किसी जमाने में Jaipur की प्यास बुझाया करता था रामगढ़ बांध, अब बूंद-बूंद की आस
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किसी जमाने में Jaipur की प्यास बुझाया करता था रामगढ़ बांध, अब बूंद-बूंद की आस

रामगढ़ बांध (Ramgarh Dam) दिखाई तो देता है, लेकिन पानी नहीं. 118 साल पुराने इस बांध का निर्माण जयपुर के महाराजा ने इसलिए करवाया था ताकि जयपुर की प्रजा को भरपूर पानी मिल सके, लेकिन अब रामगढ़ बांध बिल्कुल बेबस है. 

118 साल पुराने रामगढ़ बांध का निर्माण जयपुर के महाराजा माधोसिंह द्धितीय ने कराया था

Jaipur : एक जमाने में रामगढ़ बांध को जयपुर की लाइफलाइन कहा जाता था, लेकिन अब तस्वीर बिल्कुल बदल चुकी है. बदलते वक्त के साथ साथ बांध की तस्वीर और तकदीर बदलती चली गई. अब रामगढ़ बांध (Ramgarh Dam) दिखाई तो देता है, लेकिन पानी नहीं. 118 साल पुराने इस बांध का निर्माण जयपुर के महाराजा ने इसलिए करवाया था ताकि जयपुर की प्रजा को भरपूर पानी मिल सके, लेकिन अब रामगढ़ बांध बिल्कुल बेबस है. 

जयपुर के महाराजा माधोसिंह द्धितीय ने 1897 में रामगढ बांध का निर्माण शुरू करवाया था, जो 1903 में बनकर तैयार हुआ. जयपुर के महाराज माधोसिंह ने 118 साल पहले इस बांध का निर्माण इसलिए करवाया था ताकि जयपुर की प्रजा भरपूर पानी पी सके. उस वक्त केवल चारदीवारी तक ही जयुपर सीमित था, इसलिए आबादी के हिसाब से भी रामगढ़ बांध (Ramgarh Dam Jaipur) बनने के बाद पानी की कोई कमी नहीं हुआ करती थी. इस बांध से जयपुर को पानी की सप्लाई 1931 में शुरू हुई. देखते ही देखते पर्यटन स्थल बन गया, जिसके बाद 1982 में एशियाई खेलों में नौकायन प्रतियोगिता इस बांध में हुई थी.

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रामगढ़ बांध (Ramgarh Dam News) में चार नदियों का पानी आया करता था, जिसमें रोड़ा, बाणगंगा, ताला और माधोवेनी नदी से खूब पानी आया करता था. जिसमें से सबसे ज्यादा पानी बाणगंगा से बांध आया करता था, लेकिन धीरे धीरे इन नदियों का अस्तित्व ही खत्म हो चुका है. हालांकि पिछले साल जयपुर में हुई तेज बारिश बाद ताला नदी से उम्मीदे जगने लगी थी, लेकिन अब फिर वही हाल है. 

1903 में निर्माण के बाद में पहली बार रामगढ़ बांध 21 साल बाद ओवरफ्लो हुआ. 10 सितंबर 1924 में रामगढ बांध में पानी से लबालब हुआ. उस वक्त 66 फीट गहरा रामगढ़ बांध पानी से पूरा भर चुका था. दूसरी बार रामगढ़ बांध को पूरा भरने में 54 साल लगे. 30 जुलाई 1977 को फिर से रामगढ बांध पर ओवरफ्लो हुआ. अगले साल फिर इतनी बरसात हुई कि रामगढ़ बांध के गेट खोलने पड़े. अंतिम बार रामगढ़ बांध 1981 में आई बाढ के बाद में पूरा भरा था. तब भी सरकार ने रामगढ़ बांध के दरवाने खोलने के आदेश दिए थे.

सरकारी सिस्टम की पराकाष्टा क्या होती है, यदि ये जानता हो तो रामगढ़ बांध चलिए. जहां अवैध निर्माण का ऐसा खुला कारोबार चल रहा है, मानों पूरा सिस्टम ही बिका हो. रामगढ़ बांध में पिछले दस साल से अवैध करोबार हो रहा है. बार-बार हाईकोर्ट ने स्वंय प्रसंज्ञान लिया, लेकिन इसके बावजूद भी आज तक इन अवैध अड्डों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. हां इतना जरूर है कि इस बांध के अवैध निर्माण को लेकर सरकारी फाइले जरूर मोटी हो गई होगी, लेकिन आज तक अवैध निर्माण पर कार्रवाई की हिम्मत नहीं हुई. अब आकंड़ें बताते है कि 1 हजार से ज्यादा अवैध निर्माण रामगढ़ बांध को और बेबस बना रहे हैं.

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राजस्थान उच्च न्यायालय ने 2011 में पहली बार स्वयं संज्ञान लेकर रामगढ़ बांध को सूखने का कारण जानना चाहा तो पता चला कि इसके 700 वर्ग किलोमीटर पहाड़ी क्षेत्र से लेकर बांध तक 405 एनीकट और 800 अतिक्रमण थे. इनमें फार्म हाउसों से लेकर शिक्षण संस्थान तक लिप्त पाये गए. जिसमें सबसे बड़ी वजह  रामगढ़ बांध में बने एनिकट, नालों और छोटी नदियों में ही अतिक्रमण कर लिया गया. जिससे रामगढ़ बांध में पानी आने के रास्ते खत्म होते चले गए. बाणगंगा और इसकी सहायक नदियों पर अतिक्रमण बढ़ने के बाद तो रामगढ़ बांध को एक बूंद भी पानी नसीब नहीं हो पाया. अब तो हालात ये हो चले हैं कि रामगढ़ बांध में अवैध खेती तक होने लगी है.

रामगढ बांध सूखने के बाद जलदाय विभाग ने वाटर लेवल ठीक होने के कारण आसपास के इलाकों में पानी की सप्लाई करना शुरू कर दिया था, लेकिन समय के साथ साथ अब वो ट्यूबवेल्स भी सूख चुके हैं. ट्यूबवेल्स सूखने के बाद प्रशासन ने ना तो इन ट्यूबवेल्स की सुध ली और ना ही नए ट्यूबवेल्स के जरिए पानी सप्लाई की. आज हालात ये हो चले हैं कि लोग अवैध रूप से खुद ही ट्यूबवेल्स खुदवाकर पानी का उपयोग कर रहे हैं. जिन घरों में पानी नहीं, वहां प्राइवेट टैकर्स के जरिए पानी अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

रामगढ़ बांध की ऐसी दशा के बाद में अब जयपुर के लोगो की उम्मीदे टूट चुकी है. अब उन्हें नहीं लगता कि रामगढ़ बांध में कभी पानी आ पाएगा. जो पर्यटक यहां आते हैं केवल उनकी यादे ही रह जाती है इस बांध से. बांध की ऐसी स्थिति को देखकर उन्हें काफी निराशा होती है.

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