Bikaner News: हरी सब्जियों के सही भाव नहीं मिलने से कृषक निराश
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Bikaner News: हरी सब्जियों के सही भाव नहीं मिलने से कृषक निराश

Bikaner latest News: बीकानेर में इस आग बरसती गर्मी में अपने पसीने की एक एक बूंद से फसल की बुआई कर किसान जिन सपनों को बुनता है. जब वही फसल मंडी में व्यापारियों द्वारा औने पौने दाम में खरीदी जाती है, तो किसान को खून के आंसू रोने पड़ते है.

 

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Bikaner latest News: राजस्थान के बीकानेर में इस आग बरसती गर्मी में अपने पसीने की एक एक बूंद से फसल की बुआई कर किसान जिन सपनों को बुनता है. जब वही फसल मंडी में व्यापारियों द्वारा औने पौने दाम में खरीदी जाती है, तो किसान को खून के आंसू रोने पड़ते है. मजबूरन परेशान किसान उसे पशुधन के हवाले कर धर्म के नाम पर अपने मन को सांत्वना देता. 

रेगिस्तान में एक समय ऐसा भी था कि इस इलाके में लोग पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसते थे. मगर इंदिरा गांधी नहर ने इलाके की कायापलट पलट कर दी. वर्तमान में क्षेत्र के किसान ना केवल अनाज बल्कि फलों व सब्जियों को भी उगाने लगे है. मगर सब्जियों के भाव नहीं मिलने से किसान सब्जियों को गौवंश के सामने फेंकने को मजबूर हैं. हरी सब्जियों का भाव न मिलने से इसकी खेती में लगे किसान काफी परेशान दिख रहे हैं.

मजबूरी में किसान सब्जियों को बाजार में बेचने के बजाए पशुओं को खिलाने व पौधों की जोताई कर नष्ट कर रहे हैं. बज्जू उपखंड क्षेत्र में विशेषकर आरडी 860, फुलासर, गोडू ,चारणवाला क्षेत्र में दर्जनों जगहों पर किसानों ने विभिन्न प्रकार की सब्जियां लगा रखी है. मगर इसबार भाव नहीं मिलने से किसान निराश हैं.

गर्मियों में सब्जियों को नुकसान होने से कृषक से लेकर दुकानदार तक निराश हैं. बाजार में इन दिनों जहां टमाटर, खीरा, पेठा, घीया, तोरू आदि सब्जियों के भाव 25 से 40 रुपए तक किलो से बेचा जा रहा है, जबकि इसके विपरीत इन दिनों सब्जी वाले खेतों से लोग 3 रुपए किलो इन्ही सब्जियों को खरीदकर पशुओं को खिला रहे हैं, तो दर्जनों किसान जो सब्जियों को लगा रहे वो भी निःशुल्क सब्जियों को फेंक रहे हैं.

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किसान श्रवण नाई ने बताया कि बाजार में ले जाने पर इन सब्जियों के भाव 3 से 5 रुपए तक ही मिल रहे है, जबकि बाजार तक सब्जियों को गाड़ी में भरना, 2 लोगों द्वारा बाजार जाना व गाड़ी-मजदूरी का खर्चा सब्जियों से ज्यादा पड़ रहा है. इसलिए मजबूर होकर खेत मे आने वाले लोगों को 2 से 3 रुपए किलो तो अपनी तरफ से लगभग किसान जो सब्जियां लगा रहे हैं वो पशुओं के आगे फेंक रहे हैं. वर्तमान में सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को खरीदार तक नहीं मिल रहा है. 

जिसके चलते किसान सब्जियों को निराश्रित पशुओं को खिला रहा है. वहीं कुछ समय बाद जब खेतों में सब्जियां खत्म हो जाएंगी तो बाजार में यही सब्जियों के भाव कई गुना बढ़ जाएंगे. जिनका नुकसान सामान्य वर्ग को उठाना तय है. किसानों की मेहनत पर जिस तरह धन्ना सेठ पानी फेर रहे है. उससे किसानों की पीड़ा साफ देखी जा रही है. जरूरत है कि जिंसो के बाद अब सरकार सब्जियों को भी समर्थन मूल्यों पर खरीदे जिससे किसानों को अपनी मेहनत का उचित दाम मिल सके. 

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