बालकों को लैंगिक अपराधों से बचाने के लिए लोकसभा में पेश किया गया संरक्षण (संशोधन) विधेयक
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बालकों को लैंगिक अपराधों से बचाने के लिए लोकसभा में पेश किया गया संरक्षण (संशोधन) विधेयक

केंद्रीय महिला और बाल विकास राज्य मंत्री वीरेंद्र कुमार ने लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया.

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्लीः लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण करने वाले कानून में संशोधन वाला एक विधेयक सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में पेश किया, जिसमें केंद्र सरकार को बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री को मिटाने या नष्ट करने के लिए नियम बनाने का अधिकार दिया गया है. केंद्रीय महिला और बाल विकास राज्य मंत्री वीरेंद्र कुमार ने लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया. विधेयक में लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 का और संशोधन किया गया है.

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विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि लैंगिक हमलों, लैंगिक उत्पीड़नों और अश्लील साहित्य के अपराधों से बालकों का संरक्षण करने और ऐसे अपराधों पर नजर रखने के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना तथा उनसे संबंधित या आनुषांगिक विषयों के लिए इसे लाया गया है. इसमें कहा गया है कि विधेयक लिंग निरपेक्ष है और बालकों के सर्वोत्तम हित और कल्याण पर सर्वोपरि महत्व से संबंधित है ताकि बालक के अच्छे शारीरिक, भावनात्मक, बौद्धिक और सामाजिक विकास को सुनिश्चित किया जा सके.

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उद्देश्यों में कहा गया है कि हाल ही में देश में अमानवीय मानसिकता दर्शाने वाले बाल यौन अपराध के मामलों में वृद्धि हुई है. देश में बाल यौन अपराध की बढ़ती हुई प्रवृत्ति को रोकने के लिए कड़े कदम उठाये जाने की सख्त आवश्यकता है, इसलिए उक्त अधिनियम में विभिन्न अपराधों के लिए दंड में वृद्धि के नाते उपबंध करने के लिहाज से संशोधन प्रस्तावित हैं. उद्देश्यों के अनुसार इसमें केंद्र सरकार को बालक को किसी भी रूप में शामिल करने वाली अश्लील सामग्री को मिटाने या नष्ट करने या निर्दिष्ट प्राधिकारी को उसके बारे में रिपोर्ट करने के संबंध में नियम बनाने के लिए भी सशक्त किया गया है.

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