Rajasthan History: कौन थे बूंदी के पूर्व नरेश राव सूरजमल हाड़ा जिनकी छतरी तोड़ने के बाद 'हिल' गए बड़े नेता! जानिए अब तक का पूरा अपडेट
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Rajasthan History: कौन थे बूंदी के पूर्व नरेश राव सूरजमल हाड़ा जिनकी छतरी तोड़ने के बाद 'हिल' गए बड़े नेता! जानिए अब तक का पूरा अपडेट

Rajasthan History: जानिए, कौन थे बूंदी के पूर्व नरेश राव सूरजमल हाड़ा जिनकी छतरी तोड़ने के बाद 'हिल' बड़े नेता हिल गए. उनका क्या इतिहास रहा है जानिए अब तक का पूरा अपडेट.

about former king of Bundi Rao Surajmal Hada

About former king of Bundi Rao Surajmal Hada​: 600 साल पुरानी बूंदी के पूर्व नरेश राव सूरजमल हाड़ा की छतरी को  KDA (कोटा डेवलपमेंट अथॉरिटी) ने ध्वस्त कर दिया. कोटा-बूंदी जिले की सरहद पर तुलसी गांव में स्थित 20 सितंबर सुबह 11 बजे की गई इस कार्रवाई के बारे में ग्रामीणों को कानों कान खबर नहीं लगी. KDA का जत्था वापस लौट आया तो ग्रामीणों को इस बारे में जानकारी मिली.

ये छतरी कोटा एयरपोर्ट की जद में आती है. जिसे ध्वस्त करने को लेकर ग्रामीणों, राजपूत समाज,करणी सेना के साथ अन्य जनप्रतिनिधियों ने गहरा आक्रोश है. मामले को लेकर पूर्व राज परिवार ने भी भारी रोष जताया. पूर्व राज परिवार के सदस्य इज्जयराज सिंह, महाराव वंशवर्धन सिंह, भंवर जितेंद्र सिंह, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह, दिया कुमारी और बूंदी विधायक हरिमोहन शर्मा ने भी इस घटना पर रोष प्रकट किया और इसकी निंदा है. इसके अलावा ध्वस्त की गई छतरी की जगह पर ही दोबारा छतरी निर्माण की बात भी कही गई. इतना ही नहीं उन्होंने एयरपोर्ट का नाम राव सूरजमल हाडा के नाम पर रखने का भी जिक्र किया है. 

बूंदी के पूर्व नरेश राव सूरजमल हाड़ा की छतरी का इतिहास

बूंदी के पूर्व नरेश राव सूरजमल हाड़ा की छतरी का इतिहास बेहद खास रहा है. एडवोकेट राजकुमार दाधीच बताते हैं,''1527 से 1531 में, तुलसी गांव के पास बूंदी रियासत के 9वें राजा राव सूरजमल हाड़ा की छतरी का निर्माण करवाया गया था. राव नारायणदास के परमवीर पुत्र राव सूरजमल हाड़ा की  यह छतरी है. राणा सांगा के पुत्र रतन सिंह और राव नारायणदास के पुत्र सूरजमल हाड़ा के बीच यहां युद्ध हुआ था. 

घुटनों तक आते थे हाथ दी थी आजानुबाहु की उपाधि

चारण साहित्य के मुताबिक, घुटनों तक राव सूरजमल के हाथ  आते थे और इसी वजह से उन्हें 'आजानुबाहु' कहा जाता था. रतन सिंह से राव सूरजमल की बहन सूजा बाई का विवाह हुआ था. बूंदी-मेवाड़ सीमावर्ती राज्य होने से सर्वाधिक वैवाहिक संबंध इनमें होते थे...साथ ही छोटी सी बातों में युद्ध भी हो जाया करता था.''

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एडवोकेट राजकुमार दाधीच ने कहा, '' राणा रतन सिंह को, एक समय राव सूरजमल के द्वारा किया गया मजाक ऐसा चुभा कि राणा रतन सिंह ने इसका बदला लेने की ठानी. राणा रतन सिंह ने उसे स्वयं का अपमान समझ लिया. शिकार के बहाने वे बूंदी आए. साथ ही तुलसी के जंगलों में राव सूरजमल को अकेले ही शिकार के लिए ले गए. पहले ही कुछ सेना यहां रतन सिंह ने छिपा रखी थी. इस दौरान उन पर सैनिकों ने हमला कर दिया और वह बेहोश हो गए.  इस दौरान तभी रतन सिंह ने उनके सामने आकर कहा क्या यही है बूंदी का शेर..? ... जैसे ही सूरजमल की होश में आए तो घायल राव सूरजमल ने रतन सिंह पर कटार से प्रहार कर उनका वध कर दिया. हालांकि वह इस दौरान खुद भी वीरगति को प्राप्त हुए.''

14 बिस्वा परिसर सूरजमल हाड़ा की छतरी तुलसी के नाम था. साथ ही 13 बीघा जमीन बल्लोप में खातेदारी अधिकार में दर्ज बताई गई है. लंबे समय से इस जमीन पर भी लोगों का अवैध कब्जा है. ''

क्या है मामले में अपडेट

बता दें कि शंभूपुरा में प्रस्तावित एयरपोर्ट की जमीन पर राव सूरजमल हाड़ा की छतरी का जागृत स्थल पर पुनर्निर्माण शुक्रवार को विधिवत पूजा अर्चना के साथ हुआ. इस दौरान भूमि पूजन में कोटा के पूर्व राजघराने के सदस्य पूर्व सांसद इज्यराज सिंह, बूंदी के पूर्व राजघराने के सदस्य वंशवर्धन सिंह ने बूंदी राजपुरोहित राजेश शर्मा, राज आचार्य अभयानंद दाधीच, कोटा राज आचार्य आशुतोष शर्मा मौजूद रहे. हालांकि इसी के साथ छतरी निर्माण को लेकर कुछ समय से चला आ रहा गतिरोध भी समाप्त हो गया है.

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