Indira Rasoi: राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत 512 नई इंदिरा रसोईयों को शुरू किया है. इन रसोईयों में जरूरतमंदों को 8 रुपये में एक समय का भोजन दिया जाता है.
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Rajasthan Indira Rasoi Yojna: राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने रविवार को जोधपुर में 512 नई इंदिरा रसोईयों का शुभारंभ किया. इसके साथ ही वर्तमान में संचालित 358 इंदिरा रसोईयों के साथ अब इन रसोईयों की कुल संख्या 870 हो गई. उल्लेखनीय है कि सीएम गहलोत ने 20 अगस्त 2020 को प्रदेश में ‘कोई भूखा ना सोय‘ की संकल्पना को मूर्त रूप देकर 213 नगरीय निकायों में 358 स्थायी रसोइयों के माध्यम से इंदिरा रसोई योजना का शुभारंभ किया था.
योजना के क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग के लिए जिले में जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय समन्वय और मॉनिटरिंग समिति (रथो) द्वारा रसोई संचालन के लिए 300 से अधिक स्थानीय सेवाभावी संस्थाओं अथवा एनजीओ का चयन किया जाता है.
8 रुपये में एक समय का भोजन
इंदिरा रसोई के माध्यम से जरूरतमंदों को 8 रुपये में एक समय का भोजन दिया जाता है. जरूरतमंदों को स्थाई रसोईयों में सम्मानपूर्वक बैठाकर स्थानीय स्वादानुसार दो समय (दोपहर और रात्रिकालीन) का शुद्ध और पौष्टिक भोजन दिया जाता है. योजना के तहत रसोई संचालकों को प्रति थाली 12 रुपये राजकीय अनुदान जिसे बढ़ाकर 1 जनवरी 2022 से 17 रुपये प्रति थाली कर दिया गया है. रसोई संचालकों को रसोई के लिए रोजमर्रा कार्य जैसे बिजली, पानी, इन्टरनेट के बिल, रसोई साज-सज्जा एवं मरम्मत आदि के व्यय हेतु 50,000 रुपये प्रति रसोई अग्रिम दिए जाने का प्रावधान किया गया है.
7 करोड़ भोजन की थालियां परोसी गई
योजना के अन्तर्गत जिलास्तरीय समन्वय समिति की पूर्वानुमति से एक्सटेन्शन काउन्टर बनाकर भी भोजन वितरण किए जाने का प्रावधान है. अब तक योजनान्तर्गत 7.01 करोड़ भोजन थाली परोसी जा चुकी है, जो की लक्ष्य का 72.32 प्रतिशत है. 1000 रसोईयों के संचालित होने पर प्रतिवर्ष 13.81 करोड़ भोजन थाली परोसी जाकर व्यक्तियों को लाभान्वित किया जा सकेगा.
अब तक 35 हजार 325 भामाशाहों द्वारा भोजन प्रायोजन
इंदिरा रसोई में भोजन मैन्यू में प्रति व्यक्ति 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी 250 ग्राम चपाती एवं अचार परोसा जाता है. लाभार्थियों के लिए भोजन प्रायोजित परिजनों की वर्षगांठ, जन्मदिन वा अन्य किसी उपलक्ष्य में भोजन प्रायोजित करने की व्यवस्था योजनान्तर्गत अब तक 35 हजार 325 भामाशाहों द्वारा भोजन प्रायोजित किया जा चुका है.
250 करोड़ का बजट प्रावधान
वर्तमान में 358 रसोईयां संचालित है, जिन्हें बजट घोषणा में बढ़ाकर 1000 किया गया है. इस योजना के तहत हर साल 125 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, जिसे वित्तीय वर्ष 2022- 23 की बजट घोषणा में बढ़ाकर 250 करोड़ रुपये किया गया. योजना के तहत अनुदान हेतु 50 प्रतिशत राशि नगर निकायों को देय राज्य वित्त आयोग अनुदान तथा शेष 50 प्रतिशत प्रथमतया मुख्यमंत्री सहायता कोष से या आवश्यकता होने पर अन्य मदों से की जाती है. रसोईयों में आधारभूत संरचना हेतु 5 लाख रुपये की प्रति रसोई एकमुश्त राशि और आवर्ती संरचना हेतु प्रति रसोई प्रतिवर्ष 3 लाख रुपये राशि दी जाती है.
इंदिरा रसोई में पेपर लेस काम
इंदिरा रसोई में पेपर लेस काम किया जाता है. इस हेतु इंदिरा रसोई वेब पोर्टल, वेबसाइट विकसित किया गया है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग कर लाभार्थियों के वास्तवित फोटो इंदिरा रसोई पोर्टल पर अपलोड किए जाते हैं. लाभार्थी के मोबाइल पर मैसेज और स्टेट कॉल सेन्टर से लाभार्थियों से नियमित फीडबैक और रसोई एजेन्सी द्वारा आधार ऑथेटिकेशन की प्रक्रिया से ऑनलाइन इनवॉइस जनरेशन और ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था की जाती है. नगर निकायों द्वारा भोजन की गुणवत्ता पर निगरानी हेतु इंदिरा रसोईयों का प्रति माह कम से कम दो बार निरीक्षण कर निरीक्षण रिपोर्ट मोबाईल ऐप के माध्यम से ऑनलाइन प्रेषित करने का प्रावधान किया गया है.
इंदिरा रसोई मॉडल की देश भर में प्रशंसा
इंदिरा रसोई की आईटी आधारित प्रक्रिया की मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नेशनल ई-गर्वनेंस विभाग के द्वारा सराहना की गई थी. इन्दिरा रसोई मॉडल के अध्ययन के लिए गुजरात, मध्यप्रदेश के अधिकारियों का भ्रमण व प्रशंसा एवं केन्द्र सरकार के समक्ष इन्दिरा रसोई मॉडल का प्रस्तुतीकरण व सराहना की जा चुकी है.
श्रेष्ठ कार्य करने वाली इंदिरा रसोइयों को सम्मान
प्रतिवर्ष अच्छा कार्य करने वाली रसाईयों को जिला संभाग, राज्य स्तर पर 15 अगस्त एवं 26 जनवरी पर 15 लाख से अधिक राशि के नगद पुरस्कार और प्रशस्ती पत्र दिया जाता है. रसोईयों में लाभार्थियों को 500 मिली मिनरल पानी की बोतल दिये जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है.
कोरोना महामारी के दौरान निशुल्क भोजन
इन्दिरा रसोईयों के माध्यम से कोरोना महामारी के दौरान संक्रमिता / जरूरतमन्दों को निशुल्क भोजन दिया गया साथ ही रीट के अभ्यार्थियों को भी निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराया गया था. योजना का राजस्थान सम्पर्क पोर्टल के माध्यम से लाभार्थियों से दूरभाष पर निरन्तर फीडबैक लिया जाता है.
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