पायलट के गढ़ की वो गुर्जर बाहुल्य सीट जहां 30 सालों से नहीं जीती कांग्रेस, निर्दलीय की ताल ने BJP की भी बढ़ाई चिंता
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पायलट के गढ़ की वो गुर्जर बाहुल्य सीट जहां 30 सालों से नहीं जीती कांग्रेस, निर्दलीय की ताल ने BJP की भी बढ़ाई चिंता

राजस्थान में विधानसभा चुनावों की तारीख जैसे जैसे नजदीक आती जा रही है वैसे-वैसे चुनावी मुकाबला रोचक और दिलचस्प होता जा रहा है. कहीं भाजपा कांग्रेस में आमने सामने की टक्कर है, तो कहीं निर्दलीयों चुनावी रफ्तार में नेता की सियासी जमीन हिला रखी है.

पायलट के गढ़ की वो गुर्जर बाहुल्य सीट जहां 30 सालों से नहीं जीती कांग्रेस, निर्दलीय की ताल ने BJP की भी बढ़ाई चिंता

Rajasthan Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनावों की तारीख जैसे जैसे नजदीक आती जा रही है वैसे-वैसे चुनावी मुकाबला रोचक और दिलचस्प होता जा रहा है. कहीं भाजपा कांग्रेस में आमने सामने की टक्कर है, तो कहीं निर्दलीयों चुनावी रफ्तार में नेता की सियासी जमीन हिला रखी है. टोंक जिले की मालपुरा-टोडारायसिंह विधानसभा सीट में भाजपा और कांग्रेस दोनों प्रमुख राजनीतिक दल के प्रत्याशियों के लिए एक निर्दलीय प्रत्याशी और पूर्व प्रधान गोपाल गुर्जर के तूफानी प्रचार और जनसंपर्क में उमड़ रही समर्थकों की भीड़ ने दोनों ही नेताओं की नींद उड़ा रखी है.

मालपुरा-टोडारायसिंह विधानसभा सीट

इस विधानसभा सीट के ऐतिहासिक समीकरण की बात करें तो इस सीट पर 30 सालों से कांग्रेस अपना विधायक नहीं बना पाई है. 30 साल पहले यह विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी. डाक्टर सुरेंद्र व्यास इस सीट पर लम्बे समय तक विधायक रहे. तो वहीं निर्दलीय पूर्व विधायक रणवीर पहलवान भी यहां लंबे समय तक निर्दलीय और गठबंधन से विधायक रहे. अब एक बार फिर गोपाल गुर्जर के मैदान में आने से मालपुरा विधानसभा क्षेत्र में 2008 की स्थिति पैदा हो रही है, जब निर्दलीय रणवीर पहलवान ने दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों को पराजित कर चुनाव जीता था. एक बार फिर 2023 में निर्दलीय प्रत्याशी दोनों राजनीतिक दलों से आगे निकलकर चुनावी जीत की ओर बढ़ रहे हैं. इसका मुख्य कारण क्षेत्र में गुर्जर बाहुल्य मतदाता होना भी है. वहीं इस बार फिर गोपाल गुर्जर को मिले चुनावी सिंबल सिलाई मशीन भी एक ऐसा संयोग बन रहा है. जो साल 2008 में निर्दलीय विधायक रहे रणवीर पहलवान का बना था.

रणवीर पहलवान ने भी जब पहली बार विधायक निर्वाचित हुए तब उनका सिंबल भी सिलाई मशीन ही था. उधर 10 साल से विधायक रहे कन्हैयालाल चौधरी के काम काज से भी आमजन के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं के विरोध और नाराजगी का फायदा निर्दलीय प्रत्याशी गोपाल गुर्जर को स्थानीय प्रत्याशी होने से मिल सकता हे. इधर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी जहां वाहनों के काफिले में दौड़ कर तूफानी दौरे कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर गोपाल गुर्जर बड़ी सादगी से मतदाताओं, समर्थको को घर घर जाकर पैर छूकर. गले लग कर आशिर्वाद ले रहे हैं. ऐसा नहीं है कि चुनावों में ही गोपाल पैर छू रहे हैं. सामान्य दिनों में भी अपनों से बड़ों का गोपाल हमेशा ही पैर छूकर अभिवादन करते रहे हैं. यहीं सादगी गोपाल गुर्जर को आमजन से सीधे जोड़ रही है. अब देखने वाली बात होगी कि साल 2008 का इतिहास गोपाल गुर्जर दोहरा पाते हैं या फिर भाजपा और कांग्रेस के किसी एक प्रत्याशी की किस्मत चमकती है. 

आपकों बता दें कि मालपुरा विधानसभा क्षेत्र में जहां कांग्रेस ने स्थानीय प्रत्याशी घासीलाल चौधरी को टिकट दिया है भाजपा में कन्हैयालाल चौधरी को लगातार तीसरी बार टिकट दिया गया है. वहीं इस बार प्रथम बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे गोपाल गुर्जर स्थानीय मालपुरा निवासी होने से व राजनैतिक पकड़ मजबूत होने व पारिवारिक पृष्ठभूमि भी राजनैतिक होनें से दोनों प्रमुख राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों के सामने भारी पड़ रहे हैं.

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