनी सिफारिश भेजी थी. बाद में राष्ट्रपति ने इसे अपनी मंजूरी दे दी थी.
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प्रशांत पटेल ने उठाया था मुद्दा
अरविंद केजरीवाल सरकार ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था. इसके खिलाफ वकील प्रशांत पटेल ने चुनाव आयोग में अर्जी दायर की थी. इस मामले में अब 20 विधायक हैं, क्योंकि रजौरी गार्डन के विधायक जरनैल सिंह ने पंजाब में चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
चुनाव आयोग ने की सिफारिश
गौरतलब है कि बीते 19 जनवरी को दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को झटका देते हुए चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को पार्टी (आप) के 20 विधायकों को लाभ का पद धारण करने के कारण अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की थी. इसने उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया. हालांकि, चुनाव आयोग के इस कदम को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती देने वाले पार्टी विधायकों को फिलहाल अदालत से कोई राहत नहीं मिल पाई थी.
ये विधायक बने संसदीय सचिव
जिन 20 आप विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया है, उनके नाम इस प्रकार हैं...
शरद कुमार (नरेला विधानसभा), सोमदत्त (सदर बाजार), आदर्श शास्त्री (द्वारका), अवतार सिंह (कालकाजी), नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर), अनिल कुमार बाजपेयी (गांधी नगर), मदन लाल (कस्तूरबा नगर), विजेंद्र गर्ग विजय (राजेंद्र नगर), शिवचरण गोयल (मोती नगर), संजीव झा (बुराड़ी), कैलाश गहलोत (नजफगढ़), सरिता सिंह (रोहताश नगर), अलका लांबा (चांदनी चौक), नरेश यादव (महरौली), मनोज कुमार (कौंडली), राजेश गुप्ता (वजीरपुर), राजेश ऋषि (जनकपुरी), सुखबीर सिंह दलाल (मुंडका), जरनैल सिंह (तिलक नगर) और प्रवीण कुमार (जंगपुरा).